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हम में से लगभग सभी का अपना एक निजी वाहन लेने का सपना होता है, जिसे हम अपनी वर्षों भर की पूंजी को इकट्ठा करके कभी न कभी पूर्ण कर लेते हैं। वाहन खरीदना एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण फैसला होता है। लेकिन एक नया वाहन खरीदने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों का आवश्यक ध्यान रखना चाहिए, जैसे वाहन खरीदने के लिए कितनी राशि उपलब्ध होनी चाहिए और वाहन खरीदने के बाद उसमें लगभग कितना खर्चा आता है।
1) सर्वप्रथम कोशिश करें कि आपके पास डाउन पेमेंट (Down payment) देने के लिए अधिकतम राशि हो। क्योंकि जितनी अधिक डाउन पेमेंट आप देंगे उतने कम पैसों पर आपको ब्याज देने की आवश्यकता होगी और आपकी किस्तें भी अधिक नहीं होंगी।
2) केवल अपनी नौकरी पर निर्भर रहते हुए वाहन को न खरीदे, वाहन को खरीदते समय आपके पास कुछ अतिरिक्त राशि उपलब्ध होनी चाहिए। इसका कारण यह है कि यदि कुछ दुर्घटना होती है या अचानक नौकरी छूट जाती है, तो आपके पास न केवल दैनिक जरूरतों को बल्कि कम से कम 5-6 महीनों तक किस्तें देने के लिए पर्याप्त बचत होनी चाहिए।
3) वाहन खरीद जैसा बड़ा कदम उठाने से पहले प्राथमिकता को देखने की भी आवश्यकता होती है। वास्तविक ज़रूरत और सही मूल धन होने पर ही नयी गाड़ी खरीदने की ओर जाना चाहिए।
कोई भी वाहन खरीदते समय हमें लगता है कि उसके दैनिक खर्चा केवल ईंधन भराना ही होता है। हालांकि वाहन की वास्तविक दैनिक चलने की लागत काफी अलग होती है। वाहन के वास्तविक दैनिक चलाने की लागत को समझने के लिए, दैनिक ईंधन की खपत के अलावा, हमें दैनिक मूल्यह्रास और दैनिक रखरखाव लागत को भी ध्यान में रखना होगा।
दैनिक मूल्यह्रास: दैनिक मूल्यह्रास की अवधारणा एक बहुत महत्वपूर्ण तथ्य है जिसे हम आमतौर पर नजरअंदाज कर देते हैं। मान लीजिए, आपकी नई कार की कीमत 6 लाख रुपये है। अब आप कार को कुछ अवधि (तीन साल तक मान लें) के लिए अपने पास रख लेते हैं, और फिर आप कार को बदलने का निर्णय लेते हैं। मान लीजिए, आपको अपनी कार के पुनर्विक्रय मूल्य के रूप में 2.5 लाख रुपये मिलते हैं। तो कार के मूल्य में मूल्यह्रास या हानि प्रारंभिक और पुनर्विक्रय लागत का अंतर है यानी रुपये 3.5 लाख [6 लाख - 2.5 लाख]। इसका मतलब है कि लगभग 3.5 लाख रुपये आपने तीन साल की अवधि के लिए वाहन को अपने पास रखने के लिए खर्च किए थे। यदि हम दिनों के संदर्भ में बात करते हैं, तो दैनिक मूल्यह्रास प्रति दिन 320 रुपये [3,50,000 / 365X3] आता है, इस प्रकार, आप कह सकते हैं कि आपने अपने वाहन के लिए कंपनी को किराए की तरह प्रतिदिन 320 रुपये का भुगतान किया। यह राशि सिर्फ वाहन को अपने पास रखने के लिए है। चूंकि आप वाहन खरीदते समय पहले दिन यह सारा पैसा चुका देते हैं।
दैनिक ईंधन लागत: मान लीजिए, आप एक सामान्य भारतीय शहर में रह रहे हैं, जहां आप औसतन 12 किमी / दिन की यात्रा करते हैं। अगर हम मानते हैं कि आपकी कार औसतन 12 किमी / लीटर दे रही है, तो आप प्रतिदिन एक लीटर पेट्रोल का भुगतान करेंगे, यानी 50 रुपये।
दैनिक रखरखाव लागत: इसमें वाहन का बीमा, इसकी मरम्मत और समयबद्ध सेवाएं शामिल हैं। मान लीजिए अगर आप हर साल इन सभी के लिए 20,000 रुपये का भुगतान कर रहे हैं, तो वाहन की दैनिक रखरखाव लागत 55 रुपये (20,000 / 365) होगी।
वास्तविक परिचालन लागत: कार खरीदने के बाद यदि आप इसे रोज चलाते हैं तो आपके वाहन की वास्तविक दैनिक चलाने की लागत, दैनिक मूल्यह्रास का मूल्य होगा (320 रुपये), दैनिक ईंधन लागत (50 रुपये) और दैनिक रखरखाव की लागत (55 रुपये) अर्थात 425 रुपये होगा। यदि हम ऐसी स्थिति पर विचार करते हैं जिसमें आप कार खरीदते हैं, लेकिन उसे नहीं चलाते हैं, लेकिन फिर भी आपको प्रति दिन 375 रुपये खर्च करने होंगे। अब आप आसानी से महसूस कर सकते हैं, वास्तविक दैनिक परिचालन लागत में (यानी 425 रुपये) केवल 12% पेट्रोल द्वारा साझा किया जाता है।
इसलिए, केवल तभी वाहन खरीदें जब आपको वास्तव में इसकी आवश्यकता हो और एक बार जब आप इसे प्राप्त कर लें तो इसे चलाएं और मोटरघर में न रखें। ये तथ्य और आँकड़े मुख्य रूप से एक सामान्य मामले के लिए हैं। साथ ही उपरोक्त दी गई जानकारी का अनुसरण करने से पहले कृपया अपने संदर्भ में तथ्यों का विश्लेषण करें और यदि आवश्यक हो, तो अपने वित्तीय सलाहकारों से परामर्श करें। वाहन की प्रारंभिक लागत या एक दिन में आवृत किए गए माइलेज की क्षमता भिन्न हो सकती है। चलिए ये तो हुई एक वाहन को खरीद ने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें, अब हम चर्चा करते हैं कि एक व्यक्ति के लिए सार्वजानिक परिवहन, निजी वाहन और साझा वाहनों में से कौन सा विकल्प सही और सटीक होता है। एक कार खरीदने में कितना खर्चा आता है इसके बारे में तो हम आपको ऊपर बता ही चूकें हैं, तो मान लेते हैं कि एक कार के मालिक को प्रति किलोमीटर पर लगभग 23-42 रुपये का खर्चा भुगतना पड़ेगा, वहीं यदि ओला/ऊबर (Ola/Uber) की बात की जाएं तो वे प्रति किलोमीटर में लगभग 20 रुपये लेते हैं।
साथ ही निजी उपयोग के लिए गाड़ी खरीदने की तुलना में सार्वजानिक परिवहन और साझा वाहन ज्यादा उपयुक्त होते हैं। हालांकि ये प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकता और स्थिति पर भी निर्भर करता है। जैसा की हम सब जानते ही हैं कि हाल ही में आए कोरोना महामारी के कारण सब लोग काफी भयभीत हो चुके थे। बीमारी फैलने के डर की वजह से लोगों ने सार्वजनिक और साझा किए जाने वाले वाहनों का उपयोग बंद कर दिया, जिससे यातायात के इस क्षेत्र को भारी नुकसान देखना पड़ा। लेकिन जो लोग पहले से वाहन खरीद ने का विचार बना रहे थे उन्होंने इस समय को सही समझा, जिससे वाहन विक्रेताओं और किराये में वाहन देने वाली कंपनियों को काफी मुनाफा हुआ। हालांकि सामाजिक दूरी और सुरक्षा के नियमों का पालन करते हुए लोगों द्वारा सार्वजनिक और साझा वाहनों का उपयोग दुबारा से शुरू कर दिया गया है।
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