938 किलोमीटर की लंबाई वाली शारदा नहर उत्तर प्रदेश की सबसे अधिक लंबी नहर है। नेपाल की सीमा के निकट स्थित ‘बनबसा’ (Banbasa) (उत्तराखण्ड) नामक जगह से इसका उद्गम हुआ है। 1920 से 1928 के बीच बन कर तैयार हुई कई शाखाओं वाली इस नहर से पीलीभीत, बरेली, शाहजहांपुर, लखीमपुर, हरदोई, सीतापुर, बाराबंकी, लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़ और प्रयागराज आदि जिलों की सिंचाई होती है। लखनऊ शहर में तो गोमतीनगर और इंदिरानगर के तकरीबन 5 लाख लोगों को पानी की आपूर्ति इसी नहर से की जाती है।
गोमती नदी के अतिरिक्त शारदा नहर के जल से भी लाभान्वित होने वाले लखनऊ शहर में इसके किनारे सड़क परियोजना चलाई जा रही है ताकि भारी वाहन शहर के बाहर से आसानी से गुजरते रहें। इस सड़क निर्माण परियोजना के तहत शारदा नहर के दोनों और 3-3 लेन की एक सड़क का निर्माण होगा जो कि अब तक 90% पूर्ण भी हो चुका है। नई दरों के आने के बाद अब इस परियोजना की लागत बढ़कर 29747.63 हो गई है। इस सड़क परियोजना के पूर्ण होते ही शहर से भारी वाहनों की आवाजाही बंद कर प्रदूषण से मुक्ति पाई जा सकेगी। भारी वाहन बाहर से ही आसानी से गुजर जाया करेंगे। ऐसी परियोजनाओं से बेशक शहर का व्यवस्थित रूप से विकास होता है परंतु इससे कई बार भ्रष्टाचार के कारण अतिक्रमण की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। जैसा अभी हाल ही में आई एक खबर से पता चला है कि सिंचाई विभाग के कर्मचारियों ने पीजीआई (PGI) के कल्ली पश्चिम (Kalli West) में स्थित शारदा नहर की 2.558 हेक्टेयर जमीन एक बिल्डर को गैरकानूनी रूप से दे दी और उस पर कब्जा करवा दिया। नदियों, नहरों पर होने वाले अतिक्रमण से उन पर हुए दुष्परिणामों से हम अनभिज्ञ नहीं है। सरकारी जमीन के साथ ही जल स्रोतों पर हुए अतिक्रमण को सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए और उसे खत्म करने का हर संभव प्रयास करना चाहिए।
शारदा नहर लखनऊ के गोमतीनगर और इंदिरानगर के निवासियों के लिए होने वाली पानी की आपूर्ति का स्रोत है। वर्ष भर से इन क्षेत्रों में 14 से 16 घंटों की पानी की आपूर्ति की जाती है, परंतु हर छह महीने बाद यह 1 महीने के लिए साफ-सफाई की वजह से बंद कर दी जाती है। उस समय शहर के यह हिस्से एक जल संकट से गुजरते हैं। नहर के बंद होने के एक हफ्ते बाद तक लगभग हर दिन 4 से 5 घंटे की सप्लाई भंडार किए गए जल से हो जाती है। फिर ट्यूबवेल और टैंकरों से इन क्षेत्रों में पानी पहुंचाया जाता है।
इस व्यवस्था से स्थानीय लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उनका कहना है कि वे हर वर्ष में दो बार कृत्रिम जल संकट से जूझते हैं। अभी तक प्रशासन ने कोई ठोस कदम इस ओर नहीं उठाया है जिससे उनकी मुश्किलों में कोई कमी नहीं आ रही है। प्रशासन को ऐसे विकल्प खोजने चाहिए जिससे कि पानी की जरूरी आपूर्ति भी बनी रहे और नहर की सफाई का काम भी हो सके। सरकार लंबे अंतराल की सुविधा के लिए वर्षा जल संग्रहण की ओर गंभीरतापूर्वक ध्यान देकर उसे संग्रहित कर सकती हैं। छोटे तालाब या नदी-जल की भंडारण क्षमता बढ़ाकर संकट को सुलझा सकते हैं। विकल्प जो भी हो परंतु उन्हें खोजने एवं उन पर कार्य करने के लिए प्रशासन को ही जिम्मेदारी लेनी होगी।
नहर (canal) एक मानव निर्मित ऐसा जलमार्ग है जो विभिन्न जल स्रोतों को जोड़ने का कार्य करती है। नहरें परिवहन से सिंचाई एवं जलापूर्ति के लिए प्रयोग की जाती हैं। इन पर कहीं-कहीं विद्युत बनाने का कार्य भी लिया जाता है। हिंदी का नहर शब्द हिब्रू भाषा के नह्र से आया है जिसका एक अर्थ है प्रवाह। नहरों के प्रयोग का इतिहास काफी पुराना है। मेसोपोटामिया (Mesopotamia) की प्रसिद्ध सभ्यता में यूफ्रिटीज़ नदी (Euphrates) और टिगरिस (Tigris) नदी को जोड़ने के लिए नहर बनाई गई थी।
नदियों के विपरीत नहरों में जलप्रवाह पर पूर्ण रूप से नियंत्रण होता है जिससे जल का कुशलतापूर्वक प्रयोग हो पाता है और जल संसाधन का दुरुपयोग भी बचता है। नहरों से कई प्रकार के कार्यों के लिए जल की आपूर्ति की जाती है अतः इनका सुचारू रूप से कार्यरत रहना अत्यंत आवश्यक है। इन्हें सही स्थिति में रखने के लिए उनका भी रखरखाव किया जाता है क्योंकि ऐसा ना करने से वह सही ढंग से जलापूर्ति नहीं कर पाएंगी। नहरों की खुदाई और साफ-सफाई उनके अच्छे बहाव के लिए अति आवश्यक है जो हर साल लगभग 2 बार होनी ही चाहिए। नहरों में किसी भी तरह की सेंध को तुरंत भर देना चाहिए और इस प्रकार से उनके तट बनाने चाहिए कि ऐसी सेंध ना हो। इससे जल की बर्बादी और अल्प बाढ़ आने से होने वाला अन्य नुकसान भी बचता है। साफ सफाई करते वक्त या ध्यान देना भी जरूरी है कि नहर के तल और किनारों पर उगे खरपतवार को भी पूर्ण रूप से हटा दिया जाए। नहर की पटरियों का भी खास ख्याल रखना चाहिए क्योंकि उनके कमजोर होने से पानी का रिसाव संभव है।
नहर के सुचारू रूप से कार्य करते रहने के लिए उसकी सफाई होना अति आवश्यक है। अतः शारदा नहर की सफाई होना एक सामान्य प्रक्रिया है। परंतु स्थानीय निवासियों को असुविधा ना हो और जलापूर्ति बनी रहे इसके लिए प्रशासन को शीघ्र ही गंभीरतापूर्ण कोई कदम उठाना होगा।
संदर्भ:
https://bit.ly/3tOZhEY
https://bit.ly/3tOOtqv
https://bit.ly/3tRXr6o
https://bit.ly/3aVATc8
चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर में बिसवां के पास शारदा नहर को दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
दूसरी तस्वीर में लखनऊ के पूर्वी इलाके में शारदा नहर दिखाई गई है। (विकिमीडिया)
तीसरी तस्वीर में लखनऊ स्थित शारदा बाँध को दिखाया गया है। (पब्लिकडोमेनप्रीचर्स)
अंतिम चित्र में शारदा सागर बाँध का चित्रण है। (unsplash)