देश-भक्ति की भावना को प्रबल करता महात्मा गांधी जी का नमक सत्याग्रह

उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक
02-10-2019 10:00 AM
देश-भक्ति की भावना को प्रबल करता महात्मा गांधी जी का नमक सत्याग्रह

जैसा कि हम जानते ही हैं कि आज 2 अक्टूबर है। इस तिथि को सुनते ही हमें राष्ट्रपिता गांधी जी की जयंती याद आ जाती है। राष्ट्रीय पर्व के रूप में निर्धारित किया गया यह दिन बहुत अहम है क्योंकि इस दिन राष्ट्र पिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी जी का जन्म हुआ जिन्हें बापू नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। महात्मा गांधी, एक ऐसा व्यक्तित्व जो आज हर बच्चे, युवा और वृद्ध के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन न्यौछावर करने तथा देश को स्वतंत्र कराने के अथक प्रयासों के कारण आज भी उनको याद किया जाता है तथा प्रत्येक 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। उनके इन अथक प्रयासों में उनके द्वारा कई आंदोलन चलाए गये जिनमें से नमक आंदोलन भी एक महत्वपूर्ण आंदोलन था। ब्रिटिश साम्राज्य की नींव को हिला कर रख देने वाले इस आंदोलन को नमक सत्याग्रह, दांडी आंदोलन आदि नामों से भी जाना जाता है। इस सत्याग्रह का मुख्य उद्देश्य अंग्रेजों द्वारा नमक पर लगाये गये करों और नियमों को पूर्ण रूप से खत्म करना था ताकि गरीब भारतीय स्वयं नमक बना सके तथा उन्हें बहुत कम कीमतों पर यह उपलब्ध हो। नमक की उपयोगिता तथा आवश्यकता को देखते हुए गांधी जी ने इस प्रतिबंध के खिलाफ आवाज उठाने और इसे खत्म करने के लिए 12 मार्च 1930 को नमक सत्याग्रह प्रारम्भ किया जो 6 अप्रैल, 1930 तक चला।

इस सत्याग्रह की शुरूआत महात्मा गांधी ने अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से की, जिसका गंतव्य स्थान दांडी था। दांडी गुजरात का एक छोटा गांव है जो अरब सागर के तट पर स्थित है तथा यहां नमक आसानी से बनाया जा सकता था। इस यात्रा में उनके साथ 80 अन्य सत्याग्रहियों का समूह शामिल था जिनके साथ दांडी पंहुचने में गांधी जी को 24 दिन का समय लगा। सत्याग्रह इतना प्रभावी था कि समूह में हर आयु वर्ग के लोग शामिल थे तथा समूह जिस भी क्षेत्र से गुजरा उसमें लोग सम्मिलित होते चले गये। इस समूह में सबसे कम उम्र के सत्याग्रही 16 वर्षीय विट्ठल लीलाधर ठक्कर थे। अपने इस मार्च की जानकारी गांधी जी ने पहले ही ब्रिटिश वायसराय (1923-1931) लॉर्ड इरविन को एक पत्र के माध्यम से दे दी थी, जिसमें उन्होंने उनसे औपनिवेशिक रुख पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था किंतु वे न माने और अंततः सत्याग्रह शुरू कर दिया गया।

सत्याग्रह में भारतीय दुग्ध विभाग के डिप्लोमा धारक और गौ सेवा संघ के एक कार्यकर्ता 25 वर्षीय थेवरथुंडियिल टाइटस (Thevarthundiyil Titus) भी शामिल थे। सत्याग्रहियों ने अपना अधिकांश समय गांवों में घूमने में बिताया तथा भोजन के रूप में बिल्कुल साधारण भोजन ग्रहण किया। हालांकि कलकत्ता में लिली बिस्किट कंपनी ने बिस्कुटों की पेशकश की किंतु गांधी जी ने इसके लिए मना कर दिया क्योंकि उन्हें यह असाधारण लगा। इस सत्याग्रह में गृहिणियों का एक समूह भी शामिल था जिसका नेतृत्व कमलादेवी चट्टोपाध्याय ने किया। पुलिस के लाठी प्रहार के बावजूद भी उन्होंने विरोध को बंद करने से इनकार किया और मार्च को करते रहे। आखिरकार, जैसे ही उन्होंने नमक बनाना शुरू किया, कमलादेवी द्वारा तैयार किया गया पहला पैकेट 501 रुपये की राशि में नीलाम हुआ। इस सत्याग्रह की अंतिम शाम को गांधी जी ने अपार जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि – “शायद यह मेरा आखिरी भाषण होगा। भले ही सरकार मुझे कल सुबह मार्च करने की अनुमति दे, लेकिन साबरमती के पवित्र तट पर यह मेरा आखिरी भाषण होगा। संभवतः ये मेरे जीवन के अंतिम शब्द हो सकते हैं। मैं आपको कल ही बता चुका हूं कि मुझे क्या कहना था। आज मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि मेरे और मेरे साथियों के गिरफ्तार होने के बाद आपको क्या करना चाहिए।

जलालपुर के मार्च की योजना ठीक वैसे ही चलनी चाहिए जैसी कि वह निर्धारित की गयी है। इस उद्देश्य के लिए स्वयंसेवकों की सूची केवल गुजरात तक ही सीमित होनी चाहिए। पिछले दिनों मैंने जो कुछ भी सुना, उससे यह मेरा विश्वास है कि इसके बाद नमक कानून के विरुद्ध नागरिक प्रतिरोधों की धारा अखंड हो जाएगी”। इसके अतिरिक्त गांधी जी ने आंदोलन की गरिमा को बनाए रखने का अनुरोध किया तथा इसे शांति पूर्वक चलाने का निर्देश दिया। उन्होंने संघर्ष के लिए अहिंसक संसाधनों का उपयोग करने को अपना समर्थन दिया तथा लोगों को अपने क्रोध पर काबू रखने की सलाह दी।

भाषण में वे लोगों से यही आशा और प्रार्थना करते हैं कि उनके ये शब्द धरती के हर नुक्कड़ तक पहुँचे ताकि यदि वे मर भी जायें तो उनका संकल्प उनसे प्रभावित हर व्यक्ति द्वारा पूरा कर दिया जायेगा और इस प्रकार उनकी इच्छा पूरी हो जायेगी। उन्होंने स्वयंसेवकों से कांग्रेस की कार्य समिति का नेतृत्व करने तथा नमक की सविनय अवज्ञा शुरू करने का अनुरोध किया। वे चाहते थे कि स्वराज की प्राप्ति के लिए लोग सत्य और अहिंसा का मार्ग चुनें तथा आत्मविश्वास, बहादुरी और तप-बल के साथ आगे बढें।

भारतीयों की बढ़ती संख्या ने इस समूह का आकार और भी बढा दिया था। जब गांधी ने 6 अप्रैल 1930 को सुबह 6:30 बजे नमक कानून तोड़ा, तो इसने लाखों भारतीयों द्वारा ब्रिटिश राज्य नमक कानूनों के खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत की। दांडी में वाष्पीकरण द्वारा नमक बनाने के बाद, गांधी जी तट के साथ दक्षिण की ओर बढ़ते रहे तथा रास्ते में नमक बनाते और सभाओं को संबोधित करते आगे बढते गये। कांग्रेस पार्टी ने दांडी से 25 मील दक्षिण में धरसाना नमक वर्क्स (Works) में एक सत्याग्रह करने की योजना बनाई थी किंतु इस कार्रवाई से कुछ दिन पहले 4-5 मई 1930 की आधी रात को गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया। दांडी मार्च और आगामी सत्याग्रहों ने व्यापक अख़बारों और अन्य समाचारों के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए दुनिया भर का ध्यान आकर्षित किया। नमक कर के खिलाफ सत्याग्रह लगभग एक वर्ष तक जारी रहा जिसके परिणामस्वरूप 60,000 से अधिक भारतीयों को जेल में डाल दिया गया। किंतु यह आंदोलन देश वासियों के लिए एक माध्यम बना जिसके जरिए उनमें स्वतंत्रता के लिए संघर्ष की भावना उत्पन्न हुई तथा उन्होंने अहिंसक विरोध के सिद्धांतों का पालन करते हुए अंग्रेजी शासन का विरोध किया। अहिंसक विरोध के सिद्धांतों पर आधारित इस सत्याग्रह को "सत्य-बल" के रूप में अनुमोदित किया गया जिसमें हज़ारों सत्याग्रहियों और सरोजनी नायडू जैसे नेताओं ने उनका साथ दिया।

संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Salt_March
2. https://gandhiashramsabarmati.org/en/the-mahatma/speeches/dandi-march.html
3. https://www.thebetterindia.com/170955/gujarat-national-salt-satyagraha-memorial-dandi-gandhi/

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.