आपराधिक मामलों की सटीक जांच में सहायक है फॉरेंसिक एंटोंमोलॉजी (Forensic entomology)

तितलियाँ व कीड़े
07-02-2020 09:30 AM
आपराधिक मामलों की सटीक जांच में सहायक है फॉरेंसिक एंटोंमोलॉजी (Forensic entomology)

प्रकृति में हम अपने आस-पास कई जीवों की मौजदूगी को महसूस करते हैं। किंतु ये जीव हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण हो सकते हैं, इस बात से हम अनभिज्ञ हैं। धरती पर ऐसे कई जीव या कीट उपस्थित हैं जिनकी मौजूदगी हमारे या किसी विशिष्ट क्षेत्र के बहुत अधिक काम आ सकती है। फोरेंसिक एन्टोमोलॉजी (Forensic entomology) का क्षेत्र भी कुछ इसी प्रकार का है, जहां के लिए हमारे आस-पास के कीट या कीड़े बहुत उपयोगी साबित हो सकते हैं। फोरेंसिक एंटोमोलॉजी विज्ञान की वह शाखा है, जो फोरेंसिक विश्लेषण के लिए कीड़ों या कीटों के अध्ययन से संबंधित है। इसके अंतर्गत किसी कानूनी जाँच के लिए ऐसे कीटों या आर्थ्रोपोड्स (Arthropods) के वंशावली पैटर्न (Succession pattern) का अध्ययन किया जाता है जोकि किसी मृत शरीर पर या उसके आस-पास मौजूद हैं तथा वृद्धि कर रहे हैं। इस प्रकार आपराधिक मामलों के लिए विज्ञान की यह शाखा अत्यंत उपयोगी है। मनुष्यों और जानवरों की मृत्यु की जांच में यह अध्ययन बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध होता है। इसका उपयोग ड्रग्स (Drugs) और ज़हर का पता लगाने, किसी अपराधिक घटना का स्थान निर्धारित करने, और घटना को अंजाम देने के समय का भी पता लगाने के लिए किया जा सकता है। इनके अलावा भी इस अध्ययन के अन्य कई उपयोग हैं।

फोरेंसिक एंटोमोलॉजी की अवधारणा 13वीं शताब्दी की है, हालांकि, केवल पिछले 30 वर्षों से ही फोरेंसिक एंटोमोलॉजी को आपराधिक जांच के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। इन दिनों मानवाधिकारों पर बढ़ते तनाव के बीच, आपराधिक जांच में भौतिक साक्ष्य के महत्व की एक प्रमुख भूमिका है तथा पूरी दुनिया में वैज्ञानिक जांच अब पुराने तरीकों को बदलने जा रही है। इसलिए हमारे आस-पास मौजूद कीटों को महत्वपूर्ण फोरेंसिक संकेतक के रूप में इस्तेमाल करना बहुत प्रभावी हो सकता है।

भारत जैसे विकासशील देश में भारतीय दंड संहिता (IPC) के साक्ष्य अधिनियम 138, के तहत, ‘कोई भी साक्ष्य वास्तविक होगा, अगर उसे वैज्ञानिक प्रलेखन पर आधारित भौतिक वस्तुओं के रूप में पेश किया जा रहा है’। निस्संदेह हमारे चारों तरफ मौजूद कीट इस अधिनियम की निर्धारित शर्तों को पूरा करने में सक्षम हैं। दुर्भाग्य से हमारे देश ने इस दिशा में पर्याप्त प्रगति नहीं की है और संभावित रूप से उपयोगी एंटोमोलॉजिकल डेटा (Entomological Data) का उपयोग नहीं किया जा रहा है। एंटोमोलॉजिकल डेटा की सहायता से मृत्यु की विधि, समय तथा स्थान की सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है। भारत में अपराधिक जांच को फोरेंसिक एन्टोमोलॉजी के माध्यम से एक बड़ी उपलब्धि मिल सकती है, किंतु समस्या यह है कि इसे अपनाने में अभी तक कोई रूचि नहीं दिखाई दी है।

करियर (Career) की बात की जाये तो युवाओं के लिए फोरेंसिक एंटोमोलॉजी एक नया और अच्छा करियर विकल्प हो सकता है, क्योंकि किसी भी अपराधिक जांच के लिए यह एक बेहतर तरीका बन चुका है। यदि इस विधि का प्रयोग सही व्यक्ति द्वारा सही तकनीकों के साथ किया जाए तो निश्चित रूप से यह पारंपरिक प्रक्रियाओं को प्रतिस्थापित कर सकता है। इन विधियों की सटीकता, निश्चित रूप से, फॉरेंसिक एंटोमोलॉजिस्ट की विशेषज्ञता तथा संबंधित कीड़ों पर सभी आवश्यक डेटा की उपलब्धता पर निर्भर करती है।

संदर्भ:
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Forensic_entomology
2. https://www.forensicentomologyindia.com/
3. https://bit.ly/2GSUmeU
4. https://bit.ly/377Bbsm
5. https://www.ias.ac.in/article/fulltext/reso/007/08/0051-0058
चित्र सन्दर्भ:-
1.
https://bit.ly/2SqrsrV
2. https://www.youtube.com/watch?v=nhe304YCVUM
3. https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Army_ants_swarming.jpg

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