मानव विकास की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया-क्षुद्रग्रह खनन

खनिज
23-12-2020 10:51 AM
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मानव विकास की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया-क्षुद्रग्रह खनन

विकास के बढ़ते क्रम में मनुष्य न सिर्फ पृथ्वी बल्कि अंतरिक्ष (Space) में मौजूद अन्य ग्रहों (Planets), उपग्रहों (Satellites) और नक्षत्रों (Constellations) में भी निरंतर अपनी खोज करता रहता है। अभी तक के ज्ञात तथ्यों से यह सिद्ध हो चुका है कि अंतरिक्ष में कई ऐसे तत्व उपस्थित हैं जो हम मनुष्यों के लिए विभिन्न प्रकार से उपयोगी और लाभप्रद हो सकते हैं। सौर मंडल (Solar System) में मौजूद क्षुद्रग्रह (Asteroid) उन खगोलीय वस्तुओं (Astronomical Objects) को कहा जाता है जो आकार में ग्रह जितने बडे़ हों या न हों परंतु वे सूर्य की परिक्रमा (orbiting) करते हों। यह एक पूंछ (Tail) वाले धूमकेतु (Comet) के समान नहीं होते हैं। इन क्षुद्रग्रहों से प्राप्त होने वाले कच्चे या मूल पदार्थ (raw materials) को कठोर खनिज (Hard Rock Minerals) की भाँति प्रयोग करने के उद्देश्य से इनका खनन किया जाता है जिसे सरल शब्दों में क्षुद्रग्रह खनन (Asteroid Mining) कहते हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार जिस गति से पृथ्वी पर मानव जनसंख्या (Human Population) बढ़ रही है वह दिन भी आएगा जब मनुष्यों को रहने के लिए पृथ्वी पर पर्याप्त स्थान नहीं मिलेगा और ऐसे में यदि किसी अन्य ग्रह पर हमारे रहने योग्य वातावरण (Environment) नहीं मिल सका तो हमारा जीवन संकट में आ जाएगा और मानव सभ्यता (Human Civilization) का अन्त हो जाएगा। इसी समस्या के समाधान के लिए कई वैज्ञानिक और कई बडे़ उद्यमी जैसे टेस्ला (Tesla) के मालिक एलोन मस्क (Elon Musk) और अ‍ॅमाज़ोन (Amazon) के मालिक जेफ्फ बेज़ोज़ (Jeff Bezos) व उनकी कंपनियाँ (Companies) पृथ्वी से अंतरिक्ष के अन्य ग्रहों तक भ्रमण और किसी अन्य ग्रह पर जीवन की खोज में कार्यरत हैं। अंतरिक्ष में अपनी खोज के दौरान कई कंपनियाँ ऐसे पदार्थों को खोज निकालती हैं जो न केवल उनके लिए पैसे कमाने का साधन (money-making recourse) बन सकते हैं बल्कि मानव विकास को एक नई दिशा भी दे सकते हैं।
टेलिविज़न (Television) और इंटरनेट (Internet) पर अक्सर उल्कापिंडों (Meteorites) व क्षुद्रग्रहों (Asteroids) के पृथ्वी के निकट से गुजरने अथवा टकराने की खबरें आती हैं जिन्हें वैज्ञानिकों द्वारा टेलिस्कोप (telescope) के माध्यम से देखा जाता है। इन क्षुद्रग्रहों से निकलने वाला पदार्थ कई प्रकार से उपयोगी हो सकता है। परंतु स्पेस माइंनिंग (Space Mining) के लिए और फिर उससे प्राप्त पदार्थ पर अध्ययन करने और अंतत: उसे प्रयोग करने योग्य बनाने के लिए कंपनियों को वित्त-पोषण की आवश्यकता पड़ती है। छोटी कंपनियों के लिए इतनी बडी़ धनराशि जुटा पाना आसान नहीं है। साथ ही सरकार (Government) और स्पेस ऐजेंसियों (Space Agencies) द्वारा समर्थन प्राप्त करना भी एक महत्वपूर्ण और जटिल कार्य है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस कार्य में कभी-कभी वर्षों लग जाते हैं और यदि कोई अपेक्षित परिणाम (Expected Result) न मिले तो वैज्ञानिकों का महत्वपूर्ण समय और धन दोनों व्यर्थ होने का भय बना रहता है। वैज्ञानिकों द्वारा भूमी-आधारित दूरबीनों (Ground-Based Telescopes) का उपयोग कर सफलतापूर्वक किए गए अंतरिक्ष मिशनों (Space Missions) से क्षुद्रग्रहों का अध्ययन किया गया है। उदाहरण के लिए नासा (NASA) के गैलीलियो और डॉन यान (Galileo and Dawn Crafts)। वहीं दूसरी ओर किसी क्षुद्रग्रह की खोज और खनन की प्रक्रिया सफल होने पर मानव विकास एक नए पड़ाव पर पहुँच जाता है। कोई कंपनी यदि क्षुद्रग्रह खनन के कार्य को सही दिशा में पूरा कर लेती है तो वह कंपनी अरबपति या खरबपति (Billionaire or Trillionaire) बनने से ज्यादा दूर नहीं है। भारत (India) देश भी अपने अंतरिक्ष मिशनों (Space Missions) के माध्यम से चन्द्रमा (Moon) के दक्षिण (South) की ओर पहुँचकर इतिहास दर्ज करने का लक्ष्य बना रहा है। उस स्थान पर पहुंचकर कचरे से मुक्त परमाणु ऊर्जा (waste-free nuclear energy) के विभिन्न स्रोतों (sources) के खनन और क्षमता का अध्ययन करेगा। जिसका मूल्य खरबों डॉलर (trillions of dollars) का हो सकता है। ऐसा करने वाला भारत सबसे पहला देश बन जाएगा।
पहली क्षुद्रग्रह कंपनी (Asteroid Company), प्लैनेटरी रिसोर्सेज (Planetary Resources) जो एक अमेरिकी कंपनी (US Company) है और जिसे पहले आर्कड एस्ट्रोनॉटिक्स (Arkyd Astronautics) के नाम से जाना जाता था, की स्थापना 2012 में वाशिंगटन (Washington) में डायमंडिस (Diamandis), क्रिस लेविक (Chris Lewicki) और अन्य लोगों ने की थी। जिसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी (Technology) की मदद से क्षुद्रग्रह खनन करना था। इसके पश्चात एक और अमेरिकी कंपनी (US Company) डीप स्पेस इंडस्ट्रीज (Deep Space Industries) जिसे स्टीफन कवर (Stephen Cover), रिक टाम्लिंसन (Rick Tumlinson), और अन्य लोगों द्वारा स्थापित किया गया। इसके बाद व्यवसाय जगत के कई लोगों ने इस क्षेत्र में क़दम रखा और आज भी इस पर निरंतर कार्य कर रहे हैं। क्षुद्रग्रह खनन क़ो मात्र करोड़ों रुपये कमाने का ज़रिया समझना उचित नहीं होगा, यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य है और इससे प्राप्त धातु (Metals), खनिज (Minerals), पानी (Water) और अन्य उपयोगी तत्व (Useful Substances) का प्रयोग कोयले (Coal) जैसे ईंधन (Fuel) या लोहा (Iron) जैसी धातु (Metal) की तरह किया जा सकता है। क्षुद्रग्रह खनन की अवधारणा कोई नवीन विचार नहीं हैं बल्कि इसकी भविष्यवाणी पीटर डायमंडिस (Peter Diamandis), खगोल वैज्ञानिक (Astrophysicist) नील डेग्रसे टायसन (Neil deGrasse Tyson) और गोल्डमैन सैच्स (Goldman Sachs) जैसे लोगों ने वर्षों पहले ही कर ली थी। हालाँकि तब यह सिर्फ एक विचार मात्र था परंतु वर्तमान समय में यह एक सम्भव कार्य है। विकसित देशों की सरकार ने इस संबन्ध में कई कानून भी पारित किए हैं जिनमें कंपनियों के अधिकारों को स्पष्ट किया गया है और साथ ही अंतरिक्ष-आधारित संसाधनों (Space-Based Resources) के खनन संबंधी अधिकारों का वर्णन भी किया गया है। अब क्षुद्रग्रह पूर्वेक्षण ((Asteroid Prospecting), अन्वेषण (exploration) और खनन (mining) के लिए अनेकों कंपनियाँ वित्त पोषक (Investors) जुटाने की रेस (Race) में शामिल हो गई हैं। ऐसा विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में क्षुद्रग्रह खनन प्रक्रिया बहुत विकसित हो जाएगी और मानव विकास में सहायक होंगी। आवश्यकता है तो सही दिशा में कार्य करने की, साथ ही सरकार द्वारा सही नियम व कानून स्थापित करने की ताकि सही समय पर पर्याप्त ज्ञान और धन उपलब्ध हो सके। किसी देश के आर्थिक विकास (Economic Development) में स्पेस माइनिंग एक लाभकारी प्रक्रिया साबित हो सकती है जो देश को विश्वपटल पर एक शक्तिशाली राष्ट्र (Powerful Nation) तो बनाएगी ही इसके अलावा देश की अर्थव्यवस्था (Economy) को भी सुदृढ़ बनाएगी।

संदर्भ:
https://bit.ly/37GUWdV
https://physicsworld.com/a/the-asteroid-trillionaires/
https://bit.ly/3nJsihR
https://bit.ly/3nLTEnB
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र में चंद्रयान 2 दिखाया गया है। (Wikimedia)
दूसरी तस्वीर में स्पेस-एक्स (Space-X) स्पेसशिप को दिखाया गया है। (Wikimedia)
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