भारत में कैंसर के प्रचलित प्रकार

विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
29-01-2021 11:03 AM
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भारत में कैंसर के प्रचलित प्रकार
कैंसर भारत के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बनता जा रहा है। वर्ष 2018 में विश्व में कैंसर से लगभग 96 करोड़ लोग कैंसर के कारण मर गए जिसमें 8.17% भाग भारत का था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर 6 में से 1 व्यक्ति कैंसर का शिकार हो कर मर जाता है। भारत में यह आंकड़ा और भी भयावह है, हर दिन यहाँ औसतन 1300 मौतें कैंसर के कारण हो जाती हैं। कैंसर शरीर में कोशिकाओं के अनियंत्रित विभाजन से होता है जो ट्यूमर का आकार ले लेता है। यह शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है। कैंसर होने का कोई मूल कारण विज्ञान जगत के पास अब तक नहीं है। हालांकि कुछ जोखिम इसे बढ़ाने का कार्य अवश्य करते हैं, जैसे-
• उम्र- वैज्ञानिक अनुसंधानों में यह बात सामने आई है कि कैंसर का उम्र से संबंध है। वैसे तो कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन यह देखा गया है कि अक्सर 65-74 वर्ष की आयु के लोगों में कैंसर के केस अधिक मिलते हैं।
• शराब- अल्कोहल (Alcohol) युक्त शराब पीने से गले, मुंह, यकृत और स्तन के कैंसर का खतरा अधिक बढ़ जाता है।
• तम्बाकू- तम्बाकू सेवन भारत में कैंसर होने का सबसे बड़ा कारण है। तम्बाकू में ऐसे बहुत से रसायन होते हैं जो डी. एन. ए. (DNA) को नुकसान पहुंचा कर कैंसर का खतरा बढ़ा देते हैं।
• इन सब के अलावा कुछ हार्मोन (Hormones) तथा औद्योगिक रसायन भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। यदि परिवार में किसी को कैंसर रह चुका है तो अन्य व्यक्तियों में भी कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। अल्प खुराक, शारीरिक व्यायाम न करने या मोटापा होने से भी कैंसर का खतरा बढ़ता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार भारत में कैंसर के कुल मरीजों की आधी से अधिक संख्या महिलाओं की है। अन्य प्रकार के कैंसर की अपेक्षा महिलाओं में स्तन कैंसर के केस सबसे अधिक मिलते हैं। 1990 से 2016 के बीच स्तन कैंसर के मरीजों की संख्या में 39% की वृद्धि हुई है। स्त्रियों के लिए दूसरा सबसे घातक कैंसर है गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर। पुरुषों में होंठ, मुंह, गले और फेफड़ों का कैंसर सबसे अधिक पाया जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े कहते हैं कि कैंसर से होने वाली लगभग 70% मौतों में विकासशील या गरीब देशों के लोग हैं। अधिकतर मौतें जागरूक न होने और सही समय पर जांच न कराने के कारण होती हैं। ज्यादातर लोग कैंसर को लाइलाज मानते हैं जो कि सच नहीं है। यदि शुरुआती दौर (स्टेज) में कैंसर का पता चल जाए तो इसका इलाज संभव है। हालांकि यह सच है कि गरीब देशों में लोगों की आय कम होने से उनके लिये कैंसर का महंगा इलाज कराना संभव नहीं हो पाता। कैंसर के इलाज तक लोगों की पहुंच संभव न हो पाना भी इस बीमारी के इतना घातक होने का कारण है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल (NHP) 2019 के अनुसार भारत में सामान्य प्रकार के कैंसर के सबसे अधिक मामले गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में मिले हैं। आंध्र प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में भी कैंसर के मरीजों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। Journal of Global Oncology की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड एवं उड़ीसा जैसे राज्यों में आने वाले समय में कैंसर का प्रकोप और बढ़ेगा। इसका कारण है यहाँ की बड़ी जनसंख्या के अनुपात में कम स्वास्थ्य सुविधाओं का होना। वहीं खराब जीवन-शैली, साक्षरता न होने से कैंसर के प्रति जागरूकता की कमी एवं अत्यधिक तम्बाकू-सेवन स्थिति को और बुरा बना रहा है। यहाँ पित्ताशय, गले एवं सिर के कैंसर के सबसे अधिक मामले सामने आते हैं। गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में तम्बाकू और पान मसाले के सेवन की वजह से सबसे अधिक सिर और गले का कैंसर पाया जाता है। वहीं पंजाब तथा मालवा-क्षेत्र में गुर्दे, मूत्राशय एवं स्तन कैंसर अधिक होते हैं। पश्चिम बंगाल में वायु एवं जल प्रदूषण के कारण फेफड़े और मूत्राशय का कैंसर अधिक मिलता है। उत्तर पूर्वी राज्यों में कैंसर खासकर ग्रासनली के कैंसर के मामले सबसे तेज दर से बढ़ रहे हैं। कारण है- तम्बाकू-सेवन और लकड़ी के ईंधन का धुआं। दक्षिणी तथा तटीय भारत में भोजन में अधिक नमक तथा मसाले के कारण पेट का कैंसर अधिक होता है।
भारत में कैंसर एक विकराल रूप धारण करता जा रहा है। इससे लड़ने के लिए सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने होंगे। सस्ते तथा अच्छे इलाज को उपलब्ध कराने के साथ ही लोगों में कैंसर को बढ़ाने वाले कारणों के प्रति जागरूकता भी लानी होगी। कैंसर के इलाज के लिए कारगर उपाय खोजने के लिए सरकार को अनुसंधान एवं प्रयोगों के लिए और अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए।
संदर्भ:
https://www.thebetterindia.com/74188/cancer-awareness-india/
https://bit.ly/2Ymtlcq
https://bit.ly/3t7Lzg0
https://bit.ly/3r1PWaQ
https://bit.ly/3agMQZs
चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर कैंसर का लोगो दिखाती है। (unsplash)
दूसरी तस्वीर में सेवा स्वयं सेवकों को कैंसर वाले बच्चों के साथ दिखाया गया है। (unsplash)
तीसरी तस्वीर में कैंसर कोशिकाओं को दिखाया गया है। (unsplash)
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