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विश्व में कुल पपीते के उत्पादन में 50% हिस्सा भारत द्वारा उत्पादित किया जाता है। जबकि वास्तव में देखा जाए तो पपीता मूलतः भारत की नहीं वरन् मैक्सिको की फसल है, जिसे 16वीं शताब्दी में भारत लाया गया था, जो आज भारत में फलों के व्यवसाय में 5वां सबसे महत्वपूर्ण फल बन गया है। लखनऊ के किसान अन्य फसलों की खेती की अपेक्षा पपीते की खेती से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। जो किसान चावल और गेहूं की खेती में 20,000-30,000 सालाना कमाते थे, वे पपीते की खेती में अपने सर्वोत्तम प्रयास के माध्यम से 4,00,000-5,00,000 रुपये आसानी से कमा सकते हैं। लखनऊ अभी अपने पपीते की खपत का केवल 2% उत्पादन कर रहा है और इसका शेष हिस्सा गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों से आयात किया जाता है। भारत में सालाना लगभग 2,300 टन पपीता का उत्पादन किया जाता है।
पपीता मूल रूप से एक उष्णकटिबंधीय फसल है। हालांकि, यह उप-उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भी अच्छी तरह से वृद्धि करता है। हल्की सर्दियों वाले तलहटी क्षेत्र पपीते की खेती के लिए आदर्श माने जाते हैं। क्योंकि ज्यादा तापमान या ज्यादा सर्दी पपीते की खेती पर प्रतिकुल प्रभाव डालते हैं। वर्षा वाले क्षेत्रों में पपीते को वर्ष भर में 1,500-2,000 मिमी वर्षा में उगाया जा सकता है। उच्च आर्द्रता फलों की मिठास को प्रभावित करती है। कम तापमान पर भी फलों की मिठास कम हो जाती है। पकने के मौसम में गर्म और शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है।
कृषि फसलों का कीट पतंगों द्वारा प्रभावित होना स्वभाविक है, पपीते की फसल भी मक्खियाँ, टिड्डों, एफिड्स (Aphids), रेड स्पाइडर माइट (Red spider mite), स्टेम बोरर (Stem borer) और ग्रे-वीविल (Grey weevil) द्वारा प्रभावित होती है। इन सभी के संक्रमण को डायमेथोएट (Dimethoate) (0.3%) या मिथाइल डेमेटोन (Methyl Demeton) (0.05%) के रोगनिरोधी स्प्रे (Spray) के माध्यम से समाप्त किया जा सकता है।
पपीते में लगने वाली प्रमुख बिमारियां पाउडर (Powder) की तरह फफूंदी (ओडियम कारिशे-Oidium caricae), कोलेटोट्रिकम ग्लियोस्पोरियोइड्स (Colletotrichum gloeosporioides), आर्द्र पतन और तना सड़ना हैं। आद्र सल्फर (1 g./l.) कार्बेन्डाजिम / थायोफैनेट मिथाइल (Carbendazim / Thiophanate methyl) (1 g./l.) और कवच / मैनकोज़ेब (Kavach/Mancozeb) (2 g./l.) का उपयोग रोगों को नियंत्रित करने में प्रभावी पाया गया है। किंतु पपीता रिंग्सपॉट वायरस (Papaya ringspot virus-PRSV) इसकी फसल के लिए अभिशाप बनता जा रहा है। पिछले एक दशक में, ताइवान और हवाई किस्मों की भारत में शुरूआत ने यहां पपीते की उत्पादता को बढ़ाया तो है ही परन्तु इसके साथ ही रिंग्सपॉट वायरस के हानिकारक प्रभावों को भी बढ़ा दिया है।
यह वायरस पॉटीवायरस (Potyvirus) जाति का एक रोगजनक पादप विषाणु है। यह विषाणु कुल पोटीविरिडे (Potyviridae) से संबंधित है, जो मुख्यतः पपीते के पेड़ को संक्रमित करता है। यह वायरस अनावरित छड़ी के आकार का एक कण होता है, जो 760-800 नैनोमीटर लंबे और 12 नैनोमीटर व्यास के बीच होता है। यह वायरस मुख्यतः दो प्रकार (PRSV-P और PRSV-W) के होते हैं, जिनमें से PRSV-P पपीते की फसल को प्रभावित करता है।
एफिड्स (Aphids) इस वायरस का प्रमुख रोग वाहक है। शोधकर्ताओं ने संक्रमित पत्तियों में तीन प्रकार के एफिड्स को उजागर किया है। जिन क्षेत्रों में यह वायरस मौजूद नहीं हैं, वहां संक्रमित रोपाई लगाकर रोग का संचरण हो सकता है। यदि पौधा विकास के प्रारंभिक चरण (एक से दो महीने) में संक्रमित हो जाता है, तो उसमें किसी प्रकार की फसल नहीं उगेगी। यदि विकास के बाद के चरणों में फसल संक्रमित होती है तो इसकी उपज में कमी आ जाती है।
वैज्ञानिकों का सुझाव है कि वायरस के प्रभाव को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है कि इन पौधों की एक-दूसरे से दूरी पर खेती की जाए और उनकी एकल कृषि से बचें। पपीते की फसल को वायरस के प्रभाव से बचाने के लिए खेत में रोपाई करने से पहले ही नर्सरी में कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए तथा पौधशाला में ही प्रभावित पोधों की जांच कर उनके स्थान पर स्वस्थ पौधे रखने चाहिए। पौधों की रोपाई एक साथ करने की बजाए दो चरणों में करनी चाहिए। इस प्रकार के छोटे-छोटे कदम उठाकर फसल को वायरस के प्रभाव से बचाया जा सकता है।
संदर्भ:
1. https://www.actahort.org/books/1111/1111_13.htm
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Papaya
3. https://www.agrifarming.in/papaya-farming
4. https://www.oneindia.com/2009/11/09/lucknowfarmers-benefiting-from-papaya-farming.html
5. https://www.downtoearth.org.in/news/saving-papaya-4809
6. https://en.wikipedia.org/wiki/Papaya_ringspot_virus
7. https://bit.ly/32hCYd8
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://cdn.pixabay.com/photo/2018/09/03/19/08/papaya-3652074_960_720.jpg
2. https://www.flickr.com/photos/bravesirrobin/623101337
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