समयसीमा 229
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 963
मानव व उसके आविष्कार 757
भूगोल 211
जीव - जन्तु 274
कई वर्षों की पराधीनता के बाद भारतवर्ष को राजनैतिक स्वतन्त्रता तो प्राप्त हुई, किन्तु समाज के प्रमुख लोगों में पश्चिमी सभ्यता का असर खत्म न हुआ था। हिन्दू धर्म का महत्व लुप्त होने लगा था। उसे दूर करने के लिए देश के कई विद्वानों ने धार्मिक सुधार के लिये अनेक आन्दोलन प्रारम्भ किए। उसी समय सन् 1951 में सनातन धर्म को आधार बनाकर स्वामी चिन्मयानन्द द्वारा 'चिन्मय आन्दोलन' का उदय हुआ। चिन्मय आन्दोलन के परिणामस्वरूप चिन्मय मिशन का गठन किया गया था। इस संगठन ने हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ समाज सेवा के विविध क्षेत्रों में भी अपनी पहचान बनाई है।
इस आन्दोलन की स्थापना स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती (8 मई 1916 - 3 अगस्त 1993) ने की थी। सारे भारत में फैली धर्म संबंधी अनेक भ्रांतियों का निवारण कर शुद्ध धर्म की स्थापना करने के लिए स्वामी चिन्मयानंद जी ने 'गीता ज्ञान-यज्ञ' प्रारम्भ किया। इसका परिचालन सेन्ट्रल चिन्मय मिशन ट्रस्ट द्वारा होता है और वर्तमान में भारत एवं विश्व के अन्य भागों में इसके 300 से अधिक केंद्र चल रहे हैं। जिनमें से एक ‘चिन्मय अवध आश्रम’ लखनऊ शहर के श्रीनाथ मैरिज लॉन, महानगर के पास C-4, A, H पार्क में स्थित है। इस आश्रम से जुड़ी गतिविधियों को आप फेसबुक पर ‘चिन्मय मिशन लखनऊ’ (Chinmaya Mission Lucknow) (https://www.facebook.com/Chinmaya-Mission-Lucknow-837456916294375/) नामक पेज पर आसानी से देख सकते हैं।
समूचे विश्व में यह मिशन आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, समाज सेवा परियोजनाओं और संबंधित कार्य क्षेत्रों में कार्यालयों व योजनाओं का आयोजन एवं समन्वय करता है। मिशन के वेदांत कार्य के उद्देश्य को अग्रसर करने के लिये श्रद्धालुओं को स्वामी एवं ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रशिक्षित किया जाता है। मिशन ने आधारित स्तर पर कई हजार अध्ययन समूह स्थापित किये हैं, बहुत सी सामाजिक परियोजनाएं शुरू की हैं, कई विद्यालय, कॉलेज, अस्पताल, वृद्धाश्रम खोले हैं, तथा बाल एवं युवा विकास के कई कार्यक्रम, ग्रामीण नर्सों के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम, ग्रामीण महिलाओं के लिये आय सृजन योजनाएं संचालित की हैं।
चिन्मय मिशन का मुख्य उद्देश्य संसार के सभी क्षेत्र के व्यक्तियों को वेदान्त ज्ञान प्रदान कर उन्हें समाज का एक उपयोगी अंग बनने में सहायता करना है। स्वामी जी के परिश्रम के फलस्वरूप इसका संदेश विश्व के अनेक देशों में तथा भारत के कोने-कोने में फैल गया है। इसका आधार सनातन धर्म और उसके धर्म ग्रन्थ रामायण उपनिषद् आदि हैं। 1993 में स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती के महासमाधि प्राप्त करने के बाद, उनके शिष्य स्वामी तेजोमयानंद (जिन्हें गुरुजी के नाम से जाना जाता है) चिन्मय मिशन के वैश्विक प्रमुख बन गये। गुरुजी के तहत, चिन्मय इंटरनेशनल फाउंडेशन और चिन्मय अंतर्राष्ट्रीय आवासीय स्कूल जैसी परियोजनाएं भी शुरू की गईं। इनके बाद जनवरी 2017 में स्वामी स्वरूपानंद को चिन्मय मिशन का उत्तराधिकारी बना दिया गया है।
1. http://www.chinmayamission.com/where-we-are/centres-2/chinmaya-mission-lucknow/
2. http://www.chinmayamission.com/who-we-are/the-mission/
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Chinmaya_Mission
4. https://goo.gl/cFWE7P
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.