दुर्लभ किताब में छुपा लखनवी मोरपंखी का रहस्य

ध्वनि 2- भाषायें
04-03-2020 12:40 PM
दुर्लभ किताब में छुपा लखनवी मोरपंखी का रहस्य

अंग्रेज यात्री और लेखक हॉबर्ट कॉन्टर की पुस्तक ‘’द ओरियंटल सीनरी 1835’’ का प्रकाशन थॉमस डेनियल के चित्रांकनों के साथ लंदन में हुआ था। इस किताब में भारत के अनेक शहरों की यात्राओं का बहुत विस्तार से जिक्र किया गया है । शहरों के इतिहास ,संस्कृति ,इमारतों ,प्रकृति,मशहूर हस्तियों और उनसे जुड़ी खूबियों का वर्णन इसमें शामिल है।इन यात्रा – वृत्तांतों के साथ-साथ रोचक चित्रांकन भी देखने को मिलते हैं। इस किताब में लखनऊ शहर से जुड़ी समग्र जानकारी के साथ-साथ यहां की मशहूर गोमती नदी के बारे में भी विस्तृत विवरण दिया गया है।इसमें चलने वाली विशाल नौका / बजरा मोरपंखी का बड़ी बारीकी से वर्णन और चित्रांकन बहुत दिलचस्प है।इस सबको पढ़ते हुए पाठक को लेखक के साथ-साथ उसकी यात्रा में शामिल होने का तिलिस्मी अहसास भी होता है।

यह एक बड़ी दिलचस्प बात है कि ओरिएंटल एनुअल के 1840 संस्करण में अंग्रेज लेखक जॉन हॉर्बर्ट कॉन्टर ने भारतीय उपमहाद्वीप की यात्राओँ का वर्णन करते समय इतिहास,साहित्य और संस्कृति पर केन्द्रित रचनाएं साझा कीं थीं,इससे पहले उन्होंने ही अपनी किताब ‘द ओरिएंटल सीनरी ‘ के 1835 में प्रकाशित संस्करण में भी भारत के प्रमुख शहरों की विशिष्ट विरासत का चित्रात्मक वर्णन पाठकों को उपलब्ध कराया।

लखनऊ शहर की अपनी यात्रा की शुरुआत ही वह बहुत नाटकीयता के साथ करते हैं-
‘’हम जब लखनऊ पहुंचे तो सामने गोमती नदी में लखनऊ के नवाब अपने राजसी बजरे ‘’मोरपंखी ‘ पर बैठे दिखायी दिए।‘’ मोरपंखी बजरे की अद्भुत बनावट का लेखक ने बहुत ही रोचक चित्र खींचा है-“नाचते हुए मोर की आकृति लिए हुए मोरपंखी या मोर के पंखों की तरह तीव्र चाल बेहद आकर्षक थी। इस तरह के बजरे अपनी चाल के लिए बहुत मशहूर होते थे।यह एक खास बनावट वाली ,खूब लंबी और वजन में हल्की नाव थी।बजरे का सिर वाला हिस्सा आगे रहता है,हल्की सी वक्रता लिए हुए,पानी की सतह से कम से कम 10 फीट उंचा ,मोर की शक्ल में खत्म होता है,साथ में फैले हुए पंख।लम्बा-चौड़ा फर्श जिस पर 10-12 लोग आराम से बैठ सकते हैं।20-40 नाविक इसे बड़े-बड़े चप्पुओं से खेते हैं।बजरे के फर्श पर एक ऊंचा सा मंच होता है जिस पर नर्तक नृत्य करते हैं। बजरे के चप्पुओं की लय और नर्तक के नाच की युगलबंदी भी होती है।“

किताब में लखनऊ शहर का जो चित्र है उसमें बीचोंबीच महल का चित्रांकन है। बहुत ही सुंदर संरचना। लखनऊ शहर गोमती नदी के दक्षिण में बसा है।किताब के अनुसार नदी का नामकरण इसकी सांप जैसी आकृति के कारण गोमती रखा गया है। किताब के लेखक ने लिखा है कि हिंदुस्तान के और बड़े शहरों की तरह लखनऊ की गलियां भी पतली और संकरी हैं,इनमें से हाथी मुश्किल से ही निकल सकता है। लखनऊ की बाकी इमारतें नवाबी दौर की भव्यता लिए हैं। बड़ा इमामबाड़ा 1794 ईं में मुस्लिम नवाब आसिफुद्दौला ने बनवाया था।इसका वास्तु शास्त्र भारी-भरकम है।इसमें एक अकेला कक्ष है जिसकी लंबाई और चौड़ाई दोनों 167 फीट हैं।इसके निर्माण में लक़ड़ी का बिल्कुल प्रयोग नहीं हुआ है,बल्कि ये सिर्फ इंटों का बना है। वैसे तो इमामबाड़े समेत ये जानकारियां एक आम भारतीय इतिहास की किताब में भी मिल जाती हैं ,लेकिन लगभग 200 साल पुरानी इस किताब में एक विदेशी लेखक ने भारतीय संस्कृति के गौरव का वर्णन जिस अपनेपन से किया है वो काबिले तारीफ है। लेखक के अनुसार ,बनारस के बाद लखनऊ उस समय का दूसरा सबसे रईस और विख्यात शहर था।

यही नहीं,इस किताब में लेखक ने इस बात का भी जिक्र किया है कि उस समय लखनऊ के नवाब ने लेखक को अपने महल में भी आमंत्रित किया था।महल की सुंदरता,भव्यता और वास्तु का जिक्र तो है ही,नवाबी आतिथ्य का भी विवरण शामिल है।खासतौर पर हाथियों की लड़ाई के कई चरणों का प्रदर्शन काफी नये और रोचक तरीके से किया गया है। इस किताब को पढ़ते हुए निश्चय ही सभी पाठकों को ये अहसास होगा कि जिस सोने की चिड़िया भारत को विदेशी लोग व्यापार की नजर से जीतना चाहते थे, उसी भारत की संस्कृति , इतिहास और भूगोल को निहारने सात समुंदर पार से बार-बार खिंचे चले आते गये। अपनी यात्राओं की कहानियां लिखकर दुनिया को इसकी अहमियत बताते रहे।

सन्दर्भ:
1.
https://bit.ly/2Ik6ZAx
2. https://bit.ly/3cpZDtb
3. https://bit.ly/3apANrj

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.