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भारत एक प्राचीन देश है जहाँ पर मानव सभ्यता का विकास हज़ारों वर्षों पहले शुरु हो चुका था। लेकिन प्राचीन समय में वर्तमान समय की तरह लोगों को अपने पड़ोसी देशों के बारे में कुछ नहीं मालूम था। तब उत्सुक खोजकर्ताओं द्वारा नए मार्गों की तलाश जारी की गई थी और उनके द्वारा कई ऐसे मार्गों को तलाशा किया गया जिसकी वजह से आज वर्तमान में सभी पड़ोसी देश एक दूसरे की सभ्यताओं को बारे में भली भांति जानते हैं और एक दूसरे के साथ व्यापार भी कर रहे हैं।
खोज का युग कुछ विभिन्न कारणों से शुरू हुआ था। सबसे पहले, 14वीं शताब्दी के अंत में, मंगोलों का विशाल साम्राज्य बिखर रहा था, जिसके चलते पश्चिमी व्यापारियों के लिए भूमि मार्ग सुरक्षित नहीं रह गये थे। दूसरा, तुर्क और विनीशियन ने भूमध्य और पूर्व से प्राचीन समुद्री मार्गों के लिए व्यावसायिक पहुंच को नियंत्रित किया। तीसरा, यूरोप के अटलांटिक तटों पर नए राष्ट्र अब विदेशी व्यापार की तलाश के लिए तैयारियां कर रहे थे।
चित्र – उपरोक्त चित्र 15 वीं शताब्दी में बनाया गया जुआन डे ला कोसा (Juan de la Cosa) का नक्शा है जो एक मप्पा मुंडी (उस समय बनाये जाने वाले गोल और विशिष्ट मानचित्र, जो अपने केंद्र में यरूशलेम को दर्शाते हैं।) है। जिसे चमड़े (Parchment) पर चित्रित किया गया है। इसका आकार 93 सेमी ऊंचा और 183 सेमी चौड़ा है। उन्नीसवीं शताब्दी के बाद से यह मैड्रिड (स्पेन) के नौसेना संग्रहालय में संग्रहित है।
पुर्तगाल के राजकुमार हेनरी द नेवीगेटर ने खोज के युग का पहला महान उद्यम शुरू किया, उन्होंने दक्षिण से कैथे तक पूर्व की ओर एक समुद्री मार्ग की खोज की थी। वहीं टॉर्डेसिलस की संधि द्वारा प्रत्यक्ष स्पैनिश प्रतियोगिता से संरक्षित, पुर्तगाली ने पूर्व की ओर अन्वेषण और उपनिवेशीकरण को तेज कर दिया था। 1485 और 1488 में, पुर्तगाल के किंग जॉन द्वितीय ने क्रिस्टोफर कोलंबस के पश्चिम में नौकायन करके भारत पहुंचने के विचार को आधिकारिक तौर पर खारिज कर दिया था। 1492 में कोलंबस एक ज़्यादा सुगम मार्ग से पूर्व में पहुंचा था। हालांकि, एक दशक के अंत तक, कोलंबस के इस दावे की वैधता पर काफी संदेह रहा, जो वर्तमान तक है।
पुर्तगाल के नए राजा मैनुअल प्रथम के शासन काल में, जुलाई 1497 को चार जहाज़ और लगभग 170 पुरुष वास्को द गामा की कमान के तहत लिस्बन से रवाना हुए थे और दिसंबर तक बेड़े ने ग्रेट फिश (Great Fish) नदी को पारित कर दिया। प्रस्थान के दो साल और दो दिन बाद, गामा और 55 पुरुषों का दल पुर्तगाल लौटा और यूरोप से सीधे भारत जाने वाले पहले जहाज़ों में से एक सिद्ध हुआ।
चित्र – निम्न चित्र कैंटिनो प्लानिस्फेयर (Cantino Planisphere) या कैंटिनो (Cantino) नामक पुर्तगाली पांडुलिपि (manuscript Portuguese) है, जिस पर दुनिया का नक्शा अंकित है। ये इटली के मोडेना शहर में एस्टेंस लाइब्रेरी (Bibliotheca Estense in Modena, Italy) में संरक्षित है। इसका नाम अल्बर्टो केंटिनो (Alberto Cantino) के नाम पर रखा गया है, जो ड्यूक ऑफ फेरारा (Duke of Ferrara) का एक प्रतिनिधि था। जिसने 1502 में पुर्तगाल से इटली तक इसकी सफलतापूर्वक तस्करी की थी। इसका आकार 220 X105 सेंटीमीटर है।
17वीं शताब्दी की शुरुआत में तकनीकी प्रगति के बाद अन्वेषण की उम्र समाप्त हो गई और दुनिया के ज्ञान में वृद्धि ने यूरोपीय लोगों को समुद्र के रास्ते विश्व भर में आसानी से यात्रा करने की अनुमति दी। स्थायी बस्तियों और उपनिवेशों के निर्माण ने संचार और व्यापार का एक संजाल बनाया, इसलिए नए मार्गों की खोज की आवश्यकता समाप्त हो गई। खोज के युग ने विश्व के अन्य देशों के साथ-साथ भारत में भी काफी विकास किया, जिसका परिणाम आज हम देख ही सकते हैं।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Age_of_Discovery
2. https://www.britannica.com/topic/European-exploration/The-Age-of-Discovery
3. https://www.thoughtco.com/age-of-exploration-1435006
4. http://www.geog.ucsb.edu/~kclarke/G126/Lecture06.ppt
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Age_of_Discovery#Indian_Ocean_(1497%E2%80%931513)
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/File:1500_map_by_Juan_de_la_Cosa_rotated.jpg
2. https://bit.ly/2BpDkSM
3. https://www.youtube.com/watch?v=17OP-2eSW5M
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