समयसीमा 229
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 963
मानव व उसके आविष्कार 757
भूगोल 211
जीव - जन्तु 274
देश को सुरक्षित रूप देने में सैन्य बल का विशेष योगदान होता है। अपने जीवन की परवाह किये बिना वे निरंतर देश की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं और इसलिए उनके इस बलिदान को याद करने और उन्हें सलामी देने के लिए हर वर्ष 15 जनवरी को भारत में सेना दिवस मनाया जाता है। भारत में सैन्य बल के इतिहास को देखें तो यह बहुत पुराना प्रतीत होता है क्योंकि इसके सबसे पहले संदर्भ वेद और महाकाव्यों जैसे रामायण और महाभारत में पाये गये हैं। प्राचीन काल से लेकर 19वीं शताब्दी तक शक्तिशाली राजवंशों और साम्राज्यों का उदय होता रहा तथा भूमि और शक्ति के अधिकार के लिए इनके बीच अनेक युद्ध होते रहे जिसमें सैन्य बलों ने विशेष भूमिका निभायी। समकालीन भारत में सेना के विभिन्न रूप जैसे सिपाही रेजिमेंट (Sepoy Regiments), देशी घुड़सवार सेना, माइनर कम्पनी (Miner company) देखे गये जिन्हें तीन ब्रिटिश प्रेसीडेंसी (British Presidency) द्वारा बनाया गया था।
19वीं शताब्दी के दौरान भारतीय सैन्य बल को ब्रिटिश राज के तहत गठित किया गया जिसे ब्रिटिश भारतीय सेना का नाम दिया गया। इस सेना ने विश्व युद्धों के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, कई युद्धकालीन सैनिकों को छुट्टी दे दी गई थी तथा कई सैन्य इकाइयों को भंग कर दिया गया जिसके कारण सैन्य बल में कमी आयी। इस बचे सशस्त्र बल का विभाजन भारत और पाकिस्तान के बीच किया गया। पाकिस्तान के खिलाफ हुए तीनों युद्धों और चीन के साथ हुए एक युद्ध में भारतीय सशस्त्र बल का विशेष योगदान रहा। 1999 में भारत पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में भी भारतीय सेना ने भाग लिया। भारतीय सशस्त्र बलों ने कई संयुक्त राष्ट्रों में शांति संचालन में भाग लिया है। वर्तमान में यह शांति सेना के लिए सैनिकों का दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। भारत की वर्तमान सेना अंग्रेज़ों द्वारा 1600 और 1800 के बीच स्थापित की गई थी। आधुनिक भारतीय सेना की जड़ें 1600 में ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) तथा 1664 में स्थापित फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी (French East India Company) द्वारा नियुक्त बलों से निकली हैं। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने सबसे पहले 1662 में मद्रास और बॉम्बे में फैक्ट्री गार्ड (Factory guard) के रूप में काम करने के लिए पुरुषों की सशस्त्र टुकड़ियों का गठन किया था। 1708 तक, बंगाल (कलकत्ता), मद्रास और बॉम्बे की तीन प्रेसीडेंसियां बनायी गयीं और प्रत्येक ने अपने सशस्त्र बलों की स्थापना की। ब्रिटिश इकाइयों को तीन सेनाओं में विभाजित किया गया। 1744 में फ्रांस (France) और इंग्लैंड (England) के बीच युद्ध होने के कारण ईस्ट इंडिया कंपनी की सेनाओं का मजबूरन पुनर्गठन किया गया। 1740 के दशक में, अंग्रेजों ने भारतीय इकाइयों को संगठित और प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया था। 1748 में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेनाओं की कमान स्ट्रिंगर लॉरेंस (Stringer Lawrence) के हाथों में दी गयी जिन्हें इतिहासकारों द्वारा आधुनिक भारतीय सेना का पूर्वज माना जाने लगा। उनके मार्गदर्शन में ब्रिटिश अधिकारियों की भर्ती और प्रशिक्षण हुआ तथा सैन्य बलों को तैनात किया गया।
1796 में, कंपनी में 18,000 यूरोपीय और 84,000 भारतीय थे जिन्हें 1830 तक 37,000 और 2,23,000 तक विस्तारित किया गया। 18वीं शताब्दी के अंत तक, प्रत्येक सेना के सैनिकों का विशाल बहुमत भारतीय सैनिकों से बना था जिन्हें सिपाहियों के रूप में जाना जाने लगा था। जब भी ब्रिटिश भारतीय सेना का नाम आता है तो लखनऊ ब्रिगेड (Lucknow Brigade) को भी अवश्य याद किया जाता है। लखनऊ ब्रिगेड 1907 में ब्रिटिश भारतीय सेना की एक इंफैंट्री (Infantry) सेना ब्रिगेड थी, जिसका निर्माण किचनर (Kitchener) सुधारों के परिणामस्वरूप हुआ था। लसवारी की लड़ाई के बाद 1862 से लखनऊ की अपनी छावनी के साथ-साथ अपनी खुद की कैवलरी ब्रिगेड (Cavalry Brigade) भी थी जिसने विश्व युद्ध में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीय अभियान बल ई (Indian Expeditionary Force E) के हिस्से के रूप में इसे 22वें (लखनऊ) ब्रिगेड के रूप में गठित किया गया। 1916 में टूटने से पहले 1915 तक यह मिस्र में कार्यरत थी। आंतरिक सुरक्षा कर्तव्यों और युद्ध के अंतिम वर्ष में भारतीय सेना के विस्तार में सहायता के लिए 1917 में भारत में इस ब्रिगेड को फिर से गठित किया गया। कई प्रायोजनों के तहत युद्ध के बीच यह ब्रिटिश भारतीय सेना का हिस्सा बनी रही जोकि सितंबर 1939 में 6ठी (लखनऊ) इन्फैंट्री ब्रिगेड के रूप में सामने आयी।
इसमें कोई भी दो राय नहीं है कि भारतीय सशस्त्र सेनाएँ भारत की तथा इसके प्रत्येक भाग की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी हैं। सेना के सर्वोच्च कमांडर (Commander) राष्ट्रपति होते हैं तथा सेना का प्रबंधन भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय द्वारा किया जाता है। 14 लाख से अधिक सक्रिय कर्मियों की ताकत के साथ, यह दुनिया के सबसे बड़ा सैन्य बलों में आता है जिसकी अन्य कई स्वतंत्र इकाईयाँ जैसे भारतीय सीमा सुरक्षा बल, असम राइफल्स, राष्ट्रीय राइफल्स, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड, भारत तिब्बत सीमा पुलिस इत्यादि हैं। संख्या की दृष्टि से यदि देखा जाए तो भारतीय थलसेना पूरी दुनिया में दूसरे नम्बर (चीन के बाद) पर है। भारतीय सेना को छह ऑपरेशनल कमांड (Operational Commands) में बांटा गया है। कमांड्स को आगे कई कोर (corps) में विभाजित किया जाता है। इन कोर को फिर ब्रिगेड में विभाजित किया जाता है। एक ब्रिगेड मिलकर कई बटालियनों (Battalions) को बनाती हैं। इसके बाद प्रत्येक बटालियन को कई कंपनियों (Companies) में विभाजित किया जाता है और प्रत्येक कंपनी को प्लेंटूस (Platoons) में विभाजित किया जाता है। प्लेंटूस को कई वर्गों (Sections) में संघठित किया जाता है जोकि सेना की सबसे छोटी इकाइयां होती हैं।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Military_history_of_India
2. https://www.globalsecurity.org/military/world/india/army-history.htm
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Indian_Armed_Forces
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Lucknow_Brigade
5. https://www.jagranjosh.com/articles/nda-cds-exams-structure-and-formation-of-indian-army-1504098156-1
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.