समयसीमा 229
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 963
मानव व उसके आविष्कार 757
भूगोल 211
जीव - जन्तु 274
दुनिया में जिस भी इंसान के भीतर संगीत को गहराई से अनुभव करने की क्षमता होती है, वह निश्चित ही जीवन को पूरे आनंद के साथ बसर करता है। संगीत दैनिक जीवन के लिए कई मायनों में बेहद अहम हो जाता है। बेहतर संगीत जहाँ युद्ध क्षेत्र में खड़े सैनिकों के भीतर अपने सर्वस्व बलिदान करने का साहस भर देता है, वही किसी बेचैन इंसान को भी एकांत में ठहरी हुई झील के समान शांत कर देता है। यह किसी कठोर व्यक्ति के आँखों में आँसुओं का सैलाब ला देता है, और किसी बिलखते बच्चे को सुकून से सुला सकता है। अपनी ऐसी ही अलग-अलग विशिष्ट कलाओं के कारण ही संगीत का एक अलग ही रुतबा है। और हर तरह की मनोदशा के लिए समय-समय पर संगीत की धुनों में नए-नए प्रयोग किये गए, और संगीत की विभिन्न शैलियों ने पूरे विश्व में लोकप्रियता के नए कीर्तिमान स्थापित किये। इनमे से एक है जैज़ (Jazz) संगीत।
यह संगीत शैली पहली बार 19 वीं सदी के अंत तथा 20 वीं सदी की शुरुआत में न्यू ऑरलियन्स (New Orleans), लुइसियाना (Louisiana), संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के अफ्रीकी-अमेरिकी समुदायों में अपनी उत्पत्ति के साथ ही बेहद तेज़ी के साथ लोकप्रिय हुई। यह कुछ अन्य प्रथिति संगीत शैलियों का मिश्रण है, जिनमे से रैगटाइम (Ragtime), मार्च (Marches), ब्लूज़(Blues),और ब्रास( Brass) शैलियां प्रमुख हैं। इसे पारंपरिक और आधुनिक संगीत को अभिव्यक्त करने के एक जाने-माने माध्यम के रूप में भी देखा जाता है। अफ्रीकी-अमेरिकी और यूरोपीय-अमेरिकी संस्कृति को एक माला में पिरोने का काम करता है।
अपनी शुरुआत के साथ ही जैज़ (Jazz) संगीत धीरे-धीरे विश्व भर में लोकप्रियता के नए आयाम स्थापित करने लगा। यह राष्ट्रीय और क्षेत्रीय संस्कृतियों को खूब आकर्षित करने लगा। जिसके फलस्वरूप इसने कुछ नयी संगीत शैलियों की भी उत्पत्ति की, जिसमें कुछ निम्नवत हैं।
1. न्यू ऑरलियन्स जैज़ (New Orleans jazz) - जैज़ (Jazz) की यह सह संगीत शैली 1910 के शुरुआती दौर में प्रसिद्ध होने लगी, जो सबसे पहले के ब्रास-बैंड मार्च (brass-band marches), फ्रेंच क्वाड्रिल्स( French quadrilles), बिग्यूमिन(biguine), रैगटाइम(ragtime) और ब्लूज़(blues) को सामूहिक पॉलीफोनिक इम्प्रोवाइज़ेशन (polyphonic improvisation) के संयोजन से उत्पन्न हुआ।
2. बीबॉप(Bebop)- इस संगीत शैली का उदय 1940 के दशक में हुआ। जिसका निर्माण एक प्रकार के नृत्य संगीत को शांत संगीत की ओर स्थानांतरित करने से हुआ। इसी के साथ जिप्सी जैज़, हार्ड बोप, मोडल जैज़ जैसी लोकप्रिय संगीत शैलियों का उदय भी मुख्य जैज़ से हुआ।
जिस तरह पश्चिम के देशों में जैज़ म्यूजिक प्रसिद्ध है, उसी प्रकार भारत में शास्त्रीय संगीत की महत्ता है। भारतीय शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी जैज कई मायनों में अलग-अलग है, परन्तु साथ ही इनमें कई प्रकार की समानताएं भी देखने को मिलती हैं। भारतीय संगीत और जैज़ दोनों में धुनों पर आधारित संगीत हैं। दोनों प्रकार के संगीत भावनाओं में गहराई की मांग करते हैं। अच्छे श्रोता जहाँ रविशंकर, अली अकबर खान, एल सुब्रमण्यम, और पाकिस्तानी कव्वाली गायक नुसरत फतेह अली खान जैसे महान हिंदी, उर्दू संगीतज्ञों से भावना के साथ भावविभोर होंगे, जिस प्रकार का अनुभव उन्हें जॉन कोल्ट्रेन(John Coltrane), मैककॉय टाइनर(McCoy Tyner), माइल्स डेविस(Miles Davis), सन्नी रोलिंस(Sonny Rollins), कीथ जेरेट(Keith Jarrett) जैसे महान जैज़ कलाकारों के संगीत को सुनते समय होता है। जैज़ संगीत तनाव से राहत देता है। जो इतना असरदार है की अक्सर स्पा (Spa) और मसाज पार्लरों (Massage Parlor) में भी सुनाई देता है। भारतीय शास्त्रीय संगीत ने प्रमुख जैज़ कलाकारों जैसे सैक्सोफोनिस्ट जॉन कोल्ट्रेन (John Coltrane) और गिटारवादक जॉन मैकलॉघलिन(John McLaughlin) को भी प्रभावित किया
नवंबर 2011 में, संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने आधिकारिक रूप से 30 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय जैज दिवस (International Jazz Day) के रूप में मनाने का निर्णय किया। जिसकी अध्यक्षता और नेतृत्व यूनेस्को के महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले (Audrey Azoulay) और दिग्गज जैज़ पियानो वादक और संगीतकार हर्बी हैनकॉक( Herbie Hancock) करते हैं। जैज दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य विश्व के संगीत प्रेमियों को खासकर जैज संगीत के प्रशंसकों को एक मंच पर लाने का था। हर साल 30 अप्रैल को जैज़ संगीत दिवस के दिन विश्व शांति को बढ़ावा देने, संस्कृतियों के बीच बेहतर संवाद स्थापित करने , मानवीय विविधताओं के प्रति सम्मान प्रकट करने, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने, जैसे महान लक्ष्य निर्धारित किये जाते हैं।
संदर्भ
https://s.si.edu/2QYyabC
https://s.si.edu/3tV1jmN
https://bit.ly/3eCSmIj
https://bit.ly/3tQxmUN
चित्र संदर्भ
1. अंतराष्ट्रीय जैज़ दिवस का चित्रण (Freepik)
2. वाद्य यन्त्र का चित्रण (freepik)
3. जैज़ कलाकारों का चित्रण (Youtube)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.