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पृथ्वी पर जीवों की अत्यधिक विविधता है तथा यह विविधता पादप जगत (Plant Kingdom) में भी देखने को मिलती है। ‘शैवाल’ (Algae), पादप जगत का ही एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो कि, प्रकाश संश्लेषण करने की क्षमता रखने वाले जलीय जीवों का एक विविध समूह है। शैवाल प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से ऑक्सीजन (Oxygen) का उत्पादन करने में सक्षम कई अलग-अलग जीवों को सम्मिलित करता है। ये जीव प्रोकेरियोटिक (Prokaryotic) भी हो सकते हैं, और यूकेरियोटिक (Eukaryotic) भी। ऐसा इसलिए है, क्योंकि, इनमें दोनों ही वर्गों की विशेषताएं होती हैं। जैसे, वे एकल, सूक्ष्म कोशिकीय भी हो सकते हैं, और स्थूल, बहुकोशिकीय भी। उन्हें समूहों में भी पाया जा सकता है, और एकल पत्ते के रूप में भी। शैवाल विभिन्न रूपों और आकारों में मौजूद होते हैं, जो ताजे और खारे, दोनों प्रकार की जल प्रणालियों में पाए जाते हैं। इस प्रकार कुछ विशेषताएं जहां उन्हें एक-दूसरे के समान बनाती हैं तो, वहीं कुछ उन्हें प्रकाश संश्लेषक जीवों के मुख्य समूह (भूमि पर उगने वाले पौधे) से अलग करती हैं। शैवाल, अत्यधिक विभेदित नहीं हैं, अर्थात अपने पूरे शरीर में पानी और पोषक तत्वों को प्रसारित करने के लिए उनमें जड़, तना, पत्तियां और संवहनी प्रणाली का अभाव होता है। जहां प्रोकेरियोटिक शैवाल का मुख्य उदाहरण साइनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria) है, वहीं पॉलीफाइलेटिक (Polyphyletic) शैवाल, यूकेरियोटिक समूह के अंतर्गत आते हैं। पॉलीफाइलेटिक, से तात्पर्य उन शैवालों से है, जो समान पूर्वजों से विकसित नहीं हुए थे। यूं तो, शब्द 'यूकेरियोटिक’, साइनोबैक्टीरिया को अपने आप से अलग करता है, लेकिन वास्तव में भूमि पौधों (जो कि यूकेरियोटिक हैं) में उपस्थित क्लोरोप्लास्ट (Chloroplasts - प्रकाश संश्लेषण स्थल), साइनोबैक्टीरिया के अनुकूलित रूप हैं। प्रोटेरोज़ोइक (Proterozoic) काल या शुरुआती कैम्ब्रियन (Cambrian) काल में इन प्रारंभिक साइनोबैक्टीरिया को प्रारम्भिक पौधों की कोशिकाओं द्वारा आवरित कर लिया गया होगा। ज्यादातर, शैवाल अपने विभिन्न विकास रूपों में स्वतंत्र रूप से रहते हैं, लेकिन वे सिलिअेट्स (Ciliates), स्पंज (Sponges), मोलस्क (Mollusks) और कवक (Fungi) सहित विभिन्न गैर-प्रकाश संश्लेषक जीवों के साथ सहजीवी संबंध भी बना सकते हैं। हालांकि कुछ शैवाल अपना भोजन स्वयं बनाते हैं, लेकिन कुछ शैवाल बाहरी स्रोतों से अपना पोषण प्राप्त करते हैं, और इसलिए उन्हें हेटरोट्रॉफ़िक (Heterotrophic) कहा जाता है। शैवाल लैंगिक, अलैंगिक या कायिक (Vegetative) विधियों के माध्यम से प्रजनन करने में सक्षम हैं।
मानव जीवन में शैवाल की उपयोगिता के बारे में बात की जाए तो, यह कई तरह से फायदेमंद है। मानव के लिए शैवाल का सबसे महत्वपूर्ण योगदान प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से ऑक्सीजन का उत्पादन करना है। शैवाल अपरिहार्य हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन का लगभग आधा हिस्सा बनाते हैं। इसके अलावा शैवाल से प्राप्त जैव ईंधन, को जीवाश्म ईंधन का आशाजनक प्रतिस्थापन भी माना जाता है। हरी शैवाल, डायटम (Diatoms) और साइनोबैक्टीरिया आदि कुछ ऐसे सूक्ष्म शैवाल हैं, जिन्हें जैव ईंधन के उत्पादन के लिए अच्छा उम्मीदवार माना जाता है। सभी शैवाल ऊर्जा से भरपूर तेलों का उत्पादन करने की क्षमता भी रखते हैं। शैवाल कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide) का कुशलता से उपयोग कर इन्हें कार्बनिक पदार्थों में संग्रहित करते हैं, जिससे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर स्थिर रखने में मदद मिलती है। इन सभी लाभों के अलावा, एक अन्य लाभ पौष्टिक खाद्य पदार्थों के रूप में अधिकांश सूक्ष्म शैवाल का उपभोग भी है। ये सूर्य से प्राप्त ऊर्जा को शर्करा और प्रोटीन (Protein) में बदल देते हैं, इसलिए सूक्ष्म शैवाल शर्करा और प्रोटीन का मुख्य स्रोत भी हैं। सूक्ष्म शैवाल, पारंपरिक फसलों की तुलना में 20 गुना अधिक उत्पादक हैं। सूक्ष्म शैवालों के उत्पादन ने जहां, मुख्यधारा के बाजारों को प्रभावित करना शुरू किया है, वहीं इसने विशेष खाद्य बाजार में भी एक सफल स्थान बना लिया है। उदाहरण के लिए स्पिरुलीना (Spirulina) नामक शैवाल ने लोकप्रिय स्वास्थ्य खाद्य पूरक के रूप में आकर्षण प्राप्त किया है। स्पिरुलिना में प्रोटीन और आयरन (Iron) की उच्च मात्रा होती है। सूक्ष्म शैवाल का विपणन मछली के तेल के विकल्प के रूप में भी किया जा रहा है।
शैवालों के विभिन्न उपयोगों को देखते हुए कई शैवाल प्रजातियों को एक्वाकल्चर (Algaculture) के तहत उत्पादित किया जा रहा है। इनमें मुख्य रूप से सूक्ष्म शैवाल जैसे फाइटोप्लांकटन (Phytoplankton), माइक्रोफाइट्स (Microphytes) या प्लैंक्टोनिक (Planktonic) शैवाल शामिल हैं। अधिकांश उत्पादक, शैवाल की शुद्ध किस्म को पाने के लिए मोनोकल्चरल (Monocultural) उत्पादन पसंद कर रहे हैं, जिसके अंतर्गत वे शैवाल की एकल किस्म का ही उत्पादन करते हैं। शैवाल की विभिन्न किस्मों के लिए, पानी, कार्बन डाइऑक्साइड, खनिज और प्रकाश की मात्रा भी भिन्न-भिन्न होती है। कुछ प्रकार के शैवालों को प्रकाश के बिना भी विकसित किया जा सकता है। नाइट्रोजन (Nitrogen), फास्फोरस (Phosphorus), और पोटेशियम (Potassium) जैसे पोषक तत्व शैवाल के लिए उर्वरक के रूप में काम करते हैं, और आमतौर पर विकास के लिए आवश्यक होते हैं।
शैवाल की एक विशाल और विविध दुनिया जहां प्राणी जगत के लिए लाभप्रद है, वहीं हानिकारक भी है। शैवाल के रूप में एल्गल ब्लूम्स (Algal Blooms), महासागरों और झीलों में विषाक्त स्थिति उत्पन्न करते हैं, जिसके कारण प्राकृतिक जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों का विघटन होता है और जल उपचार की लागत बढ़ती है। शोधकर्ताओं के अनुसार, जब हिमालयी पहाड़ियों में बर्फ पिघलती है, तब उनसे बहने वाली ठंडी हवाएं, अधिक गर्म और आर्द्र होती हैं। अधिक गर्म और आर्द्र हवाओं के कारण अरब सागर की धाराओं और पोषक तत्वों के वितरण में परिवर्तन आया है, जिसने समुद्री खाद्य श्रृंखला को प्रभावित किया है या बदल दिया है। इन नई परिस्थितियों में अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए मछलियों को संघर्ष करना पड़ रहा है। मछलियां भोजन के लिए मुख्य रूप से डायटम्स (Diatoms) जैसे विशेष शैवालों पर निर्भर रहती हैं, लेकिन गर्म परिस्थितियां परजीवी प्रकार के शैवालों (जैसे, नोक्टिलुका स्किन्टिलन – Noctiluca Scintillans) को जन्म देती हैं, जो डायटम्स जैसे विशेष शैवालों को बड़े पैमाने पर प्रतिस्थापित कर रही हैं। यह स्थिति वैश्विक मॉडलों (Models) की भविष्यवाणी की तुलना में बहुत तीव्र गति से बढ़ रही है। इस प्रकार जहां शैवाल, प्राणियों के लिए उपयोगी हैं, वहीं खतरनाक भी सिद्ध हो रहे हैं।
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