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नवाबों का शहर लखनऊ अपनी अनेक विशेषताओं के लिए जाना जाता है। चाहे वह यहां की वास्तुकला हो या चिकनकारी या जर्दोजी की कढाई, अनेक कलाएं ऐसी हैं जिसके लिए यह मुख्य रूप से जाना जाता है। इसकी एक और विशेषता यहां स्थित 100 साल पुरानी फूल मंडी या फूल वाली गली भी है जिसे अब फूल बाजार के नाम से जाना जाता है। नवाबों के शासनकाल के दौरान, चूंकि दरबारी इस गली के आसपास के इलाकों में रहते थे, इसलिए यहां फूलों की दुकानें अस्तित्व में आईं। आज इस गली में फूलों की दुकानों के अलावा चिकनकारी कपड़े और चांदी के बर्तन बेचने वालों की दुकानें भी हैं। कुछ समय पूर्व फूलों की कुछ दुकानों को छोड़कर, बाकी मंडी को पास की एक दूसरी गली में स्थानांतरित कर दिया गया था जिसे अब फूलों के नए बाजार ‘कंचनबाजार’ के नाम से जाना जाता है। नया फूल बाजार, गोल दरवाजा, चौक से पहले नीबू पार्क से आगे एक गली में स्थित है। इस बाजार में तरह-तरह के फूलों के विकल्प मौजूद हैं जिनमें गुलाब से लेकर कार्नेशन्स (carnations), लिलियम (liliums ) से लेकर लिली (lilies), गेंदे से लेकर सूरजमुखी आदि शामिल हैं। यहां फूलों से बनी कई वस्तुएं उपलब्ध हैं तथा फूल वाले शादी, मंदिर, होटल की लॉबी (lobby) आदि की सजावट के साथ-साथ कृत्रिम फूलों की सुविधा भी उपलब्ध करवाते हैं। इस प्रकार बाजार फूलों से सम्बंधित आपकी सभी जरूरतों का ख्याल रखता है। बाजार की अन्य विशेषता यह है कि यहां फूलों से बनी प्रत्येक वस्तु अन्य स्थानों की अपेक्षा कम दामों में उपलब्ध है। जैसे अन्य स्थानों पर 9 से15 रुपये में मिलने वाली गुलाब की एक कली यहां 5 रुपये में मिल सकती है। फूल बाजार पहले चौक के अंदरूनी हिस्सों में स्थित था और इसे "फूल वाली गली" के रूप में जाना जाता था। गली में अत्यधिक भीड़भाड़ के चलते फूल बाजार को फूल वाली गली से कंचन फूल बाजार में स्थानांतरित किया गया। हालांकि अभी भी 4-5 पुरानी फूलों की दुकानें यहां पर हैं जहां ग्राहक आज भी जाना पसंद करते हैं। कंचन फूल बाजार की शुरुआत सुबह करीब 5 बजे से सुंदर और आकर्षक फूलों के साथ होती है।
सुबह का दृश्य पर्यावरण को स्वस्थ और अधिक शांतिपूर्ण बनाता है क्योंकि सूर्योदय के साथ विभिन्न रंगों वाले फूलों की खुशबू वातावरण को सुखद बना देती है। स्थानांतरण के बाद बाजार की संरचना में कुछ बदलाव हुए हैं लेकिन बिक्री या उपभोक्ताओं में कोई बड़ा बदलाव नजर नहीं आया है। दोनों स्थानों पर फूलों के बाजार ने ग्राहकों को समान रूप से आकर्षित किया है। फूलों की उपलब्ध किस्मों और प्रकारों के आधार पर बाजार को प्रमुख रूप से दो वर्गों में विभाजित किया गया है। एक भाग ‘कट-फ्लेवर (CUT-FLOWER) बाजार’ या ‘अंग्रेजी-फूल बाजार’ के रूप में जाना जाता है तो दूसरा देसी-फूल के बाजार के रूप में। अंग्रेजी-फूल बाजार में मूल रूप से कारों की सजावट, शादी के मंच, गुलदस्ते, माला, सेहरा आदि के लिए फूल उपलब्ध हैं जिनमें डच रोज़ (Dutch Rose), गुलनार, जरबेरा (Gerbera), ग्लैडियोलस (Gladiolus), ऑर्कुट (Orkut) जैसी कई किस्मों के फूल शामिल हैं। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के महंगे फूलों की किस्में भी यहां उपलब्ध हैं। सजावट के लिए निमुनिया (Nimunia), चाइना पाम (China palm), मुरैना पैंकिलेटटा (Murraya paniculata) के साथ-साथ विदेशी पत्तियों की किस्में भी उपलब्ध हैं जिन्हें मांग या ऑर्डर (order) के आधार पर मंगवाया जाता है। आपको जिस प्रकार की भी फूल सामग्री चाहिए उसकी तस्वीर दिखाकर आप ऑर्डर दे सकते हैं जो आपको किसी अन्य फूलों के बाजार की तुलना में सस्ती दरों पर प्राप्त होगी।
बाजार का दूसरा भाग भारतीय संस्कृति और परंपरा की याद दिलाता है क्योंकि यहां स्वदेशी फूल जैसे गेंदा, गुलबहार, चमेली, गुलाब, सूरजमुखी आदि उपलब्ध हैं जो प्रायः भगवान की पूजा और शादियों में उपयोग किए जाते हैं। स्थानीय किसान खुद इन पौधों को उगाते हैं और स्वयं इस मंडी में अपने फूल बेचते हैं। हर दिन दोनों ही बाजारों की दरें मांग और मात्रा के आधार पर ऊपर नीचे होती रहती हैं। मांग जितनी अधिक होती है दर भी उसी प्रकार बढती जाती है। इसी प्रकार किसान फूलों की जितनी अधिक मात्रा बाजार में लाते हैं, उतनी ही दर उस दिन या समय के लिए निश्चित हो जाती है। पूरे बाजार में कुल मिलाकर लगभग 200-300 दुकानें हैं। इन दुकानों को भी मूल रूप से दो क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। कट-फ्लावर मार्केट में मुख्य फूलवाले, वहां मौजूद सड़क विक्रेताओं से फूल खरीदते हैं, तथा उन फूलों से सेहरा, माला, सजावट का सामान इत्यादि बनाते हैं। जबकि देशी बाजार वाले भाग में मुख्य थोक व्यापारी अपने फूलों को खुदरा विक्रेताओं को बेचते हैं जिन्हें पूजा या शादियों में इस्तेमाल किया जाता है। कंचन मार्केट बहुत सस्ता और सुविधाजनक है। दुकानदार बाजार के स्तर के आधार पर बिक्री पर 5-10% कमीशन लेते हैं।
बाजार की दरें जनवरी से लेकर मार्च तक महंगी हो जाती हैं, क्योंकि यह शादियों और त्यौहारों की अवधि होती है। हालांकि बाजार को एक बार पहले ही स्थानांतरित कर दिया गया है किंतु सरकार ने इसे एक बार फिर किसान मंडी में स्थानांतरित करने का आदेश दिया है। यह निर्णय 200 से अधिक व्यापारियों को प्रभावित करेगा जो अपनी आजीविका के लिए फूल बाजार से जुडे हुए हैं। सीमित जगह के कारण केवल 20 दुकानें ही किसान मंडी में स्थापित हो सकती हैं, जबकि फूल मंडी में करीब 50 दुकानें हैं। इस प्रकार का निर्णय कई किसानों और व्यापारियों की आजीविका को प्रभावित करेगा।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2uD7KkV
2. https://nowlucknow.com/lucknows-flower-market-kanchan-market/
3. https://mediawolves.in/the-fragrance-of-awadh-comes-from-the-kanchan-flower-market/
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