गुणवता और शुद्धता का महत्वपूर्ण प्रतीक, मानकीकरण

सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)
03-10-2018 12:38 PM
गुणवता और शुद्धता का महत्वपूर्ण प्रतीक, मानकीकरण

हम सभी के जीवन में मानक और मानकीकरण (Standardization) का बहुत अधिक महत्व होता है। मानकीकरण वह तरीका है जिसके माध्यम से वस्तुओं के गुण-दोषों पर नियंत्रण रखा जा सकता है। यह मानक संगठनों या सरकार द्वारा किसी वस्तु की मात्रा, वजन, गुणवत्ता, कीमत या गुण-दोष के लिए निर्धारित किया जाता है। हमारे जीवन की हर गतिविधि, जैसे संचार, माप, प्रबंध प्रणाली, वाणिज्य, विनिर्माण, ग्राहक सेवा, रक्षा प्रणाली आदि में मानकों का बहुत महत्व है। आज हम हर जगह किसी ना किसी रूप में मानक की उपस्थिति को देख सकते हैं और यह अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रत्येक व्यक्ति गुणवत्ता या क्वालिटी (Quality) के अर्थ को समझता है और इस शब्द का उपयोग लगभग हर दिन करता है। यदि कोई दुकानदार आपको आपके मन मुताबिक वस्तु या सेवा नहीं देता है तो आप क्या करते हैं? आप उस दुकानदार से आगे के लिये वस्तु या सेवा खरीदना बंद कर देते हैं और अपने मनपसंद वस्तु/सेवा पाने के लिए दूसरे दुकानदार की तलाश कर लेते हैं। इस क्रिया से पहले दुकानदार को नुकसान होता है। इसका असर उसके व्यवसाय और लाभ पर पड़ता है। अतः दुकानदार के लिए गुणवान वस्तु/सेवा देना एक जरुरत बन गयी है। आज विश्व भर में संस्थाएं गुणवत्ता पर ध्यान देने लगी हैं।

मानकीकरण का विकास सिंधु घाटी सभ्यता द्वारा मानक वजन नापने से हुआ था। वजन और माप प्रणाली सिंधु व्यापारियों के व्यावसायिक हितों के लिए लाभकारी सिद्ध हुई। वे कम वजन का उपयोग महंगे सामानों को मापने के लिए करते थे, जबकि ज्यादा वजन को थोक अनाज आदि जैसे समान खरीदने के लिए नियोजित किया जाता था। परंतु समय के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में तेजी से वृद्धि हुई और गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा। यहीं से शुरूआत हुई ‘अंतर्राष्ट्रीय मानक संस्था’ (International Organization for Standardization- ISO) की। आई.एस.ओ की स्थापना 23 फरवरी 1947 में हुई थी।

यह एक स्वतंत्र और गैर-सरकारी संस्था है, जिसका सचिवालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा शहर में स्थित है। यह स्वैच्छिक अंतर्राष्ट्रीय मानकों का सबसे बड़ा विकासक और प्रकाशक है, और राष्ट्रों के बीच सामान्य मानकों को प्रदान करके विश्व व्यापार को सुविधाजनक बनाता है। यह अनेक तकनीकी और गैर-तकनीकी क्षेत्रों के मानकीकरण से संबंधित है। इसका काम अंतर्राष्ट्रीय मानक विकसित कर प्रकाशित करना है। यह विश्व के विभिन्न देशों में वस्तुओं एवं सेवाओं की गुणवत्ता के लिए मापदंड निर्धारित करती है। आई.एस.ओ ने अब तक प्रौद्योगिकी से लेकर खाद्य सुरक्षा, कृषि और स्वास्थ्य देखभाल के उत्पादों के लिये 20,000 से अधिक मानक विकसित कर प्रकाशित किए हैं। सामान्य भाषा में कहें तो वो कंपनियां जो अपना उत्पाद मार्केट में बेचती हैं, उनके लिए आई.एस.ओ प्रमाण पत्र बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि आई.एस.ओ प्रमाण पत्र कम्पनी की गुणवत्ता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है।

‘मानकीकरण के आर्थिक लाभ’ नामक एक शोध परियोजना की अंतिम रिपोर्ट को हाल ही में मानकीकरण के लिए जर्मन संस्थान डी.आई.एन. द्वारा जारी किया गया था, जिसमें अर्थव्यवस्था से जुड़े मानकीकरण के लाभों को बताया गया है:

1. मानक, कंपनियों के सामरिक महत्व को दर्शाते हैं।
2. जो कंपनियां मानकों के कार्य में सक्रियता से भाग लेती हैं उन्हें बाजार मांग को अपनाने में अपने प्रतिस्पर्धियों से शीर्ष स्थान प्राप्त होता है।
3. जो कंपनियां सक्रियता से मानकों के कार्य में शामिल होती हैं उन्हें प्रायः ज्यादातर मानकों के कार्य में भागीदारी न करने वाली कंपनियों की तुलना में कम मेहनत करके लागतों के संबंध में दीर्घकालिक लाभ और बेहतर प्रतिस्पर्धी स्थिति प्राप्त होती हैं।
4. मानकीकरण की प्रक्रिया में योगदान करने वाली कंपनियों के विकास लागतों में कमी आती हैं आदि।

इस संस्था के 168 देश सदस्य हैं, जिनका प्रतिनिधित्व प्रत्येक देश की एक राष्ट्रीय मानक संस्था करती है। भारत भी इस संस्था का सदस्य है। भारत की राष्ट्रीय मानक निर्धारित करने वाली संस्था 'भारतीय मानक ब्यूरो' (Bureau of Indian Standards (BIS)) इस अंतर्राष्ट्रीय मानक संस्था आई.एस.ओ तथा अंतर्राष्ट्रीय विद्युत तकनीकी आयोग (IEC) और विश्व मानक सेवा नेटवर्क (WSSN) में भारत का प्रतिनिधित्व करती है। यह भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 1986 के द्वारा स्थापित किया गया है जो 23 दिसंबर 1986 को लागू हुआ था, तथा यह संस्था उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन कार्य करती है। पहले इसका नाम 'भारतीय मानक संस्थान' (Indian Standards Institution / ISI) था जिसकी स्थापना सन् 3 सितंबर 1946 में हुई थी। इसके प्रमुख उद्देश्य मानक तैयार कर उन्‍हें लागू करना, उत्‍पादों व प्रणाली दोनों ही के लिए प्रमाणन योजना संचालित करना और परीक्षण प्रयोगशालाओं का गठन व प्रबंधन आदि है।

संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Standardization
2.https://en.wikipedia.org/wiki/International_Organization_for_Standardization
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Bureau_of_Indian_Standards
4.https://www.astm.org/BusLink/BusLinkA01/DIN.html
5.https://en.wikipedia.org/wiki/Countries_in_the_International_Organization_for_Standardization

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