समयसीमा 229
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 963
मानव व उसके आविष्कार 757
भूगोल 211
जीव - जन्तु 274
कहते हैं दुर्लभ पुस्तकें हम सभी को इतिहास से जोड़ती हैं, यदि भारत के इतिहास के बारे में बात करें तो इसकी जानकारी हमें मुख्यतः ऐतिहासिक ग्रन्थों, धर्म ग्रन्थों, पुरातात्विक साक्ष्यों और विदेशी यात्रियों के विवरण से मिलती है। जब ब्रिटिशों ने हमारी सरज़मीं पर पैर रखा तो उन्होंने अपना आधिपत्य बढ़ाने के लिये अनेकों यात्राएं की और उन यात्राओं में उन्होंने कई स्थानों का विवरण भी किया। उनके इस विवरण के माध्यम से हमें उस समय की महत्वपूर्ण और अमूल्य जानकारी प्राप्त होती है।
ऐसा ही एक लखनऊ का दुर्लभ विवरण वर्ष 1827 में ब्रिटिश सेना के एक सैनिक की यात्रा डायरी (Travel Diary) में देखने को मिला। यह डायरी एडवर्ड कौलफील्ड आर्चर द्वारा लिखी गई थी जिसे उन्होंने एक पुस्तक के रूप में “टूर्स इन अपर इंडिया, एंड इन पार्ट्स ऑफ दी हिमालया माउंटेन्स; विद एकाउंट्स ऑफ दी नेटिव प्रिंसेस, एक्स्ट्रा” (Tours in Upper India, and in Parts of the Himalaya Mountains; with Accounts of the Native Princes, &c.) नाम दिया। और इसे 1833 में लंदन में रिचर्ड बेंटले द्वारा प्रकाशित किया गया। 1827 के अंत में, स्टेपलटन कॉटन, लॉर्ड कॉम्बरमियर, भारतीय सेना के कमांडर-इन-चीफ (Commander-in-Chief) ने उत्तरी भारत का व्यापक दौरा किया, इस दौरे में 16वीं लैंसर्स (16th Lancers) के मेजर (Major) आर्चर भी उनके सहयोगी थे। 16वीं क्वीन्स लैंसर्स ब्रिटिश सेना की एक घुड़सवारों की रेजिमेंट (Regiment) थी, जिसे पहली बार 1759 में कर्नल जॉन बरगोयन के द्वारा 16वीं रेजिमेंट (लाइट) ड्रैगून्स (Dragoons) के नाम से बनाया गया था। 1922 में 16वीं लैंसर्स ने 5वीं रॉयल आयरिश लैंसर्स के साथ मिलकर 16वीं/5वीं लैंसर्स बनायी, जिसने दो शताब्दियों तक सेवा दी।
आर्चर ने अपने इस आधिकारिक दौरे का विस्तृत वर्णन देते हुए अवध के राजा, भरतपुर के राजा और दिल्ली के राजा के द्वारा आयोजित विभिन्न समारोहों के बारे में बाताया है। अपने अठारह महीनों की अवधि के दौरान उन्होंने लखनऊ, आगरा, दिल्ली और शिमला के दौरे का भी वर्णन किया और 1820 के दशक के अंत तक आर्चर ने ऊपरी भारत की स्थितियों का एक महत्वपूर्ण दृश्य प्रदान किया है। आर्चर, फैनी पार्क के पिता थे। फैनी पार्क ने वांडरिंग्स ऑफ़ अ पिलग्रिम इन सर्च ऑफ़ द् पिक्चरेस्क (Wanderings of a Pilgrim in Search of the Picturesque 1850) लिखी थी। अपने पिता की तरह वे भी यात्रा साहित्य की शैली में कुशल थीं। आर्चर ने सैन्य दल और किलों के आधिकारिक निरीक्षण के अपने विवरण में, कई स्थानीय लोगों, मुगल वास्तुकला के सर्वोत्तम उदाहरणों, और कृषि परिदृश्य की समृद्धि के बारे में इतिहास की कई शानदार कहानियों को जोड़ा।
लखनऊ का विवरण करते हुए उन्होंने बताया कि वे 13 दिसंबर की सुबह महल में राजा से मिले और महल से दो मील दूर नदी के किनारे पर गए, जहां कमांडर-इन-चीफ के मनोरंजन हेतु विभिन्न पशु-पक्षियों के माध्यम से विविध तरीकों के खेल तैयार किए गए थे। इसमें तेंदुए द्वारा हिरण का शिकार, एक लकड़बग्घे को लगभग बीस कुत्तों द्वारा परेशान किया जाना, विभिन्न प्रकार के पक्षियों के झुंडों को उड़ाना, हाथी और बाघ की लड़ाई आदि क्रूर और अनौचित्य खेल भी शामिल थे। उसके बाद वे राजा के साथ नाश्ते के लिये गये जहां कुछ नर्तकियां और एक उत्कृष्ट गायिका तथा गायक थे।
उसके बाद वे बड़ा इमामबाड़ा गये, जहां अवध के नवाब वज़ीर असफ़-उद-दौला की समाधी थी। ऐसा माना जाता है कि इमारत का स्वरूप सोफिया मस्जिद से लिया गया है। इसमें एक बड़ा हॉल (Hall) होता था, जो 150 फीट लंबा, 60 फीट चौड़ा और 80 फीट की ऊंचाई में था। ये इमारत सारसेनिक शैली से बनी हुई थी जिस पर सुंदर कारीगरी की गयी थी। इसके आलावा आर्चर ने रूमी दरवाज़ा आदि भी देखा और इनके कई पहलुओं और डिज़ाइन (Design) की भव्यता का वर्णन अपने लेख में किया है। इसके बाद उन्होंने राजा के साथ नदी के किनारे रात्रिभोज किया और आतिशबाज़ी का आनंद लिया। आतिशबाज़ी की तारीफ करते हुए उन्होंने लिखा है कि भारत के लोग इस कला में काफी निपुण हैं। अगले दिन वे राजा के महल गये, जिसकी सुंदरता का वर्णन भी आर्चर ने बखूबी से किया है।
इसी प्रकार के कई अन्य विवरण उनके द्वारा प्रस्तुत किये गये हैं जिसमें उन्होंने पशु-पक्षियों से संबंधित खेलों, जंगली जानवरों का शिकार, हिंदू-मुस्लिम वास्तुकला, तिब्बत बौद्ध भिक्षु (लामा) की यात्रा, पहाड़ी जनजातियों की स्थिति, भारतीय सेना, और खूबसूरत पहाड़ों की चर्चा आदि के बारे में बड़ा ही सुंदर वर्णन किया है।
संदर्भ:
1.https://archive.org/details/toursinupperind06archgoog/page/n50
2.https://www.rulon.com/pages/books/27151/edward-caulfield-archer-major/tours-in-upper-india-and-in-parts-of-the-himalaya-mountains-with-accounts-of-the-courts-of-the-native
3.https://en.wikipedia.org/wiki/16th_The_Queen%27s_Lancers
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.