कोरोनावायरस से लड़ने में यंत्र अधिगम और कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका

नगरीकरण- शहर व शक्ति
19-05-2020 09:30 AM
कोरोनावायरस से लड़ने में यंत्र अधिगम और कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका

संपूर्ण विश्व के लिए विषाणुजनित महामारी एक गंभीर खतरे के रूप में उभरती है, जिसमें कोरोनावायरस (Coronavirus) पहला नहीं है और न ही अंतिम होगा। लेकिन पहले की तुलना में अब हम विषाणु के बारे में जो कुछ भी सीखते हैं, उसे एकत्र और साझा कर रहे हैं। दुनिया भर के हजारों शोध दल विवरण एकत्र करने और समाधान विकसित करने के अपने प्रयासों का संयोजन कर रहे हैं। अभूतपूर्व रूप से एकत्र किए गए विवरण एक तरह से इलाज के लिए प्रयासों का समर्थन कर रहे हैं, जो यंत्र अधिगम और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में तेजी से प्रगति के कारण कुछ साल पहले भी संभव नहीं था। कृत्रिम बुद्धिमत्ता में कोरोनावायरस महामारी द्वारा उठाए गए संकोचन के मुद्दों से निपटने में हमारी मदद करने की क्षमता है। हालाँकि, यह स्वयं तकनीक नहीं है, लेकिन इसका उपयोग करने वाले मनुष्यों के ज्ञान और रचनात्मकता पर फर्क पड़ेगा।

वास्तव में, कोरोनोवायरस संकट संभवतः कृत्रिम बुद्धिमत्ता की कुछ प्रमुख कमी को उजागर करता है। यंत्र अधिगम, कृत्रिम बुद्धिमत्ता का वर्तमान स्वरूप, ऐतिहासिक प्रशिक्षण डेटा में प्रतिरूप की पहचान करके काम करता है। जब इसका बुद्धिमानी से उपयोग किया जाता है, तो कृत्रिम बुद्धिमत्ता में न केवल गति के माध्यम से मनुष्यों को पार करने की क्षमता होती है, बल्कि उस प्रशिक्षण डेटा में प्रतिरूप का भी पता लगाया जाता है जिसे मनुष्यों ने अनदेखा किया है। हालांकि, कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली में इन आंकड़ों को खोजने के लिए, उस डेटा में प्रासंगिक उदाहरणों के साथ बहुत अधिक डेटा की आवश्यकता होती है। यंत्र अधिगम से भी स्पष्ट रूप से पता चलता है कि आज स्थितियां वैसी ही हैं जैसी कि प्रशिक्षण डेटा (Data) में दर्शायी गयीं थी। दूसरे शब्दों में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली का स्पष्ट रूप से मानना है कि अतीत में जो संचलित हुआ है वह वर्तमान और भविष्य में भी संचलित होगा। अब सवाल उठता है कि मौजूदा संकट से इसका क्या लेना-देना है? जब हम अभूतपूर्व समय का सामना कर रहे हैं, हमारी स्थिति कुछ हफ़्ते पहले की तुलना में बहुत अलग हो गई है। आज हमें जिन चीज़ों को आज़माने की ज़रूरत है उनमें से कुछ को पहले कभी नहीं आज़माया गया होगा। इसी तरह, अतीत में जो संचलित हुआ है वह आज अच्छी तरह से संचलित नहीं हो पाएगा।

चलिए देखते हैं कि यंत्र अधिगम किस तरह से हमारी मदद कर रहा है:
1. यह पहचानना कि कोरोनोवायरस से सबसे अधिक खतरा किसे है :
यंत्र अधिगम कई क्षेत्रों में जोखिम की भविष्यवाणी करने में अमूल्य साबित हुई है। विशेष रूप से चिकित्सा जोखिम के साथ, यंत्र अधिगम संभावित रूप से तीन प्रमुख तरीकों से रोचक है:
• संक्रमण का खतरा: किसी विशिष्ट व्यक्ति या समूह को कोरोनावायरस से संक्रमित होने का जोखिम क्या है?
• गंभीर जोखिम: एक विशिष्ट व्यक्ति या समूह जो गंभीर कोरोनावायरस लक्षण या जटिलताओं को विकसित कर रहा है, उन्हें अस्पताल में भर्ती या गहन देखभाल की आवश्यकता है?
• परिणाम जोखिम: एक विशिष्ट व्यक्ति या समूह के लिए एक विशिष्ट उपचार अप्रभावी हो जाएगा, और उनके मरने की कितनी संभावना है?
यंत्र अधिगम संभावित रूप से तीनों जोखिमों का अनुमान लगाने में मदद कर सकता है। हालाँकि यह अभी भी कोरोनवायरस-विशिष्ट यंत्र अधिगम अनुसंधान के लिए आयोजित किया गया है और प्रकाशित किया गया है, इसलिए इसके शुरुआती प्रयोग आशाजनक हैं।
2. मरीजों की जांच करना और कोरोनावायरस का निदान करना : जब एक नई महामारी फैलती है, तो व्यक्तियों का निदान करना चुनौतीपूर्ण होता है। साथ ही बड़े पैमाने पर परीक्षण करना भी कठिन होता है और खासकर शुरुआत में परीक्षण के महंगे होने की संभावना है। वहीं जिस किसी में भी कोरोनावायरस के कोई लक्षण दिखाई देते हैं, उनके बहुत चिंतित होने की संभावना है। प्रत्येक रोगी से चिकित्सा के नमूने लेने और धीमी, महंगी प्रयोगशाला विवरण के वापस आने की प्रतीक्षा करने के बजाय, एक सरल, तेज और सस्ता परीक्षण (भले ही यह कम सटीक हो) बड़े पैमाने पर डेटा इकट्ठा करने में उपयोगी होगा। इस डेटा का उपयोग आगे के शोध के लिए, साथ ही साथ रोगियों की जांच और उपचार के लिए भी किया जा सकता है।
3. दवाई के विकास को गति देना : किसी भी नई महामारी के उत्पन्न होने के तुरंत बाद उसके निदान के लिए एक उपयुक्त टिका बनाना संभव नहीं होता है। इसके लिए बहुत अधिक परीक्षण और त्रुटि की आवश्यकता होती है, जिसमें समय लगता है। एक विश्वसनीय टीके के उत्पादन में महीनों लग सकते हैं। वहीं यंत्र अधिगम गुणवत्ता नियंत्रण का त्याग किए बिना इस प्रक्रिया को काफी तेज कर सकता है।
4. प्रभावी मौजूदा दवाओं की पहचान : कंपनियां नई दवाओं को बनाने में बहुत समय और पैसा खर्च करती हैं। जिसके बाद उन्हें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता होती है कि संभवतः इन दवाओं में अप्रत्याशित, हानिकारक पार्श्व प्रभाव नहीं हों। यंत्र अधिगम स्वचालित रूप से दवाओ को बहुत तेज़ी से प्राथमिकता देने में हमारी मदद कर सकती है:
• ज्ञान रेखांकन के निर्माण और
• औषधि और विषाणुजनित प्रोटीन के बीच परस्पर प्रभाव का अनुमान लगाना।
5. सामाजिक संजाल का उपयोग करते हुए संक्रामक रोग के प्रसार की भविष्यवाणी : महामारी के चलते, जब हम इसके खिलाफ सक्रिय रूप से काम करने के लिए रणनीति विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं, तो हमें सबसे पहले यह जानना होगा कि हम कहां हैं। हमें "कितने लोग संक्रमित हैं" और "ये लोग कहाँ हैं?" जैसे सवालों के जवाब देने की जरूरत है। दुर्भाग्य से महामारी विशेष रूप से विषाणु के कारण होती है, जिन पर नज़र रखना मुश्किल और महंगा होता है। सौभाग्य से, हम एक डिजिटल दुनिया में रहते हैं। जिसके चलते छोटे से शहर में रह रहे संक्रमित व्यक्ति जो समजीक संजाल का उपयोग करने में सक्षम है का पता लगाया जा सकता है।
6. नए महामारी के जोखिम की भविष्यवाणी करना : यंत्र अधिगम के साथ शोधकर्ता तब उच्च स्तर की सटीकता के साथ श्लैकष्मिक ज्वर के संभावित जूनोटिक (Zoonotic) उपभेदों की पहचान करने में सक्षम थे। प्रत्यक्ष संचरण के लिए भविष्यवाणी नमूना स्थापित करने के लिए और अधिक काम करने की आवश्यकता है, लेकिन यह जानना कि कौन से उपभेदों के छलांग लगाने की संभावना है, अगले महामारी की तैयारी में एक महत्वपूर्ण पहला कदम साबित होगा है।

वहीं पूरे विश्व के साथ-साथ भारत में भी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और यंत्र अधिगम एप्स (Apps) तेजी से कोरोनोवायरस की जांच में सहायक उपकरण के रूप में उभर रहे हैं। जिसकी मदद से संक्रमित व्यक्ति की जांच के साथ स्वास्थ्य पेशेवरों पर दबाव भी कम हो गया है। साथ ही ऐसा माना जा रहा है कि ये ऐप किसी ग्रसित या संदिग्ध व्यक्ति तक जल्द पहुँच प्रदान करने, जनता को सतर्क करने, उनके लक्षणों से संबंधित सटीक जानकारी देने और व्यापक भय को नियंत्रित करने के लिए ऐप्स को अत्यधिक उपयोगी माना जाता है। भारत में केवल एक मिनट में घर पर कोरोनावायरस के जोखिम का मूल्यांकन करने वाले ऐप भी उभर रहे हैं।

साथ ही भारत को कृत्रिम बुद्धिमत्ता नियंत्रित रोबोट (Robots) और ड्रोन (Drones) विकसित करने के लिए रोबोटिक्स और ड्रोन निर्माताओं को प्रोत्साहित करना चाहिए जो दूषित कमरे और खुले क्षेत्रों को कीटाणुरहित कर सकते हैं, जिससे मनुष्यों पर खतरे को कम किया जा सकता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग अवरक्त तकनीक के साथ संयुक्त थर्मल सेंसर (Thermal sensors) से लैस कैमरों की मदद से बुखार का पता लगाया जा सकता है। ऐसी तकनीक अधिकांश सार्वजनिक क्षेत्रों में लागू की जा सकती है जैसे हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों, बस स्टॉप, सुपरमार्केट, पर्यटकों के आकर्षण स्थान, आदि। जहां अब संपूर्ण विश्व इस घातक विषाणु से लड़ने के लिए समाधान खोजने के लिए एक साथ लगा हुआ है, वहीं वैश्विक नेतृत्व, स्वास्थ्य, विज्ञान और चिकित्सा के सभी महान लोग और व्यवसाय इस समय एक साथ कार्य रहे हैं, इससे यह उम्मीद कर सकते हैं कि इस महामारी का जल्द ही निवारण होगा।

चित्र (सन्दर्भ):
1. मुख्य चित्र में ए.आई. और मशीन लर्निंग के साथ कोरोना को दिखाया गया है।
2. दूसरे चित्र में इन्फेक्टेड लोगों का पता लगाने वाला एप्प दिखाया गया है।
3. तीसरे चित्र में मशीन लर्निंग द्वारा कोरोना नरीक्षण और परिक्षण प्रदर्शित किया गया है।
4. चौथे चित्र में डाटा के रूप में कोरोना का विश्व प्रभाव दिखाया है.
5. अंतिम चित्र में आर्टीफिसिअल इंटेलिजेंस और कोरोना है।
संदर्भ :-
1. https://www.datarevenue.com/en-blog/machine-learning-covid-19
2. https://www.id-hub.com/2020/04/08/responding-to-covid-19-with-ai-and-machine-learning/
3. https://www.weforum.org/agenda/2020/03/covid-19-crisis-artificial-intelligence-creativity/
4. https://bit.ly/3cwd0rp
5. https://www.stoodnt.com/blog/how-best-india-can-consider-using-ai-ml-for-coronavirus/

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