लखनऊ और तुर्की में मशहूर मुल्ला नसीरुद्दीन की नैतिक कहानियाँ

मघ्यकाल के पहले : 1000 ईस्वी से 1450 ईस्वी तक
07-05-2018 02:05 PM
लखनऊ और तुर्की में मशहूर मुल्ला नसीरुद्दीन की नैतिक कहानियाँ

लखनऊ की तुलना तुर्की की राजधानी इस्तांबुल से की जाती है। यदि इसकी वास्तुकला को देखा जाए तो यह पता चलता है कि लखनऊ और तुर्की की वास्तुकला में कई समानताएं हैं (उदाहरण के लिए, कोन्या तुर्की का रुमी दरवाजा और लखनऊ का रूमी दरवाजा), लखनऊ और तुर्की में भोजन और संगीत भी एक प्रकार का साझा करते हैं। परन्तु बस यही समानताएं नहीं हैं लखनऊ और तुर्की के इस्तांबुल के बीच। ज्यादातर भारतीय बच्चे आज भी मुल्ला नसीरुद्दीन की कहानियों को पढ़ते हैं और जानते हैं। ये एक हास्य के साथ शिक्षा का मिश्रण है। आइये जानते हैं मुल्ला नसीरुद्दीन के बारे में-

नसीरुद्दीन को अक्सर एक सफेद दाढ़ी वाले इमाम के रूप में चित्रित किया जाता है, जिसमें उसके सिर एक पगड़ी और एक गधे की सवारी करते हुए दिखाया जाता है। यदि कहानी के पात्र की बात की जाए तो यह पता चलता है कि वास्तव में नसीरुद्दीन होजा एक असल व्यक्ति था। वर्ष 1208 में एस्कीशेहिर के तुर्की प्रांत में सिव्र्हिसर के गांव में पैदा हुए। नसीरुद्दीन होजा एक शिक्षित व्यक्ति थे। उनका पहला नाम, नसर-उद-दीन का अर्थ है "विश्वास की जीत", जबकि उनका उपनाम, होजा, का अर्थ है "शिक्षक" - और नसीरुद्दीन होजा निस्संदेह अपने नाम के आधार पर रहते थे। हास्य की अच्छी भावना के साथ एक दार्शनिक और कहानियों के माध्यम से प्रतीकात्मक संदेश व्यक्त करने की क्षमता, विनोद के उपयोग से अपने समय की सामाजिक समस्याओं को उजागर करने की उनकी अनोखी क्षमता पौराणिक थी।

नसीरुद्दीन अक्सर धन और सामाजिक समस्याओं के बीच के संबंध को संबोधित करते थे, वे अमीर की आदतों को समाज द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं का जिम्मेदार ठहराते थे। नसीरुद्दीन होजा एक कहानीकार थे, जो अक्सर वास्तविक घटनाओं के माध्यम से अपनी कहानियों को जोड़ते थे। उनका धैर्य और तेज बुद्धि अक्सर लोगों को भयभीत करता था यद्यपि कभी-कभी वे अपमानित होते थे। नसीरुद्दीन होजा तुर्की के लोककथात्मक संस्कृति में अपनी हिस्सेदारी का दावा करते थे। अक्सेहिर प्रांत में 1284 में उनका निधन हो गया था। अक्सेहिर में सालाना उनके जीवन की यादें मनाई जाती हैं जहां उन्हें एक मकबरे में दफनाया गया था। नसीरुद्दीन ने भारत का भी भ्रमण किया था जिसको उन्होंने अपनी कहानियों में जगह दी है।

1.https://www.dailysabah.com/feature/2016/08/13/nasreddin-hodja-traditional-tales-from-a-witty-sage
2.टाइनी टॉट, मुल्ला नसीरुद्दीन

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