भारत के कोविड-19 के टीकों के बारे में हम कितना जानते हैं?

विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
24-04-2021 01:37 PM
भारत के कोविड-19 के टीकों के बारे में हम कितना जानते हैं?
कोरोना महामारी पर नियंत्रण के लिए दुनिया के कई देशों में टीकाकरण अभियान चल रहा है।टीकाकरण हमें दो चीजों में मदद करता है: एक, यह मृत्यु दर को कम करता है, और दूसरा यह है कि इससे कोरोना मामलों की संख्या में भी कमी आएगी। कोरोना में अस्सी प्रतिशत मौतें 50 साल से ऊपर के लोगों में ही होती हैं, जो मधुमेह, किडनी रोग, पुरानी सांस की बीमारियों जैसी अन्य गंभीर बीमारियों से पहले से ही ग्रस्त हैं।यदि हम इस आयु के वर्ग में इस बीमारी की गंभीरता को कम करने में सक्षम हो जाते हैं, तो हम मृत्यु दर को कम करने में भी सक्षम होंगे। इसके अलावा, यदि हम उन लोगों के साथ मिलकर जिनमें स्वाभाविक रूप से प्रतिरक्षा विकसित हो चुकी हैं क्योंकि उन्हें बीमारी पहले से थी, लोगों की एक विशिष्ट संख्या का टीकाकरण करने में सक्षम बन जाते हैं, तो ये हमें प्रतिरक्षा हासिल करने में मदद करेगा और हमें काफी हद तक एक सामान्य जीवन में लौटने में मदद करेगा।यह कोरोना की दूसरी लहर के बढ़ने से पहले कोविड-19 के प्रसार के बारे में प्रमुख विचार थे।वर्तमान में टीकाकरण से जुड़ी सूचनाएं और सुझाव कई बार आपको पेचीदा लग सकते हैं, लेकिन कुछ बुनियादी तथ्य हैं जो आपकी यह समझने में मदद करेंगे कि एक वैक्सीन (Vaccine) आख़िर काम कैसे करती हैं। वैक्सीन क्या है? एक वैक्सीन हमारे शरीर को किसी बीमारी, संक्रमण या वायरस से लड़ने के लिए तैयार करती है। वैक्सीन में किसी जीव के कुछ निष्क्रिय अंश होते हैं जो बीमारी का कारण बनते हैं, इससे हमारे शरीर के 'इम्यून सिस्टम' (immune system) यानी प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमण या आक्रमणकारी वायरस की पहचान करने के लिए प्रेरित हो जाता है और उसके ख़िलाफ़ शरीर में एंटीबॉडी (Antibodies) बनाता है जो बाहरी हमले से लड़ने में हमारे शरीर की मदद करती हैं। देश की ड्रग नियामक संस्था ने माना है कि रूस (Russia) में विकसित कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक V (Sputnik V) सुरक्षित है, यह वैक्सीन ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका (Oxford-AstraZeneca) की कोविशील्ड (Covishield) वैक्सीन की तरह ही काम करता है। साइंस जर्नल 'द लैंसेंट' (Lancet Journal) में प्रकाशित आख़िरी चरण के ट्रायल (trial) के नतीजों के अनुसार स्पुतनिक V कोविड-19 के ख़िलाफ करीब 92% मामलों में सुरक्षा देता है। अब तक भारत में कोविड-19 से बचने की तीन वैक्सीन हो गई हैं, सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया (Serum Institute of India) और ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका के सहयोग से बनी कोविशील्ड (Covishield), भारत बायोटेक (Bharat Biotech) की कोवैक्सीन (Covaxin) और रूस की स्पुतनिक V।अब तक देश में 1.35 करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं और इसके साथ ही देश में तीसरे टीके के रूप में स्पुतनिक V को मंजूरी मिली गई है। केंद्र सरकार के अनुसार जुलाई अंत तक देश की 'प्राथमिकता सूची' (priority people) के 25 करोड़ लोगों का टीकाकरण करना है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि देश में टीकाकरण की गति अपेक्षा से धीमी है। ऐसे में यह लक्ष्य तभी हासिल हो सकता है जब यह मुहिम और तेज़ हो जाये। तो चलिये जान लेते है कि इन वैक्सिनों के बुनियादी तथ्य क्या हैं: स्पुतनिक V: मॉस्को के गैमालेया इंस्टीट्यूट (Moscow's Gamaleya Institute)द्वारा विकसित इस वैक्सीन के ट्रायल के अंतिम नतीजे सामने आने के पहले ही इसकी मंज़ूरी के चलते शुरू में कुछ विवाद उत्पन्न हो गया था। हालांकि वैज्ञानिकों के अनुसार अब इसके फ़ायदे जाहिर हो गए हैं। इसे विकसित करने के लिए ठंड का कारण बनने वाले वायरस का इस्तेमान किया गया है, यह वायरस, कोरोना वायरस के छोटे अंश को शरीर में डालने के लिए वाहक के रूप में कार्य करता है। कोरोना के आनुवंशिक कोड का एक अंश जब शरीर में जाता है तो इम्यून सिस्टम बिना शरीर को बीमार किए इस ख़तरे को पहचानकर उससे लड़ना सीख जाता है। इसकी दूसरी खुराक पहली के 21 दिन बाद लगायी जाती है। कोवैक्सिन : कोवाक्सिन एक निष्क्रिय टीका है जिसका अर्थ है कि यह निष्क्रिय कोरोना वायरस से बना है, जिससे शरीर में इंजेक्शन द्वारा डाला जाता है। भारत बायोटेक जोकि 24 वर्ष से वैक्सीन निर्माता के तौर पर काम कर रहे हैं, इन्होंने भारत के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (India's National Institute of Virology) द्वारा चुने गए पृथक कोरोनो वायरस के नमूने का इस्तेमाल किया है। इस वैक्सीन की प्रभावकारिता दर 81% है। शरीर की इम्यून कोशिकाएं टीका लगाने के बाद मरे हुए वायरस को भी पहचान लेता है, इसके बाद वह इम्यून सिस्टम को इस वायरस के ख़िलाफ़ एंटीबॉडी बनाने को प्रेरित करती हैं। इस वैक्सीन के दोनों ख़ुराकों के बीच चार हफ़्तों का अंतर रखा जाता है। इसे दो से आठ डिग्री के तापमान पर स्टोर किया जा सकता है। कोविशिल्ड: ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन को दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया भारत में बना रही है। इस कंपनी का कहना है कि वह एक महीने में इसके छह करोड़ से ज्यादा खुराक बना लेगी। इस टीके का विकास चिंपाज़ी (chimpanzees) में ठंड पैदा करने वाले वायरस (एडेनोवायरस- adenovirus) के कमज़ोर संस्करण से किया गया है| इसे कोरोना वायरस जैसा लगने के लिए संशोधित गया। हालांकि जब इसे शरीर में डाला जाता है तो इससे कोई बीमारी नहीं होती। जब इसे शरीर में टीके के रूप में इंजेक्ट किया जाता है तो यह इम्यून सिस्टम को एंटीबॉडी बनाने के लिए प्रेरित करता है और जब कोरोना वायरस का संक्रमण होता है तो एंटीबॉडी को हमले के लिए उकसाता है।चार से 12 हफ्तों के अंतराल पर इसकी दो खुराक लोगों को दी जाती है।वहीं अप्रकाशित आंकडों से पता चला कि पहली और दूसरी खुराक के बीच एक लंबा अंतर रखने से वैक्सीन का कुल प्रभाव बढ़ जाता है। एक उप-समूह में इस तरह से पहली खुराक देने के बाद टीके को 70 फ़ीसद तक प्रभावी पाया गया। परंतु जैसे-जैसे वायरस फैल रहा है वैसे वैसे ये जैविक रूप में अपनी प्रकृति को बदल रहा है, वह अपने नए प्रकारों के साथ साथ टीकों के लिए प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पैदा कर रहा है और यह एक समस्या बनता जा रहा है जैसे कि दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में B.1.351 संस्करण पहली बार दिसंबर 2020 में मिला,B.1.1.7 पहली बार दिसंबर 2020 में यूनाइटेड किंगडम में मिला और P.1, पहली बार जनवरी 2021 में ब्राजील के यात्रियों के बीच जापान में पहचाना गया।इनके अलावा न्यूयॉर्क (New York) में B.1.526 और कैलिफोर्निया (California) में B.1.427/B.1.429 पहचाने गये थे। वायरस के इन नए प्रकारों में मौजूदा वैक्सीन के प्रति प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो सकती है जिसके चलते मौजूदा वैक्सीन नाकाफ़ी साबित हो सकती हैं।इसलिए हमें वैक्सीन डिज़ाइनों को फिर से तैयार करना होगा क्योंकि बड़ी संख्या में वैक्सीन से वंचित जनसंख्या वायरस के नए वेरिएंट यानी प्रकारों के पनपने का कारण बन सकती है। यह समस्या वायरस के संभावित अधिक संक्रमणीय, वैक्सीन-प्रतिरोधी वेरिएंट के विकास को बढ़ावा दे सकती है जो महामारी को लम्बा खींचने की दिशा में काम कर सकती है, जिससे अंततः हमारा देश आर्थिक रूप से पीछे जा सकता है।अन्य सबसे बड़ी बाधा अशिक्षित लोगों का एक बहुत बड़ा प्रतिशत है, जो किसी भी कारण से टीके नहीं लेते हैं, इसके समाधान के लिये हमे लोगों को जागरूक करना होगा और विभिन्न नये वैरिएंटों के लिए सभी कंपनियां अपने टीकों को नए सिरे से तैयार करने पर काम कर रही हैं।आइये इस विभिन्न टीकों की तुलना करे और जाने ये कैसे भिन्न हैं?


संदर्भ:
https://bbc.in/2QezOWJ
https://bit.ly/3gvKhry
https://bit.ly/3tMfYk0
https://bit.ly/2QNuB7U
https://bit.ly/2QMVB7E

चित्र सन्दर्भ:
1.COVID-19 वैक्सीन युक्त शीशियों को टीकाकरण की तैयारी में एक मेज पर(wikimedia)
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