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प्रकृति ने हमें वरदान स्वरूप कई सुन्दर एवं आकर्षक तत्व प्रदान किए हैं। हरे-भरे वृक्ष, वायु, जल, अग्नि इत्यादि। इन सभी तत्वों की उत्पत्ति के सटीक परिमाण आज तक हम नहीं खोज पाए हैं। साथ ही, हर दिन कुछ नई और दिलचस्प चीजों से हमारा परिचय होता रहता है। उदाहरण के लिए विशालकाय आकाशगंगाएं, विभिन्न समुद्री जीव, मानव कोशिका तंत्र, ब्रह्माण्ड की सबसे छोटी और सबसे बड़ी संख्या इत्यादि। यह सभी किसी पहेली से कम नहीं हैं। रोचक बात यह है कि प्रकृति द्वारा निर्मित कई तत्व रहस्यमई ढंग से एक पैटर्न में रहते हैं और इनके पैटर्न में एक दोहराव को देखा जा सकता है। मानो यह संसार किसी कवि या लेखक की कल्पना हो। आइये एक ऐसे ही रोचक गणितीय पैटर्न "फ्रैक्टल (Fractal) के बारे में कुछ तथ्यों पर नज़र डालते हैं। विश्व-प्रसिद्द गणितज्ञ बेनोइट मैंडेलब्रोट (Benoit Mandelbrot) जो गणित में अपने मैंडलब्रॉट सेट (Mandelbrot Set), जिसे कोड की बुनियादी लाइनों में क्रमादेशित किया जा सकता है, जो एक-समान बदलते पैटर्न की एक अनंत प्रवाह का निर्माण करते हैं, की खोज के लिए विश्व प्रसिद्द हैं, उन्होंने वर्ष 1975 में, पहली बार फ्रैक्टल शब्द का प्रयोग किया था। उनके बीज-संबंधी कार्य द फ्रैक्टल ज्योमेट्री ऑफ़ नेचर (The Fractal Geometry of Nature) में, उन्होंने समझाया कि फ्रैक्टल एक ऐसी आकृति (Pattern) होती है, जिसे कई भागों में विभक्त किया जा सकता है और प्रत्येक विभाजित हिस्सा मूल आकृति का ही एक छोटा प्रकार अथवा छोटा रूप होता है। आसान शब्दों में कहें तो यह कभी न खत्म होने वाली एक ज्यामितीय संरचना होती है, जो एक बिंदु से आरम्भ होकर अनंत तक बनती चली जाती है और कई सुंदर आकृतियाँ व पैटर्न बनाती है।
फ्रैक्टल एक आकृति या आकृतियों का ऐसा समूह होता है, जो एक के बाद एक पैटर्न को दोहराते हुए चलता रहता है और इसकी कोई सीमा नहीं होती, जैसे जंगल में एक बरगद का वृक्ष जिसकी लताएं व शाखाएं निरंतर रूप से बढ़ती चली जाती हैं और झूलती हुई भूमी तक पहुँच कर जड़ पकड़ लेती हैं। फिर यह जड़ें उस लता को एक वृक्ष के समान खड़ा कर देती है और उस नए वृक्ष से भी नई शखाएं व लताएं उत्पन्न होने लगती हैं। यह प्रक्रिया न जाने कितने वर्षों तक चलती रहती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि उत्पन्न हुई नई लता मूल वृक्ष का ही छोटा रूप है। यह तो बस एक मात्र उदाहरण है जैव विविधता में न जाने कितने ही पैटर्न सदियों से चले आ रहे हैं और आगे भी चलते रहेंगे। यह क्रमबद्ध प्रक्रिया ही फ्रैक्टल कहलाती है। बगीचे के फूलों में भी फ्रैक्टल को देखा जा सकता है जैसे फूल के पौधे कलियों से उगते हैं फिर धीरे-धीरे बड़े होकर एक दिन मुरझाकर टूट जाते हैं फिर एक नई कली का जन्म होता है और फिर यही प्रक्रिया चलती रहती है। इसी प्रकार, म्यांमार की अय्यरवाडी अथवा इरवाड्डी नदी डेल्टा (Ayeyarwady River Delta) पारिस्थितिकी तंत्र के इस पैटर्न को समझने के लिए एक दम सही उदाहरण है, जिसकी जल धाराएं एक के बाद एक नई छोटी-छोटी धाराओं का निर्माण कर नए मार्ग में बहती चली जाती है और वह नई जल-धारा अपनी पुरानी धारा के समरूप होती है। ग्रोथ सर्पिल (Growth Spirals) में भी फ्रैक्टल पैटर्न को स्पष्ट देखा जा सकता है जिसे सरल शब्दों में गोल्डन सर्पिल और गणित की भाषा में एक फाइबोनैचि अनुक्रम (Fibonacci Sequence) के उदाहरण के रूप में जाना जाता है, जैसे एक घुमावदार वृत्त जो एक सामान रूप में एक केंद्र से शुरू होता हुआ आगे की और गोलाई में बिना किसी अवरोध के बढ़ता चला जाता है। आजकल डिजिटल दुनिया बनने के क्रम में कंप्यूटर के माध्यम से ऐसे ग्राफ़िक्स जैसे बहती नदियां, जंगल, बादलों का बनना आदि का निर्माण किया जाता है, जो वास्तविक जगत की झलक हमें अपने घर या ऑफिस में ही इंटरनेट के माध्यम से दिखाई दे जाती है।
हरे व पीले रंग की स्वादिष्ट सब्जी ब्रॉकली (Broccoli) भी इन्हीं पैटर्न के उदाहरणों में से एक है। ब्रॉकली दुनिया भर में खाई जाने वाली एक सब्जी है, जो मूल रूप से इटली की ब्रासिका ऑलेरासिया (Brassica Oleracea) है और फूल गोभी की ही एक प्रजाति है। इसकी संरचना भी एक समान, एक के साथ एक जुडी हुई सी होती है अतः इसका आकार - प्रकार ज्यामितीय फ्रैक्टल पैटर्न को दर्शाती है। भारत में ब्रॉकली का प्रचुर मात्रा में उत्पादन तथा उपभोग होता है। देश में यह इतनी पसंद की जाती है कि कई राज्यों के किसानों के लिए यह आय का बड़ा स्त्रोत है। उदाहरण के लिए झारखंड के ग्रामीण इलाकों में यह बिकने के लिए और किसानों के शीतकालीन मनी-स्पिनर (अर्थात अल्प समय में अधिक लाभ कमाने वाली फसल) बनने के लिए पूरी तरह तैयार है। इस सब्जी के पौष्टिक तत्वों की बात करें तो इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन (Vitamin), मिनरल (Minerals) तथा फाइबर (Fibre) पाए जाते हैं। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ब्रॉकली उत्पादक है, पहला स्थान चीन का है और दोनों देशों की ब्रॉकली की फसल पूरे विश्व में ब्रॉकली के कुल उत्पादन का 75% हिस्सा है।
सरकार द्वारा किसान कल्याण के उदेश्य से चलाए जा रहे राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत रांची जिले के बीरो और ठाकुरगाँव क्षेत्रों में विटामिन सी से भरपूर सब्जी उगाने हेतु लगभग 150 किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि लोग खेती की ओर आकर्षित हो सकें और अधिक लाभ कमाकर पौष्टिक सब्जियों और फलों का उत्पादन कर सकें । इस प्रकार बिचौलियों द्वारा गरीब किसानों के शोषण को रोकने में सहायता मिलेगी और फसलों की उचित कीमत ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देगी।
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