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अक्सर हमारे द्वारा उपयोग की जाने वाली इलेक्ट्रानिक्स (Electronics) चीजों में कई आश्चर्यजनक बातें देखने को मिलती हैं। लेकिन हम उसे गहनता से जानने का प्रयास नहीं करते हैं। हम में से अधिकांश लोगों द्वारा कैलकुलेटर (Calculator) और फोन का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन जो व्यक्ति अक्सर फोन का इस्तेमाल करता हो और पहली बार जब वो कैलकुलेटर का इस्तेमाल करेगा तो उसे काफी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि आपने देखा होगा कि इन दोनों के कीपैड (Keypad) अलग-अलग डिज़ाइन किए गए हैं। क्या आपने कभी सोचा है ऐसा क्यों है? तो आइये आपको बताते हैं इसके बारे में और सुलझाते हैं इस गुत्थी को।
कैलकुलेटर का आविष्कार टेलीफोन से काफी पहले हो चुका था। तब इसका उपयोग मुख्य रूप से वैज्ञानिकों और इंजीनियरों द्वारा किया जाता था। उन्हें उस समय बड़ी संख्याओं का हल निकालना होता था, जिसमें कई बार शून्य (0) का उपयोग किया जाता था। इसलिए कोई अन्य विकल्प ना होने की वजह से उन्होंने 8 कॉलम (Column) और हर कॉलम में एक से लेकर 9 तक के अंक बनाती 9 रो (Rows) बनाई। इसका अर्थ था कि यदि किसी कॉलम में किसी संख्या को नहीं दबाया गया तो उस कॉलम का अर्थ होगा ‘शून्य’। सबसे नीचे की रो में ‘1’, उसके ऊपर ‘2’ और इसी प्रकार ऊपर बढ़ते हुए बड़ी संख्या होती थी। तकनीकी उन्नति के साथ कैलकुलेटर में भी बदलाव आये परन्तु रूपांतरण के बाद भी इसकी कॉलम और रो की संख्याओं में कोई परिवर्तन नहीं किया गया क्योंकी अधिकांश वैज्ञानिक और इंजीनियर इसके आदी हो चुके थे।
वहीं जब सबसे पहले टेलीफोन का आविष्कार हुआ था तो उसका पैटर्न कुछ इस प्रकार था, उसमें घूमने वाला डायल (Dial) और मैकेनिकल डिज़ाइन (Mechanical Design) शामिल थे। ट्रांजिस्टर और सर्किट डिज़ाइन के आगमन के साथ बेल टेलीफोन कंपनी के इंजीनियरों ने घूमने वाले डायल को संख्यात्मक कीपैड (Numerical keypad) के साथ बदल दिया। उस कीपैड के लेआउट (Layout) पर सहमती न होने पर बेल टीम ने कई लेआउट बनाए जैसे 5×2 (5 रो, 2 कॉलम), 3×3 (3 रो, 3 कॉलम), आदि और कैलकुलेटर लेआउट को दोहराने पर भी विचार किया गया, लेकिन अंत में उन्होने सैकड़ों लोगों को लेआउट का उपयोग करने और उनकी प्रतिक्रिया प्रदान करने के लिए आमंत्रित किया।
नतीजतन, अधिकतर लोगों द्वारा शीर्ष पर 1-2-3 वाला कीपैड लेआउट अधिक आरामदायक बताया गया, जो स्वाभाविक था, क्योंकि एक आम आदमी आमतौर पर ऊपर से नीचे और बाएं से दाएं पढ़ता है। अगर बेल टीम ने बस वैज्ञानिकों और लेखपालों की पसन्द से टेलीफोन का लेआउट तय किया होता तो आज शायद नतीजा कुछ और होता, और टेलीफोन का लेआउट भी कैलकुलेटर की तरह ही होता पर उन्हें पता था कि टेलीफोन हम आम आदमी भी इस्तेमाल करेंगे और इसलिए देर न करते हुए उन्होंने उसका लेआउट निर्धारित कर दिया और आज भी इन्हीं लेआउट का इस्तेमाल किया जाता है।
यह था कैलकुलेटर और टेलीफोन के लेआउट का इतिहास जिससे हमें ज्ञात हुआ किस प्रकार इनका कीपैड एक दूसरे से भिन्न है।
संदर्भ:
1.https://electronics.howstuffworks.com/question641.htm
2.https://www.quora.com/Why-are-the-keypad-numbers-on-a-calculator-and-a-phone-reversed
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