समयसीमा 229
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 963
मानव व उसके आविष्कार 757
भूगोल 211
जीव - जन्तु 274
Post Viewership from Post Date to 18- Jan-2021 (5th day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2098 | 54 | 0 | 0 | 2152 |
व्यस्त जीवन और अस्वस्थ भोजन (वैश्विक खाद्य बाजारों में भारत के निरंतर एकीकरण के बाद से अस्वास्थ्यकर, प्रसंस्कृत भोजन बहुत अधिक सुलभ हो गया है।) का सेवन करने के कारण भारत में मोटापा पिछले कई सालों से उल्लेखनीय रूप से बढ़ता जा रहा है। हालांकि भारत 191 देशों में से 187 वें स्थान पर है, लेकिन मोटापे और चयापचय लक्षण का प्रसार तेजी से बढ़ रहा है, जिससे टाइप 2 मधुमेह मेलिटस (Type 2 Diabetes Mellitus) और हृदय रोग के कारण रुग्णता और मृत्यु दर में वृद्धि हुई है। मोटापे का सामना कर रही 95% से अधिक आबादी के साथ नाउरू (Nauru) इस सूची में सबसे ऊपर है। भारत में उत्तर प्रदेश में पुरुष मोटापे के मामले में 17 वें और भारत के सभी राज्यों में महिला मोटापे के मामले में 16 वें स्थान पर हैं। उपापचयी लक्षण और सम्बंधित हृदय जोखिम कारकों का एक उच्च प्रसार न केवल शहरी दक्षिण एशियाई और एशियाई भारतीय वयस्कों और बच्चों में देखा गया है, बल्कि शहरी झुग्गियों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले आर्थिक रूप से वंचित लोगों में भी देखा गया है जिसके प्रमुख कारक पोषण, जीवन शैली और सामाजिक आर्थिक बदलावों में तीव्रता है। ये कारक संपन्नता, शहरीकरण, मशीनीकरण और ग्रामीण-से-शहरी प्रवास का कारण बनते हैं और शहरी जीवन में मनोवैज्ञानिक तनाव, आनुवंशिक पूर्वानुकूलता, प्रतिकूल प्रसवकालीन वातावरण, बचपन में ही होने वाले मोटापे को जन्म देते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, प्रशांत द्वीप देशों ने वैश्विक मोटापे की सूची में शीर्ष सात स्थानों पर कब्जा किया है, जिसका मुख्य कारण देश के नागरिकों द्वारा खाया जाने वाला असंतुलित तथा अस्वास्थ्यकर आहार है। जो लोग पहले मछली, नारियल और पौष्टिक सब्जियां खाते थे, वे अब आयातित प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ खाते हैं, जिनमें चीनी और वसा की मात्रा उच्च होती है। तालिका में प्रथम स्थान पाने वाले नॉरू में 97 फीसदी पुरुष और 93 फीसदी महिलाएं अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं। यहां की 95% से अधिक जनसंख्या को मोटापे का सामना करना पड़ रहा है। इस क्षेत्र में मधुमेह दर की स्थिति विश्व में सबसे खराब है। यहां मोटापे की वजह से हुए हृदय रोग और कैंसर (Cancer) जैसी बीमारियां अक्सर मृत्यु का कारण बनती हैं। वयस्कों में मधुमेह अब दुनिया की तीसरी समस्या है। निश्चित रूप से यह एकमात्र जगह नहीं है जहां वजन और रोग एक बड़ा मुद्दा हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका (United State Of America) में 78 प्रतिशत से अधिक लोग अधिक वजन वाले या मोटे हैं जबकि ब्रिटेन (Britain) में यह आंकड़ा 61 फीसदी से ज्यादा है।
वहीं शरीर द्रव्यमान सूचकांक, एक सुविधाजनक सिद्धांत है जिसका उपयोग मोटे तौर पर किसी व्यक्ति को कम वजन, सामान्य वजन, अधिक वजन के रूप में या ऊतक द्रव्यमान (मांसपेशियों, वसा और हड्डी) और ऊंचाई के आधार पर मोटापे को वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है। आमतौर पर स्वीकृत शरीर द्रव्यमान सूचकांक सीमा अल्प वजन (18.5 किग्रा प्रति वर्ग मीटर), सामान्य वजन (18.5 से 25), अधिक वजन (25 से 30), और मोटापा (30 से अधिक) हैं। आमतौर पर वे लोग मोटे माने जाते हैं जिनका शरीर द्रव्यमान सूचकांक 30 किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर से अधिक होता है। 25–30 किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर की सीमा पर व्यक्ति को अधिक वजन वाला माना जाता है। शरीर द्रव्यमान सूचकांक, किसी व्यक्ति के द्रव्यमान (वजन) और ऊंचाई से प्राप्त मूल्य है। इसे शरीर द्रव्यमान और शरीर की ऊंचाई के वर्ग के रूप में परिभाषित किया जा सकता है तथा सार्वभौमिक रूप से किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर में व्यक्त किया जाता है।
वहीं यदि आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से वजन बढ़ने का कारण देखें तो वह चक्रीय है। यह आहार और जीवन शैली में संतुलन को कम करने के साथ शुरू होता है जो पहले पाचन अग्नि को कमजोर करता है फिर शरीर में विषाक्त पदार्थों की मात्रा को बढाता है, संचार तंत्र को अवरूद्ध करता है और ऊतकों के निर्माण को बाधित करता है। खराब रूप से गठित ऊतक परतें मेदा धातु और कफ दोष में असंतुलन को बढ़ाती हैं। यह स्वाभाविक रूप से बहने वाली वात ऊर्जा में असंतुलन का कारण बनता है। प्रतिबंधित या असंतुलित वात ऊर्जा बढ़ती अग्नि - पाचन अग्नि के साथ समाप्त होती है जिससे भूख और प्यास में वृद्धि होती है। इस प्रकार कफ दोष और मेदा धातु में वृद्धि होती है और पूरा चक्र फिर से शुरू होता है। चक्र को तोड़ने के लिए, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ व्यक्ति की अद्वितीय प्रकृति और असंतुलन की प्रकृति को निर्धारित करते हैं जिसके अंतर्गत पाचन को मजबूत करना, विषाक्त पदार्थों को दूर करना, आहार की आदतों में सुधार करना, अनुचित दैनिक दिनचर्या को समायोजित करना और तनाव को कम करना शामिल होता है। एक संतुलित वात रचनात्मक, कलात्मक, संवेदनशील, आध्यात्मिक होता है। जब यह असंतुलित होता है तो बेचैनी और चिंता बढ़ जाती है जिसके परिणामस्वरूप नींद की कमी, चिंता, थकान और अवसाद उत्पन्न होते हैं। वात वायु और अन्य तत्वों से जुड़ा होता है, जो अस्थिर मन और दिमाग और परिणामस्वरूप अनियमित भूख का कारण बनता है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से, संतुलन को बाधित करने वाले कारक जीवनशैली और आहार विकल्पों में निहित हैं। आयुर्वेद वजन असंतुलन और मोटापे को एक ऐसी चीज मानता है, जिसे अन्य स्वास्थ्य समस्या में योगदान करने से पहले ठीक किया जाना चाहिए।
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.