शरबतों का इतिहास और भारतियों का मनपसंद रूह अफज़ा

स्वाद- खाद्य का इतिहास
13-05-2019 11:00 AM
शरबतों का इतिहास और भारतियों का मनपसंद रूह अफज़ा

प्राचीन काल से ही पसंद किये जाने वाले ‘शरबत’ का नाम तो आपने सुना ही होगा और गर्मियों की चिलचिलाती धूप में इस पेय को आप घर पर भी अवश्य बनाते होंगे। तो आइये जानते हैं इसके इतिहास के बारे में। शरबत पश्चिम एशियाई और भारतीय उपमहाद्वीप का एक लोकप्रिय पेय है जो फलों या फूलों की पंखुड़ियों से तैयार किया जाता है। शरबत स्वाद में मीठे और आमतौर पर ठन्डे पेय को सांद्रित करके या पानी में मिलाकर परोसा जा सकता है। शरबत के नाम से जाना जाने वाला यह पेय तुलसी के बीज, गुलाब जल, ताजे गुलाब की पंखुड़ियों, चंदन, बेल, गुड़हल, नींबू, संतरा, आम, अनानास आदि का उपयोग करके बनाया जाता है। यह ईरानी, भारतीय, तुर्की, बोस्नियाई, अरबी, अफ़गानी, पाकिस्तानी, श्रीलंकाई और बांग्लादेशी घरों का आम पेय है। रमज़ान के महीने में मुस्लिम लोग इसे पीकर अपना दैनिक उपवास तोड़ते हैं। भारत के केरल और तमिलनाडु क्षेत्रों में यह 'सर्बथ' के नाम से भी जाना जाता है।

शरबत अरबी शब्द ‘शारिबा’ से लिया गया है जिसका अर्थ है “पीना’ तथा यह 16 वीं शताब्दी में मुगलों द्वारा भारत में लाया गया था। इसका सबसे पुराना उल्लेख 12 वीं शताब्दी की एक फ़ारसी पुस्तक, ‘ज़खीरिये ख़्वारज़मशाही’ में मिलता है। लेखक इस्माइल गोरगानी ने अपनी पुस्तक में ईरान में उपयोग की जाने वाली शरबत की कई किस्मों का वर्णन किया है। बाबरनामा के अनुसार, शरबत बाबर का पसंदीदा पेय था और उसी ने इसे भारत में पेश किया। कहा जाता है कि इस ताज़ा पेय को बनाने के लिए वह अपने लोगों को हिमालय भेजता था ताकि वे वहां से ठंडी बर्फ लेकर आयें। अन्य मुग़ल बादशाह जैसे जहाँगीर, फालूदा शरबत के बहुत शौकीन थे। शरबत प्राचीन तुर्की में भी बहुत लोकप्रिय था और यहां इसे बनाने में उपयोग किए जाने वाले मसालों, जड़ी-बूटियों और फलों को ओटोमन (Ottoman) महल में फार्मासिस्ट (Pharmacists) और डॉक्टरों की देखरेख में उगाये जाते थे।

पूरे देश में शरबत के कई प्रकार मिलते हैं, जो प्रतिष्ठित ‘रूह अफ्ज़ा’ से शुरू होते हैं। रूह अफ़ज़ा एक सांद्रित मिश्रण है जिसका निर्माण 1948 से भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में हो रहा है तथा इसका उत्पादन हमदर्द लेबोरेटरीज़ (Hamdard Laboratories) द्वारा किया जा रहा है। 1906 में, यूनानी हर्बल दवा के चिकित्सक, हकीम मोहम्मद कबीरुद्दीन ने पुरानी दिल्ली, भारत में अपने क्लिनिक की स्थापना की और उसके अगले ही वर्ष पुरानी दिल्ली के लाल कुआँ के एक प्रतिष्ठान से रूह अफ़ज़ा का शुभारंभ किया। हमदर्द लेबोरेटरीज़ के प्रसिद्ध उत्पादों में शरबत रूह अफज़ा, सफ़ी, रोगन बादाम शिरीन, स्वालिन, जोशिना और सिनकारा आदि शामिल हैं। 1970 से 1990 के दशक में अत्यधिक पसंद किया जाने वाला यह पेय एक गिलास ठन्डे पानी या दूध में रूह अफज़ा की 1-2 चम्मच मिलाकर बनाया जाता था। रूह अफज़ा की विशिष्ट यूनानी विधि कई शीतल पदार्थों को एक साथ मिलाती है। रमज़ान के महीने में इफ्तार (Iftar) के दौरान इसका सेवन किया जाता है। इस पेय को ‘रिफ्रेशर ऑफ़ द सोल’ (Refresher of the soul – रूह को तरोताज़ा करने वाला) नाम के रूप में भी अनुवादित किया गया है। प्राचीन समय में शरबत का चलन बहुत ही अधिक था किंतु युवाओं के बीच शीतल पेय (Cold Drinks) और डिब्बाबंद फलों के रस (Packed Fruit Juices) की लोकप्रियता के कारण वर्तमान में इसकी मांग कम हो गयी है। शरबत को पुनर्जीवित करने के लिये इसे वर्तमान जीवन शैली के अनुकूल बनाना आवश्यक है। रूह अफज़ा खासतौर पर रमज़ान के दौरान अधिक लोकप्रिय होता है, क्योंकि यह ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत भी है। सूत्रों के अनुसार वर्तमान में उत्तर भारत के कई शहरों में इसका अभाव देखने को मिल रहा है, जिससे लोगों को यह स्वास्थ्यवर्धक पेय उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। गाजियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद, आगरा, एटा, इटावा, कानपुर, अलीगढ़ स्थानों के साथ-साथ नवाबों के शहर लखनऊ के अधिकांश छोटे और बड़े स्टोरों पर भी यह उपलब्ध नहीं है। यह पेय बिग बाज़ार (Big Bazar), मेगामार्ट (Megamart) आदि के अलावा ऑनलाइन (Online) भी उपलब्ध नहीं है। और यदि कहीं पर उप्लब्ध है भी तो इसके लिए अतिरिक्त डिलीवरी चार्ज (Delivery Charge) का भुगतान करना होगा। हर साल गर्मियों के आगमन के साथ ही रूह अफज़ा का प्रचार प्रारंभ हो जाता था, किंतु इस वर्ष रूह अफज़ा का व्‍यवसाय ठंडा दिखाई पड़ रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि इसकी निर्माता कंपनी के मालिकों के मध्‍य आपसी विवाद चल रहा है, जिस कारण इसका उत्‍पादन मंद पड़ गया है। किंतु कंपनी द्वारा उत्‍पादन रुकने का कारण तकनीकी खराबी को बताया जा रहा है। जिसके सही होते ही पुनः उत्‍पादन प्रारंभ कर दिया जाएगा।

संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Sharbat
2. https://in.style.yahoo.com/post/144792732429/history-of-sherbet
3. http://bit.ly/2H9SuPP
4. http://bit.ly/2J2U5cH
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Rooh_Afza
6. https://www.siasat.com/news/ahead-ramzan-rooh-afza-disappeard-market-1487377/
7. http://bit.ly/2DYVJHR
8. http://www.hamdard.in/brand

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