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मानवीय शरीर छोटी-छोटी कोशिकाओं की एक संयुक्त संरचना है, जिसे बहुकोशिकीय जीव भी कहा जा सकता है। मानव शरीर अपने आंतरिक और बाह्य परिवर्तन के लिए पूर्णतः कोशिकाओं पर निर्भर होता है। कोशिकायें आवश्यकता अनुसार हमारे शरीर में आजीवन उत्पादित और विघटित होती रहती हैं जो हमारे शारीरिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। अतः इनका सुचारू रूप से संचालन होना अनिवार्य है। किंतु आज मनुष्य अपनी व्यस्तता भरी दिनचर्या में अनेक परिचित और अपरिचित बिमारियों से रूबरू हो रहा है। जिनमें से कई बिमारियां (दिल का दौरा, केंसर, मधुमेह, मस्तिष्क चोट इत्यादि) आंतरिक रूप से हमारी कोशिकाओं को काफी क्षति पहुंचाती हैं, जो हमारी जीवन यात्रा को भी अवरूद्ध कर सकती हैं।
आधुनिक तकनीकी दौर के चलते कुछ भी असंभव सा नहीं लगता, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है स्टेम कोशिकीय चिकित्सा (Stem Cell Therapy)। स्टेम कोशिका वे कोशिका हैं, जो शरीर के किसी भी भाग में कोशिका को विकसित करने की क्षमता रखती हैं, साथ ही इन्हें किसी भी क्षतिग्रस्त कोशिकाओं के साथ बदला जा सकता है। स्टेम कोशिकीय चिकित्सा में पीड़ीत व्यक्ति की कोशिकाओं से ही उपचार किया जाता है, जिसके अंतर्गत मानवीय शरीर की अपरिपक्व कोशिका या परिपक्व कोशिका की सहायता ली जाती है अर्थात इन कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कोशिकाओं के स्थान पर स्थानांतरित कर दिया जाता है, ताकि ये एक स्वस्थ कोशिका का निर्माण कर सकें। वहीं कई लोग ये मानते हैं कि नाभि नाल अपवित्र होती है, और उसे बच्चे के जन्म के बाद जैव-अपशिष्ट के रूप में फेंक दिया जाता है। लेकिन इसमें सबसे प्रभावी कोशिकाएं मौजूद होती हैं, जिन्हें संरक्षित किया जा सकता है। इन कोशिकाओं की सहायता से किसी भी भयानक बिमारी जैसे-हृदयघात, केंसर आदि से क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को स्टेम कोशिकीय चिकित्सा द्वारा पुनःजीवित किया जा सकता है।
स्टेम कोशिकीय चिकित्सा के लाभ:
• स्टेम कोशिका उपचार से बिमारियों के इलाज के दौरान, घातक बिमारियों के लक्षणों को कम किया जा सकता है। लक्षणों के कम होने से रोगियों द्वारा दवाओं के सेवन में कमी की जा सकती है।
• ये समाज को जानकारी और भविष्य के उपचार को आगे बढ़ाने के लिए ज्ञान भी प्रदान करता है।
स्टेम कोशिका उपचार के नुकसान:
• स्टेम कोशिका उपचार के दौरान व्यक्ति की पिछली कोशिकाओं को हटाने के लिए, प्रत्यारोपण से पहले, विकिरण के कारण प्रतिरक्षा-दमन की आवश्यकता हो सकती है। या रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली स्टेम कोशिकाओं को लक्षित कर सकती है।
• वहीं कुछ स्टेम कोशिकाओं में प्लुरिपोटेंसी (Pluripotency) की मौजूदगी, एक विशिष्ट प्रकार की कोशिका को प्राप्त करने में मुश्किल बन सकती है और विशिष्ट प्रकार की कोशिका को उत्पादित करना कठिन हो सकता है, क्योंकि आबादी में कई कोशिकाएं एक समान नहीं होती हैं।
• कुछ स्टेम कोशिकाएं प्रत्यारोपण के बाद ट्यूमर (Tumor) का रूप ले लेती है।
स्टेम कोशिका की खोज कनाडा के वैज्ञानिक अर्नस्ट ए. मैक. कुलॉक और जेम्स ई. टिल द्वारा की गयी थी। इसके पश्चात इसे विकसित करने के लिए इसमें अनेक प्रयोग किये गये, जिस कारण यह आज एक प्रभावी चिकित्सा उपचार के रूप में उभरी है। 2012 में इस चिकित्सा को नॉबेल पुरूस्कार से नवाज़ा गया। वर्तमान समय में कोशिकीय चिकित्सा भारत में भी उपलब्ध कराई जा रही है। किंतु भारत में इसके प्रति कुछ उदासीनता दिखाई दे रही है अर्थात लोगों द्वारा इसे आनुवांशिक प्रोद्योगिकी की श्रेणी या विज्ञान के एक हथियार के रूप में आंका जा रहा है। जिस कारण यह अनेक प्रकार के विवादों से घिरी नज़र आ रही है। अंततः भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्टेम कोशिका तथा इस पर आधारित दवाओं को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट (Drugs and Cosmetics Act) में संशोधन के द्वारा कानून के दायरे में रख दिया। जिस कारण अब इस प्रकार की दवाओं के उत्पादन और विक्रय से पूर्व विशेष प्रोटोकॉल (Protocol) का अनुपालन करना होगा। आज भारत में कई क्षेत्रों में इस चिकित्सा का स्वतंत्र रूप से उपयोग किया जा रहा है तथा इसके अनेक सकारात्मक परिणाम भी सामने आये हैं।
संदर्भ:
1.https://www.dnaindia.com/india/report-so-close-yet-far-2621509
2.https://www.quora.com/What-are-some-suggestions-for-stem-cell-treatment-in-India
3.https://timesofindia.indiatimes.com/india/govt-seeks-to-define-stem-cells-as-drug-regulate-use-in-therapy/articleshow/63776306.cms
4.https://stemcellresearchers.org/stem-cells-pros-cons/
5.https://en.wikipedia.org/wiki/Stem_cell
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