समयसीमा 229
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 963
मानव व उसके आविष्कार 757
भूगोल 211
जीव - जन्तु 274
वर्तमान समय में अपने आवासों को सजाने के लिए हम विभिन्न चीजों का उपयोग करते हैं, जिनमें विभिन्न प्रकार के कपड़े से बनी वस्तुएं भी शामिल हैं। विभिन्न प्रकार के कपड़े से विभिन्न वस्तुओं का निर्माण करना वस्त्र कला (Textile Art) है। वस्त्र कलाएं, कला और शिल्प हैं, जो व्यावहारिक या सजावटी वस्तुओं के निर्माण के लिए पौधे, जानवर, या संश्लेषित रेशे या फाइबर (Fiber) का उपयोग करते हैं। परंपरागत रूप से कला शब्द का उपयोग किसी कौशल या महारत को संदर्भित करने के लिए किया जाता था, किंतु यह अवधारणा 19वीं सदी की प्राकृतवादी अवधि के दौरान बदली, जब कला को धर्म और विज्ञान के साथ वर्गीकृत करने के लिए मानव मन के एक विशेष संकाय के रूप में देखा जाने लगा। शिल्प और ललित कला के बीच का अंतर वस्त्र कला पर भी लागू होता है, जहाँ फ़ाइबर आर्ट (Fiber Art) का इस्तेमाल अब टेक्सटाइल-आधारित सजावटी वस्तुओं का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जो व्यावहारिक उपयोग के लिए अभिप्रेत नहीं हैं।
वस्त्र कला में आपको चित्रकला में कुशल होने या महत्वपूर्ण और रचनात्मक हस्त कलाओं में निपुण होने की आवश्यकता नहीं होती, वस्त्र कला इनसे अलग और विस्तृत है। दुनिया भर के कारीगरों में प्रचलित कलाओं के साथ यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होती है। इसलिए, यह एक धरोहर है जिसमें धागों को कई प्रकार के रंगों में बड़े पैमाने पर प्राकृतिक स्रोतों से रंगा गया है। वस्त्र कला का एक लंबा इतिहास रहा है, जिसका अभ्यास पीढ़ियों से पुरुषों और महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। यह सिर्फ एक पेंटिंग (Painting) या प्रिंटिंग (Printing) का काम नहीं है, बल्कि इसका रूप विस्तृत है। प्राचीन काल में मिस्र के लोगों ने भव्य वस्त्र बनाए। चीन में भी कुछ विशेष प्रकार के वस्त्र पाए गए, जो हजारों साल पहले के थे। ऐसे अनगिनत कलाकार हैं, जो वस्त्र बनाने में माहिर थे, लेकिन वे आज हमारे लिए अज्ञात हैं क्योंकि उनकी सभी कृतियाँ, जटिल रूप से निर्मित होने के बावजूद, भी रोजमर्रा के लिए उपयोग की जाती थीं। हमने अक्सर सिर्फ वही देखा जो हमारे सामने निर्मित होकर आया लेकिन उसे किस प्रकार बनाया गया या उसका नाम क्या है?, इस बात से हम अनभिज्ञ रहे।
प्राचीन समय में टेपेस्ट्री (Tapestry) एक प्रमुख वस्त्र कला थी, जिसे उस समय एक बहुत बड़ी बुनाई के रूप में देखा जाता था और ऊर्ध्वाधर करघे या लूम (Loom) पर केवल हाथ से बनाया जाता था। टेपेस्ट्री पर चित्र या दृश्य वर्णनात्मक या सजावटी होते थे। प्रारंभिक टेपेस्ट्री का एक मूल और पूर्वनिर्धारित उद्देश्य इन्सुलेशन (तापरोधी- Insulation) था। महीन कपड़े से बनी इन बड़ी कलाओं या कृतियों को महल की दीवारों पर लटकाने के लिए इस्तेमाल किया गया, जिसने निवासियों को नम और ठंडे मौसम से बचाया। तो वस्त्र कला एक ऐसा रूप है, जिसमें रेशे, कपड़े, धागे और पौधों, जानवरों और कीड़ों जैसे स्रोतों से प्राप्त प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके कुछ उपयोगी या सजावटी वस्तु बनायी जाती है। इसके लिए बुनाई, सिलाई और कढ़ाई जैसी प्रक्रियाओं को अपनाया जाता है, जिससे दरियों, रंगीन वॉल हैंगिंग (Wall Hanging), बुनाई और क्रोकेट पैटर्न (Crochet Patterns) और कपड़े से बने अन्य हस्तनिर्मित सामानों का निर्माण होता है।
ऐसी जटिल रूप से बनाई गई टेपेस्ट्री का एक बड़ा उदाहरण लेडी और यूनिकॉर्न (Lady and the Unicorn) श्रृंखला है। यह छह छवियों का एक समूह है, जो 1511 के आसपास फ्लैंडर्स (Flanders) में ऊन और रेशम से बुने गए थे। मध्य युग की किताबें और कहानियां इस तरह की कलात्मक रचनाओं का उल्लेख करती हैं। कुछ हस्तनिर्मित या बुने हुए सामान या शुरुआती वस्त्र निर्माण टेपेस्ट्री नहीं हैं। आज, शिल्पकार हस्तनिर्मित हैंडबैग यहां तक कि ब्लॉक प्रिंट (Block Print) और हस्त निर्मित आभूषण जैसी वस्तुओं में अपनी रचनात्मकता और मौलिकता को व्यक्त करने के लिए, प्राकृतिक रूप से व्युत्पन्न रंगों, स्याही और धागों के साथ विभिन्न माध्यमों का उपयोग करते हैं। कला और रचनात्मकता की विविधता वस्त्रों की दुनिया को लोकप्रियता के नए स्तर पर ले गयी। अध्ययनों के अनुसार, अकेले भारत में वस्त्र उद्योग लगभग 5 लाख लोगों को स्थिर रोजगार प्रदान करता है। इसके अलावा, बड़ी संख्या में कारीगर, कलाकार, डिजाइनर (Designer), ब्लॉक प्रिंट निर्माता, बुनकर, कढ़ाई निर्माता आदि व्यापार में शामिल हैं। हाथ से मुद्रित वस्त्र घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में लोकप्रिय हो गए हैं।
वस्त्र कला मानव सभ्यता में कला के सबसे पुराने रूपों में से एक है। अपनी स्थापना के समय, यह दिखावट पर केंद्रित नहीं था बल्कि व्यावहारिक उद्देश्यों जैसे घर या शरीर को गर्म रखने के लिए केंद्रित था। यह सभी तरह से प्रागैतिहासिक काल से है, और मानवविज्ञानी अनुमान लगाते हैं कि यह 100,000 से 500,000 साल पहले के बीच से मौजूद है। ये सामान जानवरों की खाल, पत्तियों और अन्य प्राकृतिक चीजों से बनाए गये थे। जैसे-जैसे समय बीतता गया और नवपाषाण संस्कृतियों का विस्तार होता गया, वैसे-वैसे वस्त्र तेजी से जटिल होते गए। कपड़े और अन्य वस्त्र बनाना श्रमसाध्य था क्योंकि सब कुछ हाथ से करना पड़ता था। रेशम मार्ग व्यापार मार्गों ने चीनी रेशम को भारत, अफ्रीका और यूरोप में लाया। शुरूआती समय में वस्त्र उद्योग उत्पाद महंगे थे तथा केवल अमीर वर्ग ही इसका इस्तेमाल कर सकते थे। औद्योगिक क्रांति वस्त्रों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था। कॉटन जिन (Cotton Gin), स्पिनिंग जेनी (Spinning Jenny), और पावर लूम (Power Loom) के आविष्कार के साथ कताई करते हुए, कपड़े का निर्माण अब स्वचालित था और बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा सकता था। कपड़ा अब सिर्फ अमीरों के लिए नहीं था, कीमतों में गिरावट के साथ वे समाज के अन्य लोगों के लिए भी उपलब्ध होने लगा। वस्त्रों के समृद्ध इतिहास ने समकालीन रचनाकारों के लिए आधार तैयार किया है। आधुनिक समय में, शब्द फाइबर आर्ट या टेक्सटाइल आर्ट आम तौर पर टेक्सटाइल-आधारित वस्तुओं का वर्णन करते हैं, जिनका कोई उद्देश्य या उपयोग नहीं है।
वस्त्र कला व्यापक शब्द है, जो कई प्रकार के दृष्टिकोणों को शामिल कर सकता है। बुनाई शुरुआती तकनीकों में से एक है। इसमें, कपड़ा बनाने के लिए करघे पर धागों को प्रतिच्छेदी कोणों पर एक साथ रखा जाता है। इन्हें अक्सर वॉल हैंगिंग के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। कढ़ाई एक और लोकप्रिय रूप है, जिसमें कलाकार कपड़े पर सजावटी डिजाइन सिलने के लिए धागे का उपयोग करते हैं। इसे अक्सर हूप (Hoop) कला के रूप में जाना जाता है, क्योंकि चित्र ज्यादातर गोलाकार फ्रेम (Frame) के दायरे में रहते हैं। वस्त्रों के साथ काम करने के लिए बुनाई और क्रॉचिंग दो अन्य तकनीकें हैं। दोनों में, बड़ी सुइयों क्रमशः दो और एक, का उपयोग धागे को अलग-अलग टाँके में मोड़ने के लिए किया जाता है, जो बदले में बड़े पैटर्न बनाते हैं। आपके पसंदीदा स्वेटर या कंबल इस तकनीक के बेहद आम उदाहरण हैं। वस्त्र कला सिर्फ एक विलक्षण कलात्मक क्षेत्र नहीं है। यह एक अनुशासन है जिसमें जुनून, समर्पण और प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। यदि समर्थित और प्रोत्साहित किया जाता है, तो यह दुनिया भर में हजारों परिवारों के लिए रोजगार का स्रोत बन सकता है।
संदर्भ:
https://www.fibre2fashion.com/industry-article/7870/the-history-of-textile-art-across-cultures-in-india
https://en.wikipedia.org/wiki/Textile_arts
https://mymodernmet.com/contemporary-textile-art-history/
चित्र सन्दर्भ :
मुख्य चित्र में एक फ्रेम में केसमेंट (Casement) कढ़ाई को दिखाया गया है। (Picseql)
दूसरे चित्र में मिस्र में वस्त्र कला को दिखाया गया है। (Wikimedia)
तीसरे चित्र में सिल्क के कपडे पर प्रिंट को दिखाया गया है जो चीन अट्ठारहवीं शताब्दी के आसपास का है। (Wikipedia)
चौथे चित्र में भारतीय वस्त्र कला का एक उदाहरण दिखाया गया है। (Pexels)
पांचवें चित्र में कृष्ण और गोपियों के चित्र के साथ चम्बा रुमाल दिखाया गया है। (Pikist)
छठे चित्र में एक बुनकर को वस्त्र का काम करते दिखाया गया है। (publicdomainpictures)
अंतिम चित्र में बुनाई के दो दृश्य हैं। (Prarang)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.