समयसीमा 229
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 963
मानव व उसके आविष्कार 757
भूगोल 211
जीव - जन्तु 274
भारत में जीव-जंतुओं की कई ऐसी प्रजातियां हैं जो विलुप्त होने की कगार पर हैं या संकटग्रस्त हैं। इन्हीं जीवों में से एक प्रजाति घड़ियाल की भी है जो अपने जीवन को बनाये रखने के लिए संघर्ष कर रहा है। घड़ियाल प्रजाति मगरमच्छ से सम्बंधित है जिसकी आबादी में 1930 के बाद से बहुत तेज़ गिरावट आई है जिसका मुख्य कारण आवास का नुकसान, खाद्यापूर्ति में कमी, शिकार आदि हैं। प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) ने इस प्रजाति को अपनी रेड लिस्ट (Red List) में सूचीबद्ध किया है।
लखनऊ का कुकरैल संरक्षण वन मगरमच्छ की इस प्रजाति को बचाने की ओर अग्रसर है। यह वन लखनऊ से लगभग 9 कि.मी. दूर स्थित है। भारत में घड़ियालों की संख्या लगातार कम होने के बाद राज्य सरकार ने इसे विशेष रूप से घड़ियालों के संरक्षण के लिए बनाया। कुकरैल संरक्षण वन भारत के प्रसिद्ध वन भंडारों में से एक है जिसे उत्तर प्रदेश सरकार की विशेष पहल के तहत विकसित किया गया। आरक्षित वन के साथ-साथ कुकरैल प्रमुख पर्यटन स्थल और राष्ट्रीय उद्यान के रूप में भी विकसित है तथा नौका विहार के लिए भी शानदार अवसर प्रदान करता है। यहां के राष्ट्रीय उद्यान में सांभर, हिरण, तेंदुए और अन्य जंगली जानवरों को भी संरक्षित किया जाता है जो राष्ट्रीय उद्यान को सजाते हैं और अपने आगंतुकों का मनोरंजन करते हैं। यहां विभिन्न प्रकार के प्रवासी पक्षी भी देखे जा सकते हैं। यहां के घड़ियाल प्रजनन केंद्र में अकेले लगभग 300 घड़ियाल रहते हैं।
कुकरैल संरक्षण वन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
मादा घड़ियालों के लिए एक प्रजनन मैदान विकसित करना:
उत्तर प्रदेश में घड़ियाल मुख्य रूप से रामगंगा नदी, सुहेली नदी, गिरवा नदी और चंबल नदी में पाए जाते हैं। 1975 में इनके आवासों को संरक्षण देने की आवश्यकता महसूस की गई ताकि वे अंडे दे सकें और नवजात घड़ियालों को पैदा कर सकें। एक अनुमान के अनुसार यहां की नदियों में केवल 300 मगरमच्छ ही बचे थे।
वन आरक्षित अधिकारी इन नदियों से नवजात घड़ियालों को इकट्ठा करते हैं और उन्हें तब तक पोषण देते हैं जब तक वे खुद की देखभाल करने और शिकारियों से खुद को बचाने के लिए सक्षम नहीं हो जाते। बड़े हो जाने पर इन्हें चंबल नदी में छोड़ दिया जाता है ताकि ये वास्तविक जीवन का अनुभव कर सकें। यह कार्य बहुत सफलतापूर्वक जारी रहा जिसे उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों में आगे बढ़ाया गया।
घड़ियालों के शिकार को प्रतिबंधित करना
कुकरैल संरक्षण वन को घड़ियाल पुनर्वास केंद्र भी कहा जाता है। घड़ियाल की त्वचा की तस्करी और इनके अन्य अवैध शिकार को रोकने के लिए यह वन स्थापित किया गया है।
प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवों का संरक्षण
कुकरैल संरक्षण वन जहां घड़ियाल को संरक्षण प्रदान कर रहा है वहीं प्राकृतिक वनस्पति और अन्य जंगली जंतुओं को भी संरक्षित करने में सहायक सिद्ध हुआ है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के वन विभाग ने तेंदुए के बचाव केंद्र को भी यहां विकसित करने के लिए एक प्रस्ताव जारी किया है।
कुकरैल संरक्षण वन में पहुंचने के लिए प्रायः दो सड़कों का उपयोग किया जा सकता है। पहला इंदिरा नगर में मुंशी पुलिया से, दूसरा खुर्रम नगर क्रॉसिंग से। हवाई माध्यम से यहां पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा अमौसी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। लखनऊ और आसपास के सभी प्रमुख शहरों से राज्य या निजी बस सेवाओं का उपयोग करके कुकरैल संरक्षण वन तक आसानी से पहुँचा जा सकता है। रेल द्वारा यहाँ पहुचने के लिए, इसका निकटतम जंक्शन बादशाह नगर रेलवे स्टेशन है।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2Ku5P69
2. https://bit.ly/2M4vENs
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://bit.ly/2GWp2wf
2. https://www.youtube.com/watch?v=h9AY7-JtsVI
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.