किराया या खरीद, सही फैसला क्या?

नगरीकरण- शहर व शक्ति
04-05-2018 02:46 PM
किराया या खरीद, सही फैसला क्या?

अपना घर अपना ही होता है, यह मुख्य रूप से सभी का सपना होता है। घर का सपना देखना और खुद का घर खरीदने में अंतर होता है। भारत जैसे घनी आबादी वाले इस देश में शहरों में स्थान की कमी और महंगे घर कईयों को किराये के घर में रहने पर मजबूर करते हैं। भारत एक विकासशील देश है जिसमें यूरोपीय देशों, अमेरिका, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे अधिक विकसित और समृद्ध देशों की तुलना में उधार राशि और उच्च बैंक जमा दरों और उच्च बैंक ब्याज दरों का प्रावधान है। जब भारतीय बैंक में पैसा जमा किया जाता है तो यहाँ पर अन्य कई देशों से ज्यादा उसका ब्याज प्राप्त होता है। अब महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि औसतन भारतीय कितना रूपया प्रतिमाह कमाता है क्यूंकि प्रतिमाह की कमाई ही सभी को उनके जीवन को जीने की प्रेरणा प्रदान करती है और अन्य सुविधा की वस्तुओं को खरीदना भी सुलभ करती है। औसत भारतीय प्रति माह लगभग 5700 रुपये कमाता है (जी.डी.पी. प्रति व्यक्ति)। हालांकि भारत के शीर्ष 20 सबसे बड़े शहरों और यहां तक कि भारत के अगले 300 बड़े शहरों के अच्छे इलाकों में संपत्ति/रीयल-एस्टेट दरें केवल अमीरों के लिए उपलब्ध हैं कारण कि ऐसे जगहों पर जमीन की कीमतें आसमान को छूती हुयी प्रतीत होती हैं जैसे कि लखनऊ के विषय में हम देखें तो गोमती नगर इन्हीं इलाकों में से एक है। हमारे पास भारत में 8000 से ज्यादा शहर हैं लेकिन शीर्ष 20 सबसे बड़े शहरों में ही नौकरियां बनाई जा रही हैं। जिस कारण यहाँ पर जनसँख्या का घनत्व अन्य शहरों से कहीं ज्यादा है।

इसलिए भारतीय शहरों में निवास स्थान का निर्णय काफी सोच समझ कर लिया जाता है। कब कोई संपत्ति खरीदनी है और कब कोई संपत्ति किराये की होनी चाहिए यह हर किसी के जीवन में एक महत्वपूर्ण निर्णय बन जाता है, खासकर पहली बार खरीदने वालों के लिए। यह निर्णय लेने का विश्व भर में एक सीधा हिसाब यह रहता है कि- यदि 20 साल के मासिक किराये का मूल्य उसी संपत्ति के लिए खरीद दर से अधिक है तो उसे खरीदना चाहिए। अन्यथा, किराए पर रहने में ही खुश रहना चाहिए। कुछ और सुझाव हैं–

जहाँ भी संपत्ति आप खरीद रहे हैं उस स्थान के बारे में आप कितना जानते हैं और संपत्ति में किसी प्रकार का अन्य खर्च तो नहीं है। यदि खर्च ज्यादा हो और वह आपका ज्यादा समय लेने लगे तो ऐसी संपत्ति को खरीदना सही सौदा साबित नहीं हो सकता है।

औसत व्यक्ति को ऋण से बचना चाहिए। संपत्ति के लिए ऋण तभी लेना चाहिए जब आप पूर्ण रूप से सहमत हों कि आप ऋण भर सकते हैं तथा आपके ऊपर कुछ और आर्थिक ज़िम्मेदारी ना हो। ऋण पर घर लेने के लिए एक प्रकार के डाउन पेमेंट की आवश्यकता होती है। डाउन पेमेंट के लिए पूर्ण मूल्य के 20 प्रतिशत के धन की आवश्यकता होती है। तो यदि आप ऋण पर घर खरीदने का सोच रहे हैं तो डाउन पेमेंट का इंतज़ाम करना शुरू कर दीजिये।

उच्च ब्याज दरों से सावधान रहें और हमेशा से बैंकों के ब्याज दरों से जुड़े दस्तावेज़ को ध्यान से पढ़ें।

कुल मिलाकर, आपकी नई संपत्ति पर परिचालन खर्च आपकी सकल परिचालन आय का 35 से 80 प्रतिशत के बीच होगा। घर जितना महंगा होगा उतना ही आपके खर्चे होंगे। इसलिए घर खरीदने से पहले यह सोच लें कि घर की सकल कीमत कितनी होनी चाहिए। कम संपत्ति कर, एक विद्यालय, कम अपराध दर वाला इलाका, बढ़ते नौकरी बाजार के साथ एक क्षेत्र और पार्क, मॉल, रेस्तरां और मूवी थिएटर जैसी सुविधाओं की तलाश करें। इन सभी चीजों की पूर्ती होने पर ही एक घर खरीदने की सोचें। लखनऊ प्रदेश की राजधानी है तथा यहाँ पर पूरे प्रदेश व देश के अन्य हिस्सों से लोग आते हैं तथा वे या तो किराये के घर में रहते हैं या अपना घर लेकर। लखनऊ में भी गगन चुम्बी इमारतों का निर्माण हो रहा है जिससे जमीन की बचत होती है ऐसे घरों की कीमत अन्य घरों (बंगलों) से कम होती है, कारण कि यह कम स्थान ग्रहण करता है। फिलहाल अनुमान यह लगाया जा रहा है कि लखनऊ में ज़मीन के दाम जल्द ही बढ़ने वाले हैं क्योंकि हाल ही में जिला प्रशासन ने ज़मीन दरों में संशोधन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह अभ्यास इससे पूर्व दो साल पहले किया गया था। नई दरें अगस्त के महीने से लागू होनी शुरू हो सकती हैं। ऊपर दिए गए तथ्यों के आधार पर यदि कोई परिपूर्ण है तो वह घर खरीदने का सोच सकता है अन्यथा किराये का घर ही उसके लिए उत्तम विकल्प है।

1.https://www.investopedia.com/articles/investing/090815/buying-your-first-investment-property-top-10-tips.asp
2.https://www.hindustantimes.com/lucknow/lucknow-property-prices-may-go-north/story-Hc88AijUuUJrVczauTweMJ.html
3.https://timesofindia.indiatimes.com/city/lucknow/property-prices-in-lucknow-may-rise-after-august/articleshow/63889149.cms
पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.