लखनऊ में सबसे अधिक पायी जाती है, दोमट मिट्टी

भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)
24-12-2020 10:26 AM
Post Viewership from Post Date to 29- Dec-2020 (5th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1621 298 0 0 1919
लखनऊ में सबसे अधिक पायी जाती है, दोमट मिट्टी

हमारा पर्यावरण विभिन्न प्रकार के जैविक तथा अजैविक तत्वों से मिलकर बना है, तथा इनमें से मिट्टी या मृदा भी एक है। भारत एक विविधता सम्पन्न देश है और इसलिए यहां मिट्टी के प्रकारों में भी विविधता देखने को मिलती है। यहां पायी जाने वाली प्रमुख मिट्टी में जलोढ़ मिट्टी, काली मिट्टी, लाल और पीली मिट्टी, लेटराइट (Laterite) मिट्टी, शुष्क मिट्टी आदि शामिल हैं। लखनऊ की बात करें तो, मिट्टी के प्रकारों की विविधता यहां भी मौजूद है तथा यहां आमतौर पर दोमट, बलुआ, सिल्ट (Silt) और चिकनी या मटियार (Clay) मिट्टी पायी जाती है। इनके अलावा इन सभी का मिश्रण भी यहां मौजूद है, जैसे – बलुआ-दोमट मिट्टी, सिल्ट-दोमट मिट्टी, सिल्टी (Silty) दोमट मिट्टी आदि। बलुआ, सिल्ट और चिकनी या मटियार मिट्टी में कुछ न कुछ अंतर होता है, जिसके कारण ये एक दूसरे से अलग हैं। जैसे कि, मटियार मिट्टी के कण अत्यधिक महीन होते हैं, जो एक साथ चिपके रहते हैं। इसलिए इसमें पानी और पोषक तत्वों का संचरण नहीं हो पाता। बलुआ मिट्टी के कण अपेक्षाकृत थोड़ा बड़े होते हैं, जिससे इसमें पानी और पोषक तत्वों का संचरण तीव्र होता है। इसी प्रकार से सिल्ट के कणों का आकार दोनों प्रकारों की तुलना में मध्यम होता है।
लखनऊ में सबसे अधिक पायी जाने वाली मिट्टी, दोमट मिट्टी है। जो बलुआ, सिल्ट और मटियार मिट्टी का मिश्रण है। पौधों द्वारा दोमट मिट्टी अत्यधिक पसंद की जाती है, जिसका मुख्य कारण इसकी पोषक तत्वों को धारण करने की उच्च क्षमता है। इसे कृषि मृदा भी कहा जाता है, क्यों कि, तीन प्रकार की मिट्टी का मिश्रण होने की वजह से यह कृषि के लिए उपयुक्त है। इन तीनों के अलावा इसमें कुछ मात्रा ह्यूमस (Hummus) की भी होती है। अकार्बनिक स्रोतों के कारण दोमट मिट्टी में कैल्शियम (Calcium) और पीएच (pH) का स्तर भी अधिक होता है। यह मिट्टी उपजाऊ होती है तथा उपयोग करने में भी आसान है। इसके अलावा इसकी जल निकासी क्षमता भी उच्च होती है। दोमट मिट्टी का उपयोग दुनिया भर के क्षेत्रों में अपनी उपजाऊ भूमि के लिए प्रसिद्ध कई उत्पादक खेतों में किया जाता है। इसमें पानी धारण करने की क्षमता औसत होती है तथा यह सूखे के लिए प्रतिरोधी है। कुछ दोमट मिट्टी में पत्थर भी पाए जाते हैं, जो कुछ फसलों की बुवाई और कटाई को प्रभावित कर सकते हैं। दोमट मिट्टी बनाने के लिए बलुआ, सिल्ट और मटियार मिट्टी के मिश्रण को कार्बनिक पदार्थों और पानी के साथ मिलाकर हवा में सुखाया जाता है। इसमें मटियार मिट्टी की मात्रा 7% से 27%, सिल्ट की मात्रा 28% से 50% तथा बलुआ की मात्रा 52% या उससे कम होती है। एक अच्छी दोमट मिट्टी में पर्याप्त नमी बनाए रखने के लिए पर्याप्त कार्बनिक पदार्थ होने चाहिए तथा पौधों की वृद्धि के लिए पर्याप्त पोषक तत्वों का होना आवश्यक है। कई फसलों जैसे गेहूं, गन्ना, कपास, दलहन और तिलहन आदि के उत्पादन के लिए दोमट मिट्टी अत्यधिक आदर्श मानी जाती है।
इसके अलावा सब्जियों में टमाटर, मिर्च, हरी फलियां, खीरा, प्याज भिंडी, मूली, बैंगन, गाजर, पालक आदि के लिए भी दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। स्ट्रॉबेरी (Strawberry), ब्लैकबेरी (Blackberry) और ब्लूबेरी (Blueberry) आदि फलों के लिए भी दोमट मिट्टी आदर्श है। हालांकि अनेकों पौधों के लिए यह उपयुक्त मानी जाती है, किंतु यदि आप ऐसे पौधे उगाते हैं जो, हल्की, सूखी मिट्टी पसंद करते हैं, (जैसे कि नागफनी) तो, उनके लिए दोमट मिट्टी आदर्श नहीं है। दोमट मिट्टी के अपक्षरित होने की सम्भावना भी अपेक्षाकृत अधिक होती है। इसमें मौजूद कणों की पारगम्यता कम है, इसलिए इसमें मिट्टी के कणों को अलग करने की प्रवृत्ति होती है। बारिश, हवा आदि के कारण दोमट मिट्टी के सिल्ट और मटियार कण आसानी से अपवाहित हो जाते हैं। इस प्रकार यह पौधों के लिए लाभदायक और हानिकारक दोनों व्यवहार प्रदर्शित करती है।

संदर्भ:
https://bit.ly/34Hj2mS
https://agverra.com/blog/silty-soil/
http://lucknow.kvk4.in/district-profile.html
https://bit.ly/2KwMp4z
https://bit.ly/3axPGLE
https://bit.ly/3nLM78p
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र में लखनऊ में उगने वाले पेड़ और पौधे दिखाई देते हैं। (Prarang)
दूसरी तस्वीर में लखनऊ में खेती की जमीन दिखाई गई है। (Prarang)
आखिरी तस्वीर में पानी के आगे की मिट्टी को दिखाया गया है। (Prarang)
पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.