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वर्तमान में शहरीकरण का प्रभाव महानगरों के रूप में सामने आ रहा है। लोग सुख-सुविधाओं की तलाश में निरंतर अपने क्षेत्रों से पलायन करते हैं और शहरों में आकर बस जाते हैं किंतु शहरों में बढ़ती आबादी, औद्योगिकीकरण आदि के कारण एक साथ इतने कस्बे, नगर या छोटे शहर उभरकर सामने आ जाते हैं कि यह महानगर का रूप धारण कर लेता है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि महानगर एक बहुत बड़ा, भारी आबादी वाला शहर है जिसका स्वरूप बहुत जटिल होता है। दूसरे शब्दों में यह महानगरीय क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला है जो विभिन्न शहरों के आपस में विलय हो जाने से उभरा है। लखनऊ शहर जोकि जिले का प्रशासनिक मुख्यालय होने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की राजधानी भी है, निरंतर हो रहे शहरीकरण के कारण महानगर के रूप में उभरा है। यह भारत का 12 वां शहर है जहां देश की सबसे अधिक आबादी निवास करती है।
महानगर को अंग्रेज़ी में मेगापोलिस (Megalopolis) कहा जाता है। यह नाम सबसे पहले सर पैट्रिक गेडेस द्वारा उनकी 1915 में प्रकाशित पुस्तक ‘सिटीज़ इन इवोल्यूशन’ (Cities in Evolution) में दिया गया था। सर पैट्रिक गेडेस एक स्कॉटिश जीवविज्ञानी, समाजशास्त्री, भूगोलविद थे जिन्हें शहरी योजना और समाजशास्त्र के क्षेत्र में उनकी नवीन सोच के लिए जाना जाता है। उन्होंने वास्तुकला और योजना के लिए ‘क्षेत्र’ की अवधारणा को भी पेश किया था। वे 1924 में मोंटपेलियर, फ्रांस में एक अंतरराष्ट्रीय शिक्षण प्रतिष्ठान कॉलेज डेस एस्कोसैस (Collège des Écossais) के संस्थापक भी थे। इनके बाद इस शब्द को ओसवाल स्पेंगलर ने अपनी 1918 की पुस्तक ‘द डिक्लाइन ऑफ़ द वेस्ट’ (The Decline of the West), और लुईस ममफोर्ड ने ‘द कल्चर ऑफ़ सिटीज़’ (The culture of cities) में भी वर्णित किया था।
यह शब्द वर्णित करने का विषय भी है क्योंकि इसके साथ कई हितकारी और कई हानिकारक पहलू जुड़े हुए हैं। यदि हितों की बात की जाए तो महानगर अधिकांश समुदायों के लिए मुख्य शहर है क्योंकि यहां लोगों के लिए सरकार, अधिकांश बैंक, बड़े कार्यालय, समाचार पत्र और प्रसारण केंद्र, महत्वपूर्ण स्टोर (Store), स्कूल, बड़े अस्पताल, पुस्तकालय, थिएटर (Theater) आदि सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। यह क्षेत्र राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से गहरे अंतर्वाहित क्षेत्रों की निरंतर प्रणाली है जिसमें शहर की शुरूआत और उसकी सीमा को व्यक्त कर पाना बहुत कठिन होता है। यह लोगों की जीवन शैली को सुखकर और आसान बना देता है। किंतु लाभों के साथ-साथ इसके दुष्प्रभाव भी समाज पर देखने को मिले हैं। महानगरों में बढ़ती आबादी जहां जनसंख्या विस्फोट को निमंत्रण दे रही है वहीं पर्यावरण प्रदूषण को भी बढ़ावा दे रही है। एक दूसरा प्रभाव यह है कि महानगरों की चकाचौंध में तथा अधिक सुख-सुविधाओं की तलाश में छोटे शहरों के युवा अपने शहरों को छोड़कर महानगरों की ओर पलायन करते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप छोटे शहर अक्सर गाँवों और बड़े शहरों की द्विआधारी चर्चा में खो जाते हैं तथा इनकी ओर किसी का ध्यान नहीं जाता।
महानगरों को शहरी अधिभोग और सामाजिक गिरावट का पहला चरण बताया गया है जिसके कारण शहरी समुदाय का विकास धीमा पड़ जाता है। लेकिन फिर भी मैकिंज़ी ग्लोबल इंस्टीट्यूट (McKinsey Global Institute -MGI) की एक रिपोर्ट के अनुसार छोटे शहर अब वैश्विक आर्थिक विकास को गति देने की ओर अग्रसर हैं। MGI द्वारा पहचाने जाने वाले ये संभावित भारतीय शहर बैंगलोर, पुणे, अहमदाबाद, हैदराबाद, सूरत, नागपुर, कोच्चि और वडोदरा हैं। आज महानगरों के सापेक्ष महत्व में गिरावट आने लगी है क्योंकि ये अत्यधिक जटिल हैं जिनके लिए एक लंबी योजना और असाधारण प्रबंधकीय कौशल की आवश्यकता होती है। इनके विस्तार की देख-रेख और प्रबंधन बहुत कठिन है जिस कारण सरकार इसका प्रबंधन करने में असमर्थ है। एम.जी.आई. की एक रिपोर्ट के अनुसार महानगरों में कुशल नियोजन और प्रबंधन के बिना, शहरों में असुरक्षा का खतरा मंडराता है तथा भीड़भाड़ और प्रदूषण से क्षेत्र प्रभावित होने लगता है। इससे जीवन की गुणवत्ता और आर्थिक गतिशीलता का नुकसान होता है।
महानगरों की यह अवस्था शहरी केंद्रों की वृद्धि को प्रोत्साहित कर सकती है। इसलिए छोटे शहरों की वृद्धि नए भारत में महत्वपूर्ण है। इनके समक्ष कुछ चुनौतियां जैसे विकास का प्रबंधन, बेहतर सामाजिक और भौतिक बुनियादी ढांचा - सड़क, पानी, बिजली, स्कूल और अस्पताल आदि हैं। यदि इन चुनौतियों को हल कर लिया जाए तो छोटे और बड़े शहरों के बीच जीवन शैली के अंतर को कम किया जा सकेगा।
सन्दर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Megalopolis
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Megalopolis#East_Asia
3. https://tcf.org/content/commentary/the-spread-of-megalopolis/?session=1
4. https://bit.ly/2pYGydM
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Patrick_Geddes
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