वैज्ञानिक किसी ग्रह के वजन को कैसे मापते हैं?

सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)
14-08-2020 06:04 PM
वैज्ञानिक किसी ग्रह के वजन को कैसे मापते हैं?

हम अक्सर अपने दैनिक बोली में "द्रव्यमान" और "वजन" का उपयोग करते हैं, लेकिन एक खगोल वैज्ञानिक या भौतिक वैज्ञानिक के लिए ये पूरी तरह से अलग चीजें हैं। किसी पदार्थ का द्रव्यमान उस मौजूद पदार्थ की मात्रा पर निर्भर करता है। द्रव्यमान वाली वस्तु में जड़ता नामक गुण होते हैं। यदि आप अपने हाथ से किसी वस्तु जैसे पत्थर, को हिलाते हैं, तो आप देखेंगे कि इसे हिलाने के लिए एक जोर लगता है, और इसे रोकने के लिए भी जोर लगाना पड़ता है। यदि पत्थर स्थिर है, तो वह स्थिर रहता है। वहीं यदि आप उसे हिलाते हैं, तो वह हिलता रहता है। पदार्थ का यह गुण या "स्थिरता" इसकी जड़ता होती है। द्रव्यमान इस बात का माप है कि कोई वस्तु कितनी जड़ता प्रदर्शित करती है।

दूसरी ओर वजन एक पूरी तरह से अलग चीज है। ब्रह्मांड में द्रव्यमान वाली प्रत्येक वस्तु द्रव्यमान वाली हर दूसरी वस्तु को आकर्षित करती है। आकर्षण की मात्रा वस्तुओं के आकार और वे कितनी दूर हैं पर निर्भर करती है। रोजमर्रा के आकार की वस्तुओं के लिए, यह गुरुत्वाकर्षण खिंचाव अत्यंत कम होता है, लेकिन पृथ्वी की तरह एक बहुत बड़ी वस्तु और मनुष्य जैसी दूसरी वस्तु के बीच का खिंचाव आसानी से मापा जा सकता है। कैसे? आपको बस एक तराजू पर खड़ा होना है, फिर तराजू आपके और पृथ्वी के बीच आकर्षण बल को मापता है। आपके और पृथ्वी (या किसी अन्य ग्रह) के बीच आकर्षण के इस बल को आपका वजन कहा जाता है।
किसी ग्रह का भार (या द्रव्यमान) अन्य पिंडों पर उसके गुरुत्वाकर्षण प्रभाव से निर्धारित होता है। न्यूटन (Newton) के गुरुत्वाकर्षण के नियम में कहा गया है कि ब्रह्मांड में प्रत्येक पदार्थ गुरुत्वाकर्षण बल के साथ दूसरे को आकर्षित करता है, जो इसके द्रव्यमान के समानुपाती होता है। किसी ग्रह का द्रव्यमान ज्ञात करने के लिए गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करने हेतु, हमें किसी अन्य वस्तु पर उसके खिंचाव की क्षमता को मापना चाहिए। यदि ग्रह का कोई चंद्रमा (एक प्राकृतिक उपग्रह) है, तो उपग्रह द्वारा ग्रह की परिक्रमा करने में लगने वाले समय का अवलोकन करके और न्यूटन के समीकरणों का उपयोग करके हम अनुमान लगा सकते हैं कि ग्रह का द्रव्यमान क्या होना चाहिए। हमारा वज़न गुरूत्‍वाकर्षण के खिंचाव पर निर्भर करता है तथा गुरुत्वाकर्षण का यह बल स्वयं कुछ चीज़ों पर निर्भर करता है।
सबसे पहले, यह हमारे द्रव्यमान और उस ग्रह के द्रव्यमान पर निर्भर करता है, जिस पर हम खड़े हैं। यदि हम अपने द्रव्यमान को दोगुना करते हैं, तो गुरुत्वाकर्षण हम पर दोगुना कठोर हो जाता है। इस प्रकार द्रव्‍यमान और गुरूत्‍वाकर्षण एक दूसरे से संबंधित होते हैं।
साथ ही यदि हम पृथ्वी की त्रिज्या को जानते हैं, अतः इसके आधार पर हम पृथ्वी की सतह पर किसी वस्तु पर गुरुत्वाकर्षण बल के संदर्भ में पृथ्वी के द्रव्यमान की गणना करने हेतु सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्‍त का उपयोग कर सकते हैं। हमें सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण के सिद्धान्‍त में आनुपातिकता स्थिरांक ‘G’ की भी आवश्यकता होती है। यह मान प्रयोगात्मक रूप से 18वीं शताब्दी में हेनरी कैवेंडिश (Henry Cavendish) द्वारा निर्धारित किया गया था, जो 6.67 x 10^(-11) की सबसे छोटी शक्ति थी। पृथ्वी के द्रव्यमान और त्रिज्या तथा सूर्य से पृथ्वी की दूरी के बारे में जानकर, हम सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्‍त का उपयोग करके सूर्य के द्रव्यमान की गणना भी कर सकते हैं। एक बार जब हमें सूर्य का द्रव्यमान पता चल जाता है, तो हम इसी तरह किसी भी ग्रह के द्रव्यमान को खगोलीय रूप से ग्रह की कक्षीय त्रिज्या और अवधि का निर्धारण कर सकते हैं। विश्व भर में कई स्थानों पर खगोल विज्ञान से संबंधित जानकारी प्रदान करने के लिए नक्षत्र भवन बनाए गए हैं। लखनऊ में भी शनि ग्रह के आकार के समान एक अद्भुत इंदिरा गांधी नक्षत्र भवन मौजूद है। इसे तारामंडल शो के रूप में भी जाना जाता है। इसे 28 फरवरी 1988 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री माननीय वीर बहादुर सिंह द्वारा स्थापित किया गया था। यहां पर कई मनोरम खगोलीय दृश्‍य दिखाए जाते हैं। इस इमारत को इसकी उत्कृष्ट संरचना और डिज़ाइन (Design) की विशिष्टता के लिए विश्व भर में जाना जाता है। यहां पर सूर्य, चंद्रमा, तारे, ग्रहों आदि की गति के शानदार दृश्यों का अवलोकन किया जा सकता है।
इस नक्षत्र भवन में प्रत्‍येक दिन चार खगोलीय प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है। जिनमें खगोलीय जगत के दृश्‍यों को बड़े शानदार तरीके से प्रस्‍तुत किया जाता है, जो दर्शकों, विशेषकर बच्‍चों को मनोरंजन के साथ-साथ खगोलीय जानकारी भी प्रदान करते हैं। नक्षत्र भवन की गैलरी (Gallery) को एस्ट्रोनॉमी (Astronomy) और स्पेस गैलरी (Space Gallery) के नाम से जाना जाता है, जहां पर विभिन्न खगोल विज्ञान तंत्र दर्शाए गए हैं। इसके साथ ही भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के मिशनों के विषय में जानकारी मौजूद है। सौरग्रहण और चंद्रग्रहण जैसी खगोलीय गतिविधियों के दौरान विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यहां पर एक प्लैनेटरी वेइंग मशीन (Planetary Weighing Machine) भी मौजूद है, जो हमें अलग-अलग ग्रहों पर हमारे वज़न के विषय में बताती है। जैसे यदि पृथ्वी पर आपका वज़न 60 कि.ग्रा. है तो चांद पर आपका वजन 9.9 कि.ग्रा. हो जाएगा तो वहीं बृहस्‍पति पर 151.6 कि.ग्रा. हो जाएगा। इसी त‍रह अलग-अलग ग्रहों पर यह भिन्‍न-भिन्‍न होगा। बृहस्पति पृथ्वी से 318 गुना बड़ा है तथा इसकी त्रिज्या पृथ्वी से 11 गुना अधिक है। यह 121 के एक कारक से गुरुत्वाकर्षण खिंचाव को कम कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप आप पर पृथ्वी की तुलना में लगभग 2.53 गुना अधिक खिंचाव होता है।

संदर्भ :-
https://www.nearbylocation.in/indira-gandhi-planetarium-taramandal-lucknow-address-entry-timing/
https://www.exploratorium.edu/ronh/weight/
https://www.scientificamerican.com/article/how-do-scientists-measure/

चित्र सन्दर्भ:
चित्र में लखनऊ स्थित इंदिरा गांधी नक्षत्र भवन का चित्र है। (Flickr)
दूसरे चित्र में पृथ्वी को एक तराजू के मध्य दिखाया गया है, जो ग्रह के वजन को दिखाने के लिए कलात्मक चित्रण है। (Prarang)
तीसरे चित्र में भी ग्रह के वजन और द्रव्यमान को दिखाने के लिए कलात्मक चित्रण प्रस्तुत किया गया है। (Prarang)
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