लखनऊ का इतिहास

मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक
02-04-2017 12:00 AM
लखनऊ का इतिहास

धर्मग्रंथों व १६ महाजनपदों से मिले प्रमाणों के अनुसार अवध प्राचीन १६ महाजनपदों मे से एक कोशल कि राजधानी थी। वर्तमान लखनऊ जिला अवध का ही एक भाग है जो कि कालांतर मे विस्थापित हो कर एक अलग भू:खंड बना। रामायण मे वर्णित कथन के अनुसार अवध के राजा राम ने अवध से करीब ४० मील दूर स्थित एक स्थान, लंका से लौटने के बाद अपने अनुज भाई लक्षमण को उपहारस्वरुप दिया जिसका नाम लक्ष्मण-पुर पड़ा। रामायण मे ही लिखित साक्ष्यों से यह पता चलता है कि लक्ष्मणपुर एक समृद्धशाली शहर था। वहां पर व्यापार अपनी पराकाष्ठा पर था तथा वहां के रास्ते सदैव हाथी घोड़ों के आवागमन से भरे रहते थे।

मुग़ल शासक अकबर के दस्तावेजों मे अयोध्या का विस्तृत वर्णन मिलता है। शुरुआती दौर मे (१२ वीं शताब्दी) अवध कुछ समय के लिए दिल्ली सल्तनत के अधीन कार्यरत था परन्तु बाबर के आक्रमण के दौरान ये मुग़ल साम्राज्य के अंतर्गत आ गया। मुग़लों के पतन काल के दौरान अवध एक शक्तिशाली राज्य बन के उठा और अवध कि राजधानी तब फैजाबाद थी। उस दौरान फारस से आये शादत अली खान को मुग़ल साम्राज्य द्वारा अवध का गवर्नर सन १७३२ मे बनाया गया और जल्द ही वह यहाँ का नवाब भी बन गया। उस दौर मे अवध व्यापर व उत्पाद से एक महत्त्वपूर्ण स्थान ग्रहण कर लिया था और यही कारण था कि कलकत्ता मे बैठे अंग्रेजों कि निगाह अवध के समृद्धि पर टिकी थी।

सन १७५७ के दौरान घटी कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाओं ने अवध के इतिहास मे एक दिलचस्प मोड़ लाया। घटना थी यहाँ के नवाब सुजा-उद दौला बंगाल पर किये आक्रमण कि। उस आक्रमण मे अवध कि सेना ने बंगाल से लेकर कलकत्ता तक अपना आधिपत्य स्थापित कर ही लिया था कि प्लासी और बक्सर (१७५७, १७६४ ) कि लड़ाइयों ने यहाँ के इतिहास को एक नया मोड़ दे दिया। इस घटना के बाद अवध अपनी अधिकतर जमीन गवां चुका था।

कालांतर मे यहाँ के नवाब अंग्रेजों के मित्र बन गए और इस तरह से अंग्रेजो के लिए अवध के दरवाजे खुल गए। १७७५ ईसवी मे असफ-उद दौला, जो कि सुजा-उद-दौला का पुत्र था, ने अवध कि राजधानी को फ़ैजाबाद से बदल कर लखनऊ कर दिया और यहाँ पर वास्तुकला के अद्भुद उदहारणों का निर्माण कराया। इस वक्त लखनऊ भारत के अति समृद्धशाली व वैभवशाली शहरों मे शुमार हो गया था। असफ-उद-दौला कला का प्रेमी था तथा इसने लखनऊ मे कई इमारतों का निर्माण कराया जिनमे बड़ा इमामबाडा, भूल भुलैया व रूमी दरवाजा शामिल है

असफ-उद-दौला के बाद उसका बेटा वजीर अली लखनऊ का नया नवाब नियुक्त हुआ जिसे अपने दादा के अंग्रेजों से मित्रता कि वजह से गहरी ठेस लगी, इसी वजह से उसको गद्दी से सन १७९८ मे यह कह कर उतार दिया गया कि वह असफ-उद-दौला कि असली संतान नहीं है। उसकी जगह शादत अली द्वितीय को यहाँ का नवाब बनाया गया जो कि असफ-उद-दौला कि तरह ही कला प्रेमी था। उसने भी यहाँ पर कई इमारतों कि रचना कि।

अंग्रेजो से कि गयी १८०१ के संधि के अनुसार रोहीलखंड और इलाहाबाद आदि अंग्रेजी हुकूमत के दरमियाँ आ गए और कुछ ही समय मे अवध का लगभग आधा भाग अंग्रेजों के साम्राज्य मे शामिल हो गया।

सादत अली द्वितीय के बाद उसका बेटा गाजी-उद-दीन ने यहाँ का कार्यभार संभाला और यहाँ पर कई भवनों का निर्माण कराया जिसमे मुख्य- मुबारक मंजिल, शाह मंजिल व हजारी बाग मुख्य हैं। लखनऊ खेल संस्था मे सर्वप्रथम जानवरों के खेल को स्थापित गाजी-उद-दीन ने किया था।

एक बड़े समय काल के बाद वाजिद अली शाह लखनऊ का नवाब बना जिसका शासन काल १८४७-१८५६ तक रहा। १८५६ मे वाजिद अली शाह को अंग्रेजों द्वारा कलकत्ता मटियाबुर्ज के कारावास मे भेज दिया गया था। सन १८५७ कि क्रांति मे वाजिद अली शाह कि बीवी बेगम हजरत महल ने स्वतंत्रता का बिगुल फूँक दिया। कालांतर मे उनका निधन १८७९ मे नेपाल मे हुआ। लखनऊ भारत के आजादी के बाद यूनाइटेड प्रोविंस (उत्तर प्रदेश) कि राजधानी बना।

1. टाउन प्लानिंग रीजनरेशन ऑफ़ सिटीज: आशुतोष जोशी, न्यू इंडिया पब्लिशिंग हाउस, २००८ दिल्ली 2. मार्ग, लखनऊ- देन एंड नाउ, संस्करण ५५-१, २००३
पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.