समयसीमा 229
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 963
मानव व उसके आविष्कार 757
भूगोल 211
जीव - जन्तु 274
विज्ञान लेखक डेविड क्वामेन (David Quammen) कहते हैं, “जब किसी विषाणु का मेजबान पशु होता है, तो उस संक्रमक विषाणु को नियंत्रित करना या रोक पाना बहुत अधिक कठिन हो जाता है।” हाल ही में विश्व भर में तबाही मचा रहे कोरोनावायरस हमारे समक्ष कब तक रहेगा या हम इसको नियंत्रित कर पाएंगे या नहीं इसका फिलहाल तो कोई जवाब नहीं है, लेकिन इतना जरूर निश्चित है कि ये विषाणु का आखिरी संक्रमण नहीं होगा। मनुष्यों द्वारा प्रचुर मात्रा में पेड़ों की कटाई, जंगली जानवरों का उपभोग करना आदि ही पशुओं से जानवरों में हो रहे रोगों के मुख्य कारण हैं। यदि बात की जाए चीन (China) के सजीव बाजारों की, तो वहाँ पिंजरें में जिंदा चमगादड़ रखे होते हैं, इनके ऊपर शल्यक (Porcupines) युक्त पिंजरा रखा जाता है और उनके ऊपर पाल्म सिवेट (Palm Civet - सिवेट एक प्रकार का स्तनपायी जीव है, जो नेवले के परिवार से संबंधित है।) युक्त पिंजरा ऐसे ही अन्य पशुओं को पिंजरों में डालकर एक-दूसरे के ऊपर रखा जाता है। यदि स्वच्छता की बात की जाए तो वह न मात्र है। यहाँ जानवर एक दूसरे पर शौच करते हैं, जो विषाणु के फैलने की एक प्राकृतिक स्थिति है।
भारत में नेवलों की कई प्रजातियाँ पाई जाती है, जिनमें से एक है ग्रे नेवला (Grey Mongoose) भी है। भारत में ग्रे नेवले को अक्सर चूहों और अन्य कीटों से मुक्त रखने के लिए एक पालतू जानवर के रूप में रखा जाता है। वहीं इनके बालों से पेंट ब्रश (Paint Brush) और शेविंग ब्रश (Shaving Brush) बनाने के उद्देश्यों के लिए इनका अवैध व्यापार जारी है, और जिस वजह से इनकी प्रजाति खतरे में है और भारत में इन्हें संरक्षण की सूची में रखा गया है। 155 किलो के बालों का उत्पादन करने के लिए लगभग 3000 नेवलों को मारा गया था, जिन्हें 2018 में उत्तर प्रदेश वन विभाग और वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB - Wildlife Crime Control Bureau) द्वारा जब्त कर लिया गया था। जंगली जानवरों को मारने या पालने से ही घातक विषाणु जानवरों से मनुष्यों में फैलते हैं, इसलिए जितना संभव हो इन्हें अपने वास्तव पर्यावरण में रहने दिया जाए।
नेवला आमतौर पर खुले जंगलों, झाड़ियों और खेतों में पाया जाता है, जो अक्सर मानव के निवास स्थानों के करीब होता है। शिकारियों से बचने के लिए यह प्रायः चट्टानों, झाड़ियों और यहां तक कि नालियों के निचले भाग का भी आश्रय लेता है। कृन्तकों, सांपों, पक्षियों के अंडों और उनके नवजात बच्चों, छिपकलियों और विभिन्न प्रकार के अकशेरुकियों के लिए यह एक खतरनाक शिकारी है। नेवला पूरे वर्ष भर में एक बार प्रजनन करता है। उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों में नेवले को आसानी से देखा जा सकता है। भारतीय ग्रे नेवला भारत के अलावा सऊदी अरब (Saudi Arabia), कुवैत (Kuwait), बहरीन (Bahrain), ईरान (Iran), अफगानिस्तान (Afghanistan), पाकिस्तान (Pakistan), नेपाल (Nepal), श्रीलंका (Sri Lanka) और बांग्लादेश (Bangladesh) में भी पाया जाता है। नेवलों का मुख्य रूप से शिकार तेंदुए के साथ साथ सांप करते हैं, लेकिन इनसे बचाव के लिए नेवले काफी भयंकर लड़ाई करते हैं।
नेवले के संदर्भ में भारत में “ब्राह्मण और नेवला” के नाम से एक लोककथा भी मौजूद है, जिसके अनुसार एक कस्बे में भगवान नाम का ब्राह्मण निवास करता था। ब्राह्मण के साथ उसकी पत्नी, उसका एक पुत्र और एक नेवला रहा करता था। ब्राह्मण की पत्नी नेवले को एक माँ की भांति प्रेम करती थी तथा उसकी देखभाल ठीक वैसे ही करती थी जैसे अपने बेटे की। ब्राह्मण की पत्नी नेवले से प्रेम तो करती थी लेकिन उसे उस पर भरोसा नहीं था क्योंकि उसका मानना था कि नेवला उसके बेटे को चोट पहुँचा सकता है। एक दिन उसने अपने बेटे को बिस्तर पर लिटाया तथा अपने पति से कहा कि- वह पानी लेने जा रही है तथा वे यह ध्यान रखे कि नेवला उसके बेटे को चोट न पहुंचाए। लेकिन जब वह चली गयी, तो ब्राह्मण ने उसकी बात को अनसुना कर दिया और वह भिक्षा लेने घर से निकल गया। उसके जाने के बाद किसी छेद से घर में एक काला साँप निकल आया तथा बच्चे के पालने की ओर रेंगने लगा। यह देखकर नेवले ने सांप को एक दुश्मन के रूप में महसूस किया तथा बच्चे के रूप में अपने भाई की रक्षा करने के लिए सांप से लड़ने लगा।
दोनों के बीच हुए भीषण युद्ध के बाद अंततः नेवले ने सांप को मार गिराया तथा उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए। अपनी वीरता से खुश होकर, वह अपने खून भरे मुंह के साथ दौड़ा-दौड़ा अपनी माँ से मिलने गया। वह दिखाना चाहता था कि उसने क्या किया है और कैसे अपने भाई की रक्षा की है? खून से लथपथ मुंह को देखकर बच्चे की मां डर गयी और उसने बिना कुछ सोचे पानी का बर्तन नेवले पर दे मारा जिससे नेवले की मृत्यु हो गयी। क्योंकि नेवले को देखकर उसे लगा कि उसने उसके बच्चे को खा लिया है। दौड़ते-दौड़ते भयावह अवस्था में जब वह घर पहुंची तो उसने देखा कि उसका बेटा पालने में खेल रहा है तथा बगल में एक सांप के टुकड़े पड़े हुए थे। उसी समय वह ब्राह्मण भिक्षा लिए घर आया तथा उसकी पत्नी ज़ोर-ज़ोर से रोकर उसे कोसने लगी। क्योंकि उसके लालच के कारण उसने अपने प्यारे नेवले को मार डाला था। अगर ब्राह्मण ने उसकी बात मानी होती तो ऐसा कभी न होता। पश्चिमी देशों में इसी कहानी में नेवले की जगह अन्य जानवरों जैसे कुत्ते को दर्शाया गया है। अन्य संस्करणों में बिल्ली, भालू, या शेर का प्रयोग भी किया गया है। कुछ संस्करणों में सांप को भेड़िये से बदल दिया गया है, हालांकि, कहानी का सार वही है जो इस कहानी का है।
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.