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जालीदार अजगर सांप की ही एक प्रजाति होती है, जो पाइथोनाइड(Pythonide) परिवार के अंतर्गत आती है। यह दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्वी एशिया में पाई जाती है। जालीदार अजगर विश्व का सबसे लंबा सांप होता है। इसका आई.यू.सी.एन. रेड लिस्ट (IUCN Red List) से ज्यादा मतलब इसलिए नहीं है क्योंकि यह बड़े पैमाने पर उपलब्ध है। कुछ देशों में इसे इसकी त्वचा के लिए, पारंपरिक औषधि निर्माण और पालतू के तौर पर बिक्री हेतु ढूंढा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम मालयोपाइथन रेटिकुलेटस (Malayopython Reticulatus) है। यह एक शानदार तैराक होता है। यह तीन सबसे भारी सांपो में से एक है। दूसरे अन्य अजगरों की तरह यह विषैला नहीं होता।
वर्गीकरण जालीदार अजगर सन 1801 में जर्मन प्रकृतिवादी जोहन गोटलोब थिएनुस शेनडर(Johann Gottlob Theaenus Schneider) द्वारा व्याख्यायित हुआ था। उन्होंने गौटिंगेन म्यूजियम(गौटिंगेन Museum) में रखे दो जूलॉजिकल(Zoological) नमूनों, जिनका रंग थोड़ा अलग था, को दो प्रजातियों में विभाजित किया- बोआ रेटिकुलाटा(Boa Reticulata) और बोआ होमबिआटा(Boa Rhombeata) । रेटिकुलेटस लैटिन शब्द है, जिसका मतलब जालीदार होता है। 1803 में इसे जेनेरिक(Generic) नाम पाइथन(Python) मिला। खासियतें जालीदार अजगर के चिकने पृष्ठीय स्केल होते हैं, जो 69-79 पंक्तियों में पीठ पर विन्यस्त होते हैं। 1000 से ज्यादा जंगली जालीदार अजगर का दक्षिणी सुमात्रा में अध्ययन किया गया, औसतन इनकी लंबाई 1.5 से 6.5 मीटर और वजन 1 से 75 किलोग्राम के मध्य पाया गया। 6 मीटर से अधिक लंबाई के ये अजगर मुश्किल से मिलते हैं, लेकिन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स(Guinness Book of World Records) के अनुसार वर्तमान में यह अकेला सांप है, जो लगातार अपनी लंबाई बढ़ाता रहता है। इनकी त्वचा जटिल ज्यामितीय डिजाइन और रंगों के सहयोग से बनती है। ज़ू(Zoo) में इनका रंग गरिष्ठ(Garish) लगता है, ये छाया वाले जंगलों में गिरी हुई पत्तियों के बीच में छुपे रहते हैं। इससे इनके लिए छुपकर शिकार करना आसान होता है। बड़े आकार और आकर्षक रंग- संयोजन के कारण जालीदार अजगर प्राणी उद्यान की लोकप्रिय प्रदर्शनीय चीज होते हैं। केंसास सिटी, मिसौरी(Kansas City, Missouri) में रखा जालीदार अजगर 2011 में अपनी 7.67 मीटर लंबाई और 158.8 किलोग्राम वजन के कारण गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे लंबे सांप के रूप में दर्ज हुआ। वितरण और निवास जालीदार अजगर दक्षिण एशिया में निकोबार आईलैंड, भारत, बांग्लादेश, म्यानमार, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया, वियतनाम ,मलेशिया, सिंगापुर, पूर्व में इंडोनेशिया और इंडो-ऑस्ट्रेलियाई आर्किपेलागो (Indo-Australian Archipelago) में पाए जाते हैं। यह वर्षावन, जंगल और घास स्थल (Grasslands) में रहते हैं। यह झरनों और झीलों के नजदीक के इलाकों में भी पाए जाते हैं। बढ़िया तैराक होने के कारण यह पानी में लंबी दूरियां जल्दी नाप लेते हैं। अमूमन यह मनुष्यों पर आक्रमण नहीं करता लेकिन अगर इसे धमकाया जाता है तो यह काट सकता है। यह जहरीला तो नहीं होता लेकिन बड़ा आकार होने के कारण बड़े घाव और ज्यादा टांके लगवाने की स्थिति बन सकती है। जालीदार अजगर: 5 रोचक तथ्य 1. इनकी तीन उप-प्रजातियां होती हैं- पाइथन रेटिकुलेटस, पी आर सपूतारी(P R Saputari) और पी आर जैमपीनस(P R Jampeanus)। बाद की दो प्रजातियां बौनी होती हैं।A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
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