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लखनऊ में यातायात की समस्या कभी भी उत्पन्न हो जाती है, जिसके लिए कई समाधान प्रस्तावित और कार्यान्वित किये जा रहे हैं। लेकिन बढ़ती जनसंख्या के साथ वाहनों की बढ़ती हुई आबादी को देखते हुए, आधुनिक समस्याओं का आधुनिक हल निकालने की आवश्यकता है। हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने हाइपरलूप (Hyperloop) परिवहन तकनीक को व्यावहारिक एवं वाणिज्यिक रूप प्रदान करने वाली निजी कंपनी वर्जिन हाइपरलूप वन (Virgin Hyperloop One) को मुंबई से पुणे के बीच हाइपरलूप निर्माण आरंभ करने की अनुमति प्रदान कर दी है। हाइपरलूप यात्री और/या माल परिवहन का एक प्रस्तावित तरीका है, जिसका उपयोग पहले टेस्ला (Tesla) और स्पेसएक्स (SpaceX) की संयुक्त टीम द्वारा जारी एक ओपन-सोर्स वैक्ट्रेन डिज़ाइन (Open-Source Vactrain Design) का वर्णन करने के लिए किया गया था।
इलोन मस्क द्वारा पहली बार उल्लेख किया गया था कि वे "परिवहन के पांचवें साधन" के लिए एक अवधारणा को तैयार करने की सोच रहे हैं। जिसे जुलाई 2012 में कैलिफोर्निया के सांता मोनिका में पांडोडेली इवेंट (Pandodaily Event) में हाइपरलूप (इसका हाइपरलूप नाम इसलिए चुना गया क्योंकि यह एक लूप में चलेगी) नाम दिया गया। परिवहन के इस काल्पनिक तेज़ गति वाले साधन में निम्नलिखित विशेषताएं होंगी: मौसम प्रतिरक्षा, टकराव मुक्त, विमान की गति से दोगुनी, कम बिजली की खपत और 24 घंटे के संचालन के लिए ऊर्जा भंडारण।
हाइपरलूप तैयार होने के बाद मुंबई-पुणे का सफर महज़ 35 मिनट में तय हो सकेगा। अभी सड़क मार्ग से यह दूरी 3.5 घंटे में पूरी होती है। पहले से ही, मुंबई और पुणे के बीच सालाना लगभग 7.5 करोड़ यात्री यात्रा करते हैं। 2026 तक, यह आंकड़ा बढ़कर 13 करोड़ हो जाएगा। इस वजह से परिवहन प्रणाली का लक्ष्य मुंबई बंदरगाह और पुणे के बीच हाइपरलूप के ज़रिये हल्की मालवाहक इकाइयों के साथ-साथ सालाना 15 करोड़ यात्रियों को ले जाना है।
इसके शुरू होने पर समय की बचत के साथ-साथ पर्यावरण में स्वच्छता बनाई जा सकती है। यह परिवहन संकट को कम करने के अलावा, अर्थव्यवस्था के लिए भी एक वरदान साबित होगा। यह परियोजना हज़ारों नई नौकरियों का सृजन करेगी, व्यापक सामाजिक-आर्थिक लाभों में 3,600 करोड़ डॉलर से अधिक का निर्माण करेगी, और भारत और विश्व के बाकी हिस्सों में निर्यात करने के लिए नए हाइपरलूप घटक और विनिर्माण अवसरों को उत्पन्न करेगी।
जहां इससे लाभ है, वहीं इससे कई अन्य हानियाँ भी होने की संभावना है। हाइपरलूप से होने वाली कुछ आलोचक घटनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं – यह संभव है कि एक बंद सुरंग के अंदर खिड़की रहित कैप्सूल (Capsule) में सवारी करना काफी अप्रिय और भयावह हो सकता है। वहीं यह त्वरण बलों के अधीन है जिससे काफी शोर होने की संभावना हो सकती है। भले ही शुरुआत में ट्यूब (Tube) चिकनी हो, लेकिन भूकंपीय गतिविधि से समय समय पर इसमें बदलाव आ सकता है।
हालांकि, भारत में हाइपरलूप की सफलता नियामक ढांचे पर बहुत अधिक निर्भर करती है। भूमि अधिग्रहण की परेशानियाँ, सुरक्षा के मानक और एक सख्त सीमा शुल्क शासन, अक्सर राष्ट्र में बुनियादी ढाँचे वाली परियोजनाओं को प्रभावित करता है। वहीं इसको फिलहाल मुट्ठी भर छोटे पैमाने पर, कम गति वाले परीक्षण से जांचा गया है। इसका मानव यात्रियों के साथ अभी तक परीक्षण नहीं किया गया है।संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Hyperloop
2. https://bit.ly/2YrUUUw
3. https://www.dezeen.com/2019/08/07/mumbai-pune-hyperloop-virgin-maharashtra-india/
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