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लखनऊ में पक्षियों की एक अच्छी विविधता देखने को मिल सकती है, जिनमें ब्लैक-बेलीड टर्न (Black bellied tern) भी एक है। वैज्ञानिक रूप से स्टर्ना एक्यूटिकौडा (Sterna acuticauda) के नाम से प्रसिद्ध ब्लैक-बेलीड टर्न भारतीय उपमहाद्वीप की बड़ी नदियों के पास पाया जाता है, जिसकी सीमा पाकिस्तान, नेपाल और भारत से म्यांमार तक फैली हुई है। यह अपनी सीमा के पूर्वी हिस्से में बहुत दुर्लभ हो गया है। गर्मियों के मौसम में पक्षी का पेट प्रायः काले रंग का तथा पूंछ गहरी कांटे जैसी होती है। वे कभी-कभी विस्कर्ड टर्न (Whiskered terns) से मिलते-जुलते प्रतीत होते हैं किंतु उनकी गहरी कांटे जैसी पूंछ और निचले पेट का काला हिस्सा उन्हें विस्कर्ड टर्न से अलग बनाता है। ब्लैक-बेलीड टर्न 32 से 35 सेंटीमीटर की लंबाई तक बढ़ सकता है। प्रजनन प्लूमेज (Plumage) में, शीर्ष या मुकुट का हिस्सा और गले का पिछला भाग काले रंग का होता है, जबकि ऊपरी भाग हल्के ग्रे (Gray) रंग का होता है। गला सफेद और स्तन हल्के ग्रे रंग के होते हैं, जो धीरे-धीरे पेट की ओर काले रंग के होते जाते हैं। टर्न के पंख लंबे, पतले और नुकीले होते हैं, और पूंछ तीक्ष्ण नुकीले शीर्ष के साथ कांटेदार होती है। पक्षी की चोंच और पैर पीले या नारंगी रंग के होते हैं ,और परितारिका प्रायः लाल भूरे रंग की होती है। प्रजनन के मौसम के अलावा, पेट का रंग सफेद होता है, पूंछ की लंबाई कम हो जाती है और चोंच का शीर्ष काले रंग का हो जाता है। म्यांमार में एक अलग श्रेणी के साथ यह प्रजाति ज्यादातर पाकिस्तान, नेपाल, भारत और बांग्लादेश में होती है।
इस पक्षी का विशिष्ट निवास स्थान लगभग 730 मीटर (2,400 फीट) की ऊंचाई पर तराई की नदियाँ और दलदली भूमि है। यह पूरी तरह से अंतर्देशीय प्रजाति है और तट पर नहीं पाया जाता है। पक्षी के पंख भले ही लंबे होते हैं, लेकिन इसकी उड़ान बहुत धीमी होती है। यह अपने भोजन के लिए मुख्य रूप से कीड़े और छोटी मछलियों पर निर्भर हैं, जिन्हें यह पानी और जमीन की सतह से प्राप्त करते है। ब्लैक-बेलीड टर्न में प्रजनन प्रायः फरवरी से अप्रैल तक होता है, तथा इसके घोंसला बनाने के क्षेत्र नदी या झील के पास, रेतीले द्वीप में समतल रेतीले स्थान होते हैं। ब्लैक-बेलीड टर्न को प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ द्वारा संकटग्रस्त (Endangered) जीव के रूप में वर्गीकृत किया है। इसके पीछे तर्क यह है कि दक्षिणपूर्वी एशिया में तटवर्तीय आवास जहां यह प्रजनन करते हैं, बहुत खतरे में हैं। और, हालांकि इसकी एक विस्तृत श्रृंखला है, यह दक्षिणी चीन, नेपाल, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया और वियतनाम में विलुप्त माना जाता है। केवल पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश में ही इनकी बड़ी आबादी है, और यहां तक कि इन देशों में भी यह पक्षी गंभीर रूप से गिरावट की ओर है और एक हजार से भी कम परिपक्व पक्षी अस्तित्व में मौजूद हैं। इनके समक्ष प्रमुख खतरों में द्वीप और सैंड्स्पिट (Sandspit) का क्षरण हैजि नमें कि यह प्रजनन करता है। भोजन के लिए अंडे का संग्रह, कुत्तों, बिल्लियों और कौवों का अंडों और चूजों पर हमला, नदी बांधों के निर्माण से घोंसले के स्थानों का बह जाना, स्थानीय मछुआरों द्वारा मछली के लिए प्रतियोगिता, जाल में उलझना, अशांति, पानी की निकासी, रेत और बजरी का निकर्षण और प्रदूषण आदि इस पक्षी के लिए अन्य खतरे हैं।
यदि मानव गतिविधियों के द्वारा उत्पन्न समस्याओं और प्रदूषण को कम किया जाता है, तथा पक्षियों के अस्तित्व के लिए उचित परिस्थितियां उपलब्ध करवायी जाती हैं, तो ब्लैक-बेलीड टर्न को ‘संकटग्रस्त’ पक्षी की सूची से बाहर निकाला जा सकता है।
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