पाषाण काल में लखनऊ

सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व
30-05-2018 03:00 PM
पाषाण काल में लखनऊ

सभ्यता को मात्र एक शब्द के रूप में नहीं देखा या समझा जा सकता। यह वास्तविकता में किसी भी देश, समाज या प्रदेश की पृष्ठभूमि का गठन करता है तथा उसके इतिहास को प्रदर्शित करता है। भारत दुनिया के उन देशों में शुमार है जो अपनी उत्तम सभ्यताओं के लिए सम्पूर्ण विश्व में जाना जाता है। भारत की सबसे बड़ी सभ्यता सिन्धु सभ्यता है। यह सभ्यता अफगानिस्तान से लेते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश और गुजरात तक फैली हुयी थी।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ शहर की स्थापना 18वीं शताब्दी में हुयी थी लेकिन यदि इसके इतिहास को देखा जाये तो यहाँ का इतिहास इससे भी सैकड़ों साल पीछे जाता है। लखनऊ के नगवा नाला के समीप दादुपुर से ताम्र और पाषाण बर्तनों की खोज इस बात का सत्यापन कर देती है। यहाँ पर किये गए अन्वेषण के कार्य में रस्सी के छापे वाले बर्तनों के टुकड़े प्राप्त हुए हैं। लखनऊ में ही अन्य स्थानों से उत्तरी कृष्ण लेपित मृदभांड की भी प्राप्ति हुयी है जो कि इस बात पर जोर डालती है कि यहाँ पर लौह संस्कृति की भी परंपरा थी। ताम्र पाषाण कालीन संस्कृति उस काल को कहते हैं जब मनुष्य पत्थरों से बने उत्कृष्ट औजारों जैसे कि वेधक, फलक आदि के साथ-साथ ताम्बे की बनी वस्तुओं या हथियारों का प्रयोग करने लगा था। एक ताम्र निर्मित औज़ार को चित्र में दर्शाया गया है।

यह काल मानव के जीवन के सबसे उत्तम कालों में से एक है क्यूंकि इस काल के साथ ही नगरों आदि का निर्माण भी होना शुरू हो गया था। मानव कृषि आदि का कार्य भी शुरू कर चुका था और उसने एक स्थान पर रहना भी शुरू कर दिया था। सिन्धु सभ्यता को भी ताम्र पाषाण संस्कृति के ही घेरे में लिया जाता है। लखनऊ के दादुपुर की तिथि करीब 1420 ईसा पूर्व से लेकर 80 ईसा पूर्व तक आती है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि लखनऊ में सभ्यता की शुरुआत आज से करीब 3500 वर्ष पहले हो चुकी थी।

1.http://www.himalayanlanguages.org/files/hazarika/Cord%20impressed%20Pottery%20in%20Neolithic%20Chalcolithic%20Context%20of%20Eastern%20India%20by%20Manjil%20Hazarika.pdf
2.http://archaeology.up.nic.in/doc/unni_pb.pdf

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