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पृथ्वी- जीवनदायनी ग्रह लाखों करोड़ो तारों में से एक सूर्य के चक्कर लगाती है। ऐसे ही कई अन्य तारों का कई अन्य ग्रह चक्कर लगाते हैं। पृथ्वी की आकाशगंगा में करीब 100-400 बिलियन तारे मौजूद हैं और ऐसी ही कई और आकाशगंगा इस ब्रह्माण्ड में उपस्थित हैं। विज्ञान पूरी तरह से यह नहीं मानता कि ऐसे तारों की गणना या प्रतिशत कितना है जो कि सूर्य की तरह दिखते हैं पर फिर भी यह माना जा सकता है कि पूरी आकाशगंगा में ऐसे कुल 5 से 20 प्रतिशत तारे हैं जो कि सूर्य की तरह दिखते हैं।
ऐसी स्थिति में यह भी एक वाद का विषय है कि ऐसे सूर्य की तरह जो तारे हैं उनके समीप पृथ्वी की तरह दिखने वाले ग्रह भी होंगे जिनपर जल, वायु आदि उपस्थित होगा। यदि प्रतिशत में निकाला जाए तो पी.एन.ए.एस. (PNAS - Proceedings of the National Academy of Sciences of the United States of America) के अध्ययन के अनुसार ये 1 प्रतिशत हैं। पूरी आकाशगंगा में अब यदि संख्या में देखा जाए तो यह 100 बिलियन बिलियन की संख्या पर पहुँचता है। अब इस हिसाब से विश्व में उपस्थित सभी रेत के दानों की संख्या के बराबर पृथ्वी जैसे ग्रह इस ब्रह्माण्ड में उपस्थित हैं। अब हम यदि सोचें कि उन सभी पृथ्वियों पर भी जीवन संभव हुआ तो हम कह सकते हैं कि वहां भी जीव या इंसान रहते होंगे। अब ऐसे में यदि आंकड़ा लगायें तो करीब 10 मिलियन बिलियन सभ्यताएं इस समय इस संसार में मौजूद होंगी। यह हमें ये तथ्य देता है कि हमारे अलावा भी इस ब्रह्माण्ड में कई और ग्रहों पर लोग रहते हैं जो हमारी पहुँच से काफी दूर हैं। अब क्या यह मान लेना चाहिए कि इस ब्रह्माण्ड में एलियन (Alien) मौजूद हैं?
अब हम एलियन की परिभाषा देखते हैं तो यह पता चलता है कि पृथ्वी के अलावा यदि किसी और ग्रह पर जीवन है तो वह एलियन है। अगर इस दुनिया में एलियन हैं, तो वो हैं कहाँ, यह एक सोच का विषय है। इसी विषय में एक मत है फर्मी पैराडॉक्स (Fermi Paradox) का जिसके अनुसार हमारा यह ब्रह्माण्ड 14 बिलियन साल पहले बना था और इसमें करोड़ों तारे और ग्रह हैं, जिनमें से एक हमारी पृथ्वी है जो कि 4 बिलियन साल पुरानी है और यहाँ पर हम मानवों को आने में करोड़ों साल लग गए। ऐसे ही इस दुनिया में करोड़ों और पृथ्वी जैसे ग्रहों पर जीवन हो सकता है पर वो कहाँ है यह कह पाना संभव नहीं है।
विश्व भर में तमाम जगहों से यह खबर आती है कि एलियन की उड़न तश्तरी देखी गयी है परन्तु इसका सत्यापन अभी तक नहीं हो सका है। अमेरिका के डिस्ट्रिक्ट 9 के विषय को भी इस तथ्य में देखा जा सकता है जहाँ यह कहा जाता है कि यहाँ पर एलियन आये थे। अभी हाल ही में लखनऊ में भी उड़न तश्तरी देखने का दावा किया गया था तो क्या यह कहा जा सकता है कि लखनऊ में भी एलियन आये थे? अभी तक इस उड़न तश्तरी के विषय में कोई भी सरकारी पुष्टि नहीं हुयी है। लखनऊ के अमित त्रिपाठी जो कि राजाजीपुरम के इ-ब्लाक के निवासी हैं ने आसमान में कुछ गोल चमकीली चीज़ उड़ती हुयी देखी और उसका फोटो निकाला। वह उड़न तश्तरी जैसी चीज़ करीब 40 सेकंड में गायब हो गयी। जुलाई 11, जुलाई 12 और जुलाई 14 को गुवाहाटी, शामली और टूंडला में भी ऐसी उड़न तश्तरियां देखने को मिली थीं। अब ऐसे में यह कहना कहाँ तक सत्य होगा कि हमारे बीच में एलियन निवास करते हैं और वो इसी आकाशगंगा से ही आये हैं पर हम अभी तक उनसे मिले नहीं हैं? यह एक शोध का विषय है जो कि धीरे-धीरे अपने राज़ पर से पर्दा उठाएगा। तब तक के लिए शायद हमारा सत्य यही होगा कि एलियन के मौजूद होने की संभावना काफी कम है।
संदर्भ:
1. https://waitbutwhy.com/2014/05/fermi-paradox.html
2. https://bit.ly/2JLCJin
3. https://newint.org/features/2002/06/05/aliens
4. https://bit.ly/2LsPEc0
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