श्रावण मास में सोमवार उपवास का महत्व, विधि और लाभ

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
29-07-2019 11:45 AM
श्रावण मास में सोमवार उपवास का महत्व, विधि और लाभ

श्रावण मास भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। हिन्दू धर्म में प्रचलित अनेक किवदंतियों में से एक के अनुसार “ भगवान विष्णु के सो जाने के बाद रुद्र ही स्रष्टि के संचालन का कार्य करते हैं। श्रावण माह में भी सोमवार का विशेष महत्व है। वार प्रवृत्ति के अनुसार सोमवार भी सोम (हिमांशु) अर्थात चन्द्रमा का ही दिन है। स्थूल रूप में अभिलक्षणा विधि से भी यदि देखा जाए तो चन्द्रमा की पूजा भी स्वयं भगवान शिव को स्वचालित ही प्राप्त हो जाती है क्योंकि चन्द्रमा का निवास भी भुजंग भूषण भगवान शिव का सिर ही है।

भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए श्रवण मास में भक्त लोग उनके कई प्रकार से पूजन अभिषेक करते हैं। भगवान भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होने वाले देव हैं, वह प्रसन्न होकर भक्तों की इच्छा पूर्ण करते हैं। महिलाएँ श्रावण से सोलह सोमवार का व्रत धारण (प्रारंभ) करती है, सुहागन महिला अपने पति एवं पुत्र की रक्षा के लिए, कुँवारी कन्या इच्छित वर प्राप्ति के लिए एवं अपने भाई-पिता की उन्नति के लिए पूरी श्रद्धा के साथ व्रत धारण करती है।

श्रावण से सोलह सोमवार कुल वृद्धि के लिए, लक्ष्मी प्राप्ति के लिए, सम्मान के लिए भी किया जाता है। इस व्रत को प्रारंभ करने के लिए विशेष मुहुर्त एवं शिवजी के निवास का ध्यान रखना चाहिए। शिव अलग-अलग स्थान पर रहते हैं, अत: जिस दिन से आप सोमवार व्रत प्रारंभ करें। शिवजी का निवास अवश्य देखें। जिससे आप जिस उद्‍देश्य से शिवजी का व्रत रखें, वह पूर्ण हो।

क्योंकि शिवजी वृषभ (नंदी) पर बैठे हों, तो लक्ष्मी प्राप्ति, गौरी के साथ हो तो शुभ, कैलाश पर बैठे हो, तो आपको सौख्य की प्राप्ति होती है। सभा में बैठे हों, तो कुल वृद्धि होती है। भोजन कर रहे हों, तो अन्न की प्राप्ति, क्रीड़ा कर रहे हो, तो संतापकारक होता है। यदि शिवजी श्मशान घाट में हो तो मृत्यु के समान होता है, अत: सोच-विचार करके सोलह सोमवार प्रारंभ करे।

सावन के सोमवार व्रत का महत्व-
भगवान शिव की पूजा के लिए और विशेष रूप से वैवाहिक जीवन के लिए सोमवार की पूजा की जाती है। अगर कुंडली में विवाह का योग न हो या विवाह होने में अड़चने आ रही हों तो संकल्प लेकर सावन के सोमवार का व्रत किया जाना चाहिए। ये भी हैं सावन सोमवार में उपवास रखने के लाभ-
अगर कुंडली में आयु या स्वास्थ्य बाधा हो या मानसिक स्थितियों की समस्या हो तब भी सावन के सोमवार का व्रत श्रेष्ठ परिणाम देता है ।
सोमवार व्रत का संकल्प सावन में लेना सबसे उत्तम होता है , इसके अलावा इसको अन्य महीनों में भी किया जा सकता है।
• इसमें मुख्य रूप से शिव लिंग की पूजा होती है और उस पर जल तथा बेल पत्र अर्पित किया जाता है।
सावन के सोमवार की पूजा विधि-
प्रातः काल स्नान करने के बाद शिव मंदिर जाएं।
घर से नंगे पैर जायें तथा घर से ही लोटे में जल भरकर ले जाएं।
मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करें, भगवान को साष्टांग करें।
वहीं पर खड़े होकर शिव मंत्र का 108 बार जाप करें।
दिन में केवल फलाहार करें।
सायंकाल भगवान के मन्त्रों का फिर से जाप करें, तथा उनकी आरती करें।

सन्दर्भ:-
1. https://bit.ly/2Omp5Yh
2. https://bit.ly/2GxIPSu
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://bit.ly/2YbkT21

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