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अपनी 215,000 हेक्टेयर खेती योग्य जमीन के साथ लखनऊ जिले की अर्थव्यवस्था के लिए खेती एक अहम भाग है। यहाँ केवल आधी जमीन की ही सिंचाई हो पाती है। कुल आबादी के तीन चौथाई से ज्यादा छोटे या सीमांत किसान हैं, जिनके पास औसतन 0.8 हेक्टेयर जमीन है। इन लखनऊ के किसानों के आगे कई प्रकार की कठिनाइयां है, जो इनके उत्पादकता में बाधक हैं। यह सामाजिक आर्थिक बाधाएं और तकनीकी दबाव ज्यादा स्पष्ट हैं बजाय पर्यावरण संबंधी कठिनाइयों के जैसे कि जमीन में पानी का स्तर और मौसम संबंधी कारण। लखनऊ में गिरता हुआ जल स्तर जिस तरह खेती-बाड़ी को प्रभावित कर रहा है, उसे देखते हुए यहां एक टिकाऊ पानी प्रबंधन व्यवस्था की सख्त आवश्यकता है।
गिरता भूजल स्तर: कारण और व्यवस्था
लखनऊ शहर का भूजल स्तर बहुत खतरनाक ढंग से कम होता चला जा रहा है। लगभग 16 रिहायशी इलाकों में 2 साल में एक से 2 मीटर तक पानी का स्तर नीचे चला गया है। इसने जल संस्थान पर दबाव डाला कि पीने के पानी की आपूर्ति के लिए इन इलाकों में वह अपने 32 ट्यूबवेल की बोरिंग फिर से कराएं। यह प्रभावित इलाके हैं- लालबाग, इंदिरा नगर, अलीगंज, गोमती नगर, आलमबाग, जेल रोड, कैंटोनमेंट तथा पुराने शहर के इलाके गणेशगंज, रकाबगंज और ठाकुरगंज। यहां के ट्यूबवेल की बोरिंग 100 मीटर गहरी है। हालांकि पिछले महीने उन्होंने पानी निकालना बंद कर दिया था क्योंकि पानी का स्तर नीचे चला गया है। इसलिए इन क्षेत्रों में ट्यूबवेल की दोबारा बोरिंग कराई गई। लखनऊ शहर में प्रतिदिन 900 मिलियन लीटर पानी की खपत होती है, इसके लिए सिर्फ 360 मिलियन लीटर ( 40%) पानी की आपूर्ति जल संस्थान के ट्यूबवेल से होती है, बाकी आपूर्ति गोमती नदी और कठौता झील से 5 वाटर वर्क द्वारा होती है। क्योंकि वाटर वर्क्स आपूर्ति नहीं कर पा रहे, इसलिए शहर में ट्यूबवेल की संख्या बढ़ रही है। 2011 में सरकार द्वारा लगाए गए ट्यूबवेल की संख्या 520 थी, अब यह 775 है। सरकारी ट्यूबवेल लखनऊ के 112 इलाकों में पानी की आपूर्ति कर रहे हैं। 2017 में अधिकतर ट्यूबवेल की दोबारा बोरिंग कराई गई। हर इलाके में 2 ट्यूबवेल हैं, अभी 32 ट्यूबवेल की फिर से बोरिंग होगी।
2000 मीटर गहरे सबमर्सिबल पंप लगाए गए
सरकारी ट्यूबवेल के अलावा 2000 मीटर गहरे सबमर्सिबल पंप (Submersible Pump) निवासियों द्वारा निजी तौर पर लगाए गए हैं। इसके अलावा देहाती क्षेत्रों में 550 निजी नलकूप जमीन से पानी निकाल रहे हैं। एक भूगर्भ जल शास्त्री के अनुसार आदर्श भूजल स्तर 5.8 मीटर होना चाहिए लेकिन अनियमित जल दोहन के कारण बहुत से क्षेत्रों में यह 14 मीटर नीचे पहुंच गया है। 2015 में भूजल विभाग, उत्तर प्रदेश ने ‘लखनऊ सिटी- अंडर ग्राउंड वॉटर स्ट्रेस’ शीर्षक से एक शोधपूर्ण रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें गिरते भूजल स्तर पर विस्तृत जानकारी दी गई थी।
लखनऊ के किसानों की कठिनाइयां
(अ) सामाजिक- आर्थिक समस्याएं
बढ़ते शहरीकरण के कारण कम पड़ती खेती की जमीन
फसल सुरक्षा के लिए स्टोरेज सुविधा (कोल्ड स्टोर) का अभाव
वित्तीय संस्थानों से कृषि ऋण समय से ना मिलना
बढ़ती जनसंख्या का भूमि और संसाधनों पर बढ़ता दबाव
जमीन का बंटवारा
शिक्षा की खराब स्थिति
मजदूरों का बड़े पैमाने पर पलायन
अपर्याप्त डोमेस्टिक लेबर
ग्रामीण युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी
खराब स्वास्थ्य सुविधाएं
खेती में महंगे संसाधनों की चपेट में किसान
महंगा ईंधन/ डीजल
बढ़ते बाजार भाव
गुणवत्ता के आधार पर मूल्य निर्धारण प्रणाली का अभाव
उत्पादकों के बीच मूल्य निर्धारण के संबंध का अभाव
उपज की घटती कीमत
मार्केटिंग केंद्रों का अभाव
दलालों द्वारा शोषण
नीलगाय द्वारा फसलों को नुकसान
(ब)- उत्पादन संबंधी समस्याएं
मिट्टी की घटती उर्वरता
कम उत्पादकता और उत्पादों की बढ़ती कीमतें
तकनीकी जानकारी का अभाव
घटता खेतों का आकार
नई उपज का अभाव
घटिया प्रजाति के बीज
पारंपरिक तरीकों से खेती
बंजर जमीन
बिजली का अभाव
फसल काटने के बाद के बड़े नुकसान
(स) पर्यावरण संबंधी कठिनाइयां
पानी का गिरता स्तर
मौसम पर निर्भरता
अपर्याप्त बारिश/सूखा/ देर से वर्षा
समय से नहरों से पानी ना मिलना
उपजाऊ जमीन का उत्खनन (Mining)
गर्मियों में ट्यूबवेल से पानी निकलने में दिक्कत आदि।
जरा ध्यान दें!
जब लोग भूजल की बात करते हैं, तो उनका ज्यादातर ध्यान सिंचाई पर होता है। फसल की उपज उथले भूजल में भी अच्छी होती है और सतह के नजदीक के भूजल से भी। यहां तक कि सीधे पंपिंग के अभाव में भी अच्छी उपज हो सकती है, यह सूखे के दिनों में भूजल पानी के अभाव की पूर्ति करता है और फसल का उत्पादन बनाये रखता है। लेकिन बाढ़ के दिनों में जब भूजल बहुत कम हो जाता है, तो यह जड़ों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचने देता और इससे फसल उत्पादन को नुकसान होता है। दूसरे, शहरीकरण के कारण भी भूजल स्तर में काफी बदलाव आए हैं।
चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में कुएं के माध्यम से भूमिगत जल में आई स्तरीय कमी को दिखाया गया है। (Flickr)
दूसरे चित्र में भूमिगत जल के अहम् साधनों में से एक हैंडपंप को दिखाया गया है। (Peakpx)
अंतिम चित्र में जल की कमी से परेशान एक महिला दृश्यांवित है। (Freepik)
सन्दर्भ:
https://lucknow.kvk4.in/district-profile.html (list constraints)
https://timesofindia.indiatimes.com/city/lucknow/groundwater-level-falls-32-tubewells-in-lucknow-go-deeper/articleshow/69422394.cms#
http://upgwd.gov.in/MediaGallery/Lucknowcity.pdf
https://wsc.limnology.wisc.edu/research/groundwater-and-agriculture
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