दोस्त, दार्शनिक और मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है शिक्षक

विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
05-09-2020 08:14 AM
दोस्त, दार्शनिक और मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है शिक्षक

शिक्षण में प्रभुत्व चिकित्सा, नृत्य, कानून, या किसी अन्य पेशे में प्रभुत्व से दुर्लभ है। यद्यपि उन गुणों, जो महान या प्रभावशाली शिक्षक बनाते हैं, को धारण करना या उनकी नकल करना आसान नहीं है, लेकिन इन गुणों को समझना सभी शिक्षकों को उत्कृष्टता का एक मानक दे सकता है। जीवन में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि बिना शिक्षक या गुरू के हम किसी भी चीज का ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकते। शिक्षकों के इसी महत्व को उजागर करने के लिए कई देशों में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। शिक्षण, वास्तव में, दुनिया में सबसे प्रभावशाली नौकरियों में से एक के रूप में पहचाना जाता है। माना जाता है कि सबसे पहले शिक्षक दिवस 1773 में पोलैंड (Poland) में मनाया गया था। इसके बाद चीन (China) ने 1985 से शिक्षक दिवस को मनाने की शुरूआत की जबकि संयुक्त राष्ट्र अमेरिका (USA) में 1994 से विश्व शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। यह पेशा दिशा और स्वतंत्रता के सावधानीपूर्वक संतुलन की मांग करता है।

हालांकि शिक्षण एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक अवसर है, लेकिन वर्तमान समय में ऐसी कई बाधाएं हैं, जो इस क्षेत्र में प्रवेश करने और यहां बने रहने के समक्ष खड़ी हैं। जैसे शिक्षकों को दिया जाने वाला कम वेतन, शिक्षक अनुबंध, बेहतर व्यावसायिकता के लिए सीमित अवसर, शिक्षा बजट जो संतोषजनक भौतिक सुविधाओं, उपकरणों और शैक्षिक सामग्री उपलब्ध कराने की अनुमति नहीं देता, आदि। कई राजनीतिक नेता सार्वजनिक शिक्षा के महत्व को नहीं देखते क्योंकि वे अपने बच्चों को अच्छी गुणवत्ता वाले निजी स्कूलों में भेजते हैं। उनके लिए, सार्वजनिक शिक्षा एक निवेश नहीं बल्कि एक व्यय है। वर्तमान समय में हम प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर ‘बड़े पैमाने पर शिक्षक की कमी’ का सामना कर रहे हैं, क्योंकि संधारणीय विकास लक्ष्य 4 को सुरक्षित करने के लिए दुनिया को लगभग 690 लाख नए शिक्षकों की आवश्यकता है तथा सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा तक पहुँचने के लिए लगभग 244 लाख शिक्षकों की आवश्यकता है। इनमें से 210 लाख ऐसे शिक्षकों की जगह लेंगे, जो कार्यस्थल (सेवानिवृत्ति आदि के कारण) छोड़ रहे हैं जबकि अन्य 34 लाख शिक्षकों की आवश्यकता छात्रों तक पहुंच बढ़ाने और कक्षा आकार को अधिकतम 40 छात्रों तक कम करने के लिए होती है। इसके अलावा 444 लाख शिक्षकों की आवश्यकता के साथ माध्यमिक शिक्षा की भी आवश्यकता है।

शिक्षण कार्य दिखने में जितना आसान लगता है, वास्तव में बहुत जटिल है, जो कि अनेकों विशेषताओं की मांग करता है। हर दूसरे गंभीर पेशे की तरह, शिक्षण के लिए समय के निवेश और लगन की अत्यधिक आवश्यकता होती है। समय का निवेश कक्षा की तैयारी, कक्षा के बाहर छात्रों से मिलने, उनके माता-पिता से बात करने, स्कूल की बैठकों में भाग लेने, स्कूल की समितियों में सेवा करने के लिए किया जाता है। शिक्षकों के पास सहजता के साथ व्यवस्थित करने की क्षमता भी होनी चाहिए। उसका व्यवहार मित्रवत और मददगार होना चाहिए। एक शिक्षक दोस्त, दार्शनिक और मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है। एक संभावित शिक्षक को लगातार सीखने के लिए हमेशा उत्सुक रहना चाहिए। शिक्षकों को विभिन्न आयु समूह के छात्रों के प्रति प्रेम और सहानुभूति रखनी होती है ताकि जब भी वे किसी कक्षा को पढाएं तो उनके साथ सहज महसूस करें। वे चाहे किसी भी कक्षा को पढाते हों उनका उत्साहित होना अत्यंत आवश्यक है। शिक्षक को एक प्रभावी कक्षा प्रबंधन शैली का ज्ञाता होना भी आवश्यक है ताकि छात्रों के एक समूह को ‘प्रबंधित’ करने के लिए शिक्षक अपने तरीके खोज सके। इसके अलावा शिक्षक को अन्य शिक्षकों, प्रशासकों, छात्रों के माता-पिता के साथ भी सकारात्मक व्यवहार रखना होता है। प्रभावी शिक्षक प्रशासकों के साथ सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करने के तरीके ढूंढते हैं। अच्छे शिक्षक बच्चों के माता-पिता को उनकी प्रगति के बारे में सूचित करते हैं और वे विद्यार्थी से सम्बंधित समस्याओं को हल करने में माता-पिता की मदद भी करते हैं।

शिक्षण में शिक्षक को लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन की आवश्यकता होती है। अच्छे शिक्षक विभिन्न प्रकार के अनुदेशात्मक तरीकों का उपयोग करते हैं, उन्हें विषय सामग्री का गहराई से ज्ञान होता है। किसी भी अन्य पेशे की तरह, शिक्षण निरंतर परिवर्तन से गुजरता है। महान शिक्षक बौद्धिक रूप से जीवित रहते हैं और सिद्धांत, शोध और व्यवहार में जिम्मेदार परिवर्तन के लिए तैयार रहते हैं। शिक्षण पेशा एक अति-विशिष्ट क्षेत्र है, और इस क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए व्यापक प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। आमतौर पर यह माना जाता है कि कोई भी शिक्षण कार्य कर सकता है, बशर्ते उसके पास विषय से सम्बंधित कुछ ज्ञान हो किंतु वास्तव में ज्ञान के साथ-साथ शिक्षक में अन्य गुणों जैसे उत्कृष्ट संचार कौशल, युवा दिमागों का ध्यान रखने की क्षमता, आत्मविश्वास को प्रेरित करने की क्षमता आदि का होना भी आवश्यक है।

21वीं सदी की शिक्षा का मुख्य लक्ष्य वर्ल्ड क्लास एजुकेशन (World Class Education) अर्थात विश्व-स्तरीय शिक्षा स्थापित करना है। यह शिक्षण केवल एक विषय के ज्ञान पर ही नहीं बल्कि अन्य विषयों के ज्ञान पर भी आधारित है। 21वीं सदी में एक शिक्षक के लिए आवश्यक है कि वो शिक्षण में होने वाले हर बदलाव के लिए तैयार रहे क्योंकि कंप्यूटर (Computer) के इस युग में बच्चे केवल एक ही नहीं बल्कि कई तरह के कौशल हासिल कर सकते हैं और ऐसा तभी संभव है जब शिक्षक भी स्वयं उन कौशलों से युक्त हों। इनमें से कुछ कौशल निम्नलिखित हैं:
• रचनात्मकता और नवाचार कौशल
• साक्षरता की जानकारी
• संचार कौशल
• मीडिया (Media) कौशल
• महत्त्वपूर्ण सोच और समस्या का समाधान
• नेतृत्व और ज़िम्मेदारी

वर्तमान में एक अच्छे शिक्षक के लिए आवश्यक है कि वह उपरोक्त सभी कौशलों का अनुसरण करता हो।

अगर आप इस पेशे में प्रवेश करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपके पास शिक्षा में स्नातक (बी.एड)(B.Ed) की डिग्री (Degree) होनी चाहिए। देश भर के विद्यालय इन डिग्रियों की पेशकश करते हैं। कुछ विश्वविद्यालय पत्राचार द्वारा भी बी.एड पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। बी.एड करने के बाद योग्यता को बढाने के लिए, बाद में शिक्षा में स्नाकोत्तर (M.Ed) किया जा सकता है, लेकिन जिस विषय को आप पढ़ाना चाहते हैं, उसमें गहन ज्ञान होना आवश्यक है। यदि आप केवल एक नर्सरी शिक्षक के रूप में विशेषज्ञ होना चाहते हैं तो आपको विभिन्न विश्वविद्यालयों में उपलब्ध एक विशेष नर्सरी शिक्षकों के प्रशिक्षण से गुजरना होगा। बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट (Basic Training Certificate-BTC), डिप्लोमा इन एजुकेशन (Diploma in Education-D.Ed) और टीचर ट्रेनिंग सर्टिफिकेट (Teacher Training Certificate-TTC) भारत के अन्य शिक्षण पाठ्यक्रम हैं, जो आपको शिक्षण कार्य प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।

यदि कोई व्यक्ति खेल या शारीरिक फिटनेस (Fitness) प्रशिक्षक बनने की योजना बना रहा है, तो उसे देश भर में स्थित किसी भी खेल संस्थान से प्रमाणपत्र या डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त करने की आवश्यकता होगी। सरकारी और राजकीय स्कूलों में कक्षा I - VIII के लिए एक शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिए सीबीएसई (CBSE) द्वारा संचालित केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) में भी उपस्थित हो सकता है। कॉलेज और विश्वविद्यालय शिक्षण के लिए एक अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। किसी विषय में स्नाकोत्तर करने के बाद, कोई व्यक्ति एम. फिल (M.Phil) या पीएच.डी (Ph.D) करके विशेषज्ञ बन सकता है। यदि आपको कॉलेज और विश्वविद्यालय में व्याख्याता बनना है, तो यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि आपको विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा आयोजित नेट (NET) परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी, जिसके बाद आप नौकरी के लिए कॉलेजों में आवेदन कर सकते हैं। एक शिक्षक के रूप में, आपका वेतन आपके प्रशिक्षण, आपकी योग्यता और आपके द्वारा नियोजित स्कूल के प्रकार के आधार पर बहुत भिन्न हो सकता है। जिस स्तर पर आप पढ़ा रहे हैं, वह आपके वेतन पैकेज (Package) में भी बदलाव ला सकता है।

संदर्भ:
http://www.ascd.org/publications/books/104138/chapters/The-Qualities-of-Great-Teachers.aspx
https://worldsofeducation.org/en/woe_homepage/woe_detail/16013/%E2%80%9Cworld-teachers%E2%80%99-day-between-recognition-and-reward%E2%80%9D-by-nelly-p-stromquist
https://www.academia.edu/40181063/History_Education_Global_Education
https://www.indiaeducation.net/careercenter/humanities/teaching/

चित्र सन्दर्भ :
मुख्य चित्र में छात्रों और शिक्षिका के बीच मधुर और मैत्रीपूर्ण संबंधों को दिखाया गया है। (Publicdomainpictures)
दूसरे चित्र में एक शिक्षक को कक्षा में पढ़ाते हुए दिखाया गया है। (Flickr)
तीसरे चित्र में एक बच्चे का उसके पहले शिक्षक के साथ मधुर संबंध दिखाया गया है। (Youtube)
चौथे चित्र में एक शिक्षिका कक्षा में मनोरंजक तरीके से पढ़ाते हुए। (Wikimedia)

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