समयसीमा 229
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 963
मानव व उसके आविष्कार 757
भूगोल 211
जीव - जन्तु 274
Post Viewership from Post Date to 04- Jan-2021 (5th Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1838 | 276 | 2114 |
जीव न केवल जीवित रहने के लिए बल्कि स्वस्थ और सक्रिय जीवन बिताने के लिए पोषक आहार का सेवन करते हैं। आज विश्व के अधिकांश देशों में कुपोषण का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, जिसके मुख्यतः दो कारण हैं, एक भोजन का अभाव तथा दूसरा ग्रहण किए गए भोजन में आवश्यक पोषक तत्वों का अभाव। हालांकि संयुक्त राष्ट्र अमेरिका (United State of America) की तरह भारत में फूड डेसर्ट (Food deserts) देखने को नहीं मिलते हैं। फूड डेसर्ट आमतौर पर कम आय वाले क्षेत्रों में उत्पन्न होता है, जिसमें ताजे खाद्य पदार्थों वाले सुपरमार्केट (Supermarket) या सब्जी की दुकानों तक उच्च पहुंच वाले क्षेत्र के विपरीत सस्ती और पौष्टिक भोजन तक लोगों की पहुँच सीमित रहती है। नियुक्त खाद्य भंडार के आकार और निकटता के माध्यम से भोजन की पहुंच के अलावा, आबादी के लिए उपलब्ध भोजन के प्रकार और गुणवत्ता पर विचार करता है। 2010 में, संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग ने बताया कि अमेरिका में 23.5 मिलियन (Million) लोग “फूड डेसर्ट” में रहते हैं, अर्थात वे शहरी या उपनगरीय क्षेत्रों में सुपरमार्केट से एक मील से अधिक और ग्रामीण क्षेत्रों में सुपरमार्केट से 10 मील से अधिक दूर रहते हैं।
फूड डेसर्ट में मीट, फल और सब्जियों जैसे ताजे खाद्य पदार्थों के आपूर्तिकर्ताओं की कमी होती है। इसके बजाय, उपलब्ध खाद्य पदार्थ अक्सर संसाधित होते हैं और चीनी और वसा में उच्च होते हैं, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में मोटापे के प्रसार के लिए जाना जाता है। भविष्य में विकल्प सीमित होने के कारण खाद्यियों का डर वास्तविक है, क्योंकि विक्रेताओं के पास केवल मुट्ठी भर सब्जियां उपलब्ध हैं। लोग स्थानीय रूप से उगाए गए खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहेंगे, लेकिन ये ज्यादातर बाजार से गायब हो गए हैं। कुछ मामलों में, यहां तक कि जलवायु परिवर्तन या औद्योगिकरण, निवास के नुकसान के कारण कुछ पौधे विलुप्त हो चुके हैं। अन्य मामलों में, विक्रेताएं सिर्फ ग्राहकों के स्वाद के लिए बिना लाभ वाले विशिष्ट भोजन को बेचना पसंद नहीं करते हैं। जैसे-जैसे भारत में शहरीकरण बढ़ता जा रहा है, देश में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका कि तरह शहरी फूड डेसर्ट बनने में ज्यादा देर नहीं होगी।
वहीं भारत के लिए अच्छी खबर यह है कि शोधकर्ताओं ने पाया कि अधिक सुगठित पड़ोस द्वारा किराने की दुकानों की अधिक संख्या का समर्थन करने की संभावना है और वहीं यहाँ स्वस्थ खाद्य भंडार भी काफी नजदीक पाए जाते हैं। जनसंख्या के सौजन्य से भारत एक बहुत ही सुगठित देश है। इसके अलावा, भारत की विशिष्टता एक बचत अनुग्रह हो सकती है। संयुक्त राज्य अमेरिका के विपरीत, जहां गरीबी रेखा वाले लोग सबसे खराब खाना खा रहे हैं, भारतीय गरीबी रेखा वाले लोगों के पास स्वस्थ भोजन की बेहतर पहुंच है। एक अच्छा उदाहरण दक्षिण दिल्ली में कम दूरी के गोविंदपुरी में सड़क के किनारे सब्जी बाजार है, जहां विभिन्न प्रकार की ताजी मौसमी सब्जियां उपलब्ध हैं। लेकिन ग्रेटर कैलाश (Greater Kailash) के उच्चवर्गीय निवासी, जो यहाँ से केवल 4 किलोमीटर की दूरी पर हैं, ज्यादातर बड़े बिसातख़ाना से खरीदारी करते हैं जहां केवल सीमित किस्म की सब्जियां उपलब्ध हैं। दिल्ली के कई बड़े क्षेत्रों में, सब्जी विक्रेताओं का प्रवेश बहुत प्रतिबंधित है, जबकि रिलायंस फ्रेश (Reliance Fresh) और बिग बास्केट (Big Basket) जैसी ऑनलाइन (Online) दुकानें, जो आजकल लोकप्रिय विकल्प बन गए हैं, सब्जियों की एक सीमित विविधता प्रदान करते हैं।
गिलिलैंड (Gilliland) शहरी फूड डेसर्ट से निपटने के लिए कई रणनीतियों का सुझाव देते हैं और इन्हें भारत में भी लागू किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि शहरों को नियोजन नीतियों का समर्थन करना चाहिए जो आंतरिक शहर की आबादी (जैसे, बेहतर खुदरा परिवहन, आवास और स्कूल) में किराने के खुदरा विक्रेताओं को प्रत्यक्ष प्रोत्साहन प्रदान (जैसे, ज़ोनिंग भत्ते, कर अवकाश, या कर छूट) करके बढ़ावा दें। नगर नियोजक छोटे वैकल्पिक खाद्य खुदरा विक्रेताओं, विशेष रूप से किसान बाजारों को प्रोत्साहित कर सकते हैं। आसपास के क्षेत्र जो प्रत्येक दिन एक किसान बाजार का समर्थन नहीं कर सकता है, उनको गिल्डलैंड एक "मोबाइल मार्केट (Mobile Market)" का सुझाव देता है जो पूरे सप्ताह विभिन्न आसपास के क्षेत्रों का दौरा करता है। टेक्सास (Texas) के अध्ययन शोधकर्ता दीर्घकालिक समाधान बताते हैं जैसे समुदायों को अधिक चलने योग्य बनाने और भूमि की विविधता का उपयोग करने से स्वस्थ भोजन तक पहुंच में सुधार करने से लाभ मिल सकता है।
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.