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गोमती नदी उत्तर प्रदेश की प्रमुख नदियों में से एक है और गंगा की एक सहायक नदी है। हिन्दु पुराणों के अनुसार गोमती को ब्रह्मर्षि वशिष्ठ की पुत्री माना गया है। कहा जाता है की एकादशी पर गोमती नदी में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते है। श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक कार्यों को संपन्न करने के लिए गोमती नदी भारत की अनुकरणीय नदियों में से एक है। साथ-साथ इसमें दुर्लभ गोमती चक्र भी पाए जाते हैं।
यह 950 किमी का सफर तय करते हुए उत्तर प्रदेश से वाराणसी जिले से 27 किलोमीटर दूर सैयदपुर, कैठी के पास गंगा से मिलती है, गोमती और गंगा के संगम में प्रसिद्ध मार्कण्डेय महादेव मंदिर स्थित है। इसका उद्गम पीलीभीत जनपद के माधोटान्डा कस्बे में होता है। माधोटान्डा पीलीभीत से लगभग 30 कि.मी. पूर्व में स्थित है। कस्बे के मध्य में फुलहर झील है जिसे "फुल्हर ताल" या "गोमत ताल" कहते हैं, वही इस नदी का स्रोत है। इस ताल से लगभग 20 कि.मी. के सफ़र के बाद इससे एक सहायक नदी "गैहाई" मिलती है और लगभग 100 कि.मी. के सफ़र के पश्चात यह लखीमपुर खीरी जनपद की मोहम्मदी खीरी तहसील पहुँचती है जहां इसमें सहायक नदियाँ जैसे सुखेता, छोहा तथा आंध्र छोहा से मिलती हैं। इसके बाद सीतापुर जिले में यह कठीना सहायक नदी से मिल कर एक पूर्ण नदी का रूप ले लेती है। जौनपुर के पास गोमती में एक प्रमुख सहायक साई नदी शामिल हो जाती है।
नदी जौनपुर शहर एवं सुल्तानपुर जिले को लगभग दो बराबर भागों में बाटती हैं और जौनपुर में व्यापक हो जाती है। लखनऊ, लखीमपुर खीरी, सुल्तानपुर और जौनपुर गोमती के किनारे पर स्थित हैं और ये इसके जल को ग्रहण करने वाले 15 सबसे प्रमुख शहर क्षेत्रों में से एक हैं। 240 किलोमीटर के सफर के बाद गोमती नदी लखनऊ में प्रवेश करती है, यह लगभग 12 किलोमीटर तक शहर में बहती है और पानी की आपूर्ति करती है। लखनऊ में बहते इस नदी में, 25 शहर की नालियों का पानी और अपशिष्ट जल व सीवेज इस नदी में जाता है।
नदी की विशेषता यह है कि ये बारहमासी है। मानसून के मौसम के अलावा, यह नदी पूरे साल काफी धीमी रफ्तार से बहती है। इसका 75 प्रतिशत प्रवाह सितंबर माह में हनुमान सेतु, लखनऊ पर 125 प्रति सेकंड घन मीटर रिकार्ड किया गया है और मईघाट,जौनपुर (साईं-गोमती संगम के बाद) पर 450 प्रति सेकंड घन मीटर। नदी का कुल जल निकासी क्षेत्र 30,437 वर्ग किमी है। साईं नदी इसकी मुख्य सहायक नदी है, जिसका कुल जल निकासी क्षेत्र 12,900 वर्ग किमी है, जो लगभग गोमती बेसिन का 43 प्रतिशत क्षेत्र है। इस नदी की अन्य सहायक नदियां-कठीना, भैंसी, सरयन, गों, रेठ, साई, पिली और कल्याणी है, जिनका उद्गम काफी कम दूरी पर स्थित है और इनके प्रवाह के साथ बेसिन में विभिन्न शहरों और औद्योगिक इकाइयों का गंदा-पानी और औद्योगिक अपशिष्ट भी बहता रहता है।
चीनी मिलों, घरेलू कचरा और सीवेज और औद्योगिक कारखानों के कचरे के कारण यह नदी प्रदूषित हो चुकी है। सरकार भी मानती है कि गोमती में प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। इसकी सहायक नदियां भी इसके प्रदूषण को बढ़ाती रहती है जैसे कि कुकरैल जलनिकास जो बड़ी मात्रा में मानव और औद्योगिक प्रदूषक को अपने साथ गोमती में प्रवाहित कर देता है और बढ़ते हुए प्रदूषण से जलीय जीवन भी प्रभावित हो रहा है। लखनऊ में इस नदी की हालत सबसे ज्यादा खराब है। अपने प्रवाह के दौरान यह नदी कई ऐसे स्थानों से होकर भी गुजरती है जहां काफी हद तक गंदगी फैली रहती है, क्योंकि यह चीनी प्रसंस्करण, पेपर और प्लाईवुड उद्योगों से होकर गुजरती है। औद्योगिक अपशिष्ट से लेकर घरेलू गंदगी के साथ, यह नदी 15 छोटे और बड़े शहरों के लिए एक बहते हुए डंपिंग यार्ड (dumping yard) में तब्दील हो चुकी है। आज नदी का प्रवाह नाम मात्र के लिये रह गया है और इसमें मौजूद ऑक्सीजन का प्रतिशत काफी हद तक गिर गया है। वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए हम सभी को इसे जीवित रखने के लिये इसकी स्वच्छता के प्रति जागरूक होना पड़ेगा।
संदर्भ:
1.http://lucknowinfo.com/gomti-river-front-demo/history-gomti-river.html
2.https://en.wikipedia.org/wiki/Gomti_River
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