समयसीमा 229
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 963
मानव व उसके आविष्कार 757
भूगोल 211
जीव - जन्तु 274
लखनऊ में हजरतगंज से सहारा मॉल तक हर जगह मैकडोनल्ड नाम की अंतरराष्ट्रीय अमरीकी खान-पान श्रृंखला मौजूद है जो उनके बर्गर (Burger) और फ्राइज़ (Fries) की वजह से खासे प्रसिद्ध हैं। भारत में अपनी श्रृंखला शुरू करने पर उन्होंने भारतीय जिह्वा के स्वाद को ध्यान में रख कर खाने के नए-नए प्रकार अपनी दुकानों में उपलब्ध कराये हैं। आज भारत में हर जगह उनकी दुकानें हम उनके प्रतीक चिह्न की वजह से झट से पहचान लेते हैं, कभी आपने इस चिन्ह के पीछे की कहानी जानने का प्रयास किया है? आज यह चिह्न दुनिया में हर जगह काफी प्रसिद्ध है और सिर्फ उनका खाना ही नहीं बल्कि आज वो एक सांस्कृतिक प्रतीक बन चुका है जो पूंजीवाद, भूमंडलीकरण और दूर दराज़ तक प्रसारित अमरीकी संस्कृति का पर्यायवाची भी है।
मैकडोनल्ड का यह प्रतीक चिह्न एक बड़ा लम्बा सफ़र तय करके आज के रूप तक पहुंचा है। सन 1940 में रिचर्ड और मौरिस मैकडोनल्ड इन दो भाइयों ने मिलकर पहला मैकडोनल्ड सान बर्नार्डडीनों, कैलिफ़ोर्निया में शुरू किया। यहाँ पर वे बर्गर के साथ बारबेक्यू (Barbecue) बेचते थे। उनके सबसे प्रसिद्ध फ्राइज़ तब तो उनकी दुकान की भोजनसूचि में भी नहीं थे। सन 1948 के आते आते उन्होंने काफी प्रगति कर ली थी और जल्द से जल्द खाना परोसने की प्रक्रिया भी सिद्ध कर ली थी जिसे उन्होंने ‘स्पीडी सर्विस सिस्टम’ (Speedee Service System) का नाम दिया। उन्होंने कार्यकाल को सुधारने के लिए बारबेक्यू को भोजन सूचि से हटा दिया तथा एक पलक झपकाने वाले एक रसोईये का चित्र बनाया जिसे आप चित्र की दाईं ओर देख सकते हैं, इसे वे स्पीडी बुलाने लगे।
सन 1952 में दोनों भाइयों ने स्टैनले मेसटन नाम के वास्तुविद को उनकी सबसे पहली रिआयती दुकान की वास्तुरचना करने के लिए कहा। वास्तुविद एलन हेस के मुताबिक सुनहरे मेहराब की रचना की कल्पना रिचर्ड मैकडोनल्ड के बनाए हुए दो अर्धवृत्तों को ध्यान में रखते हुए ली गयी थी। प्रतीक चिन्ह बनाने वाले जॉर्ज डेक्सटर ने दो बड़े पीले मेहराब बनाए जो इस वास्तु के दोनों बाजुओं में खड़े किये गए, विशिष्ट कोन से देखने पर इन मेहराबों में अंग्रेजी ‘एम’ (M) वर्णाक्षर उभरकर आता था लेकिन रे क्रोक ने मैकडोनल्ड भाइयों से कारोबार खरीदने तक इस ख़ास वास्तुरचना का इस्तेमाल उनके प्रतीक चिह्न में नहीं किया गया था। मैकडोनल्ड निगम के अध्यक्ष फ्रेड टर्नर ने इस दिशा में पहला कदम उठाया लेकिन निर्माण और अभियांत्रिकी विभाग के अध्यक्ष जिम शिंडलर ने अंग्रेजी ‘एम’ (M) अक्षर का इस्तेमाल किया जिसमें उन्होंने गुंथे हुए मेहराबों में से एक तिरछी रेखा अंकित की जो दुकान की छत का प्रतीक था और इस तरह मैकडोनल्ड के प्रतीक चिह्न का जन्म हुआ। इस प्रतीक चिह्न को आप चित्र की बाईं ओर देख सकते हैं।
सत्तर के दशक तक यह सुनहरे मेहराबों का चिह्न बहुत प्रसिद्ध हो चुका था और उस समय से इस चिह्न के विविध प्रकार बनाए गए हैं। आर्ची मैकडोनल्ड की तरह दिखने वाले प्रतीक का इस्तेमाल सन 1962 के आस-पास वे अपने वितरण-वाहन पर और दूरदर्शन के विज्ञापनों में इस्तेमाल करते थे।
आज जो हम मैकडोनल्ड का चिह्न देख रहे हैं वो मैकडोनल्ड के विज्ञापन-इतिहास के सबसे सफल अभियान का नतीजा है। यह अभियान सन 2003 में हेये और पार्टनर लिमिटेड ने चलाया था। ‘आय ऍम लविंन’ इट’ (I’m Lovin’ It) यह अभियान उन्होंने 2 सितम्बर 2003 में म्यूनिक में (जर्मन भाषा में : ईख लिब एस- Ich liebe es) शुरू किया जिसके बाद अंग्रेजी में वो इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में भी शुरू किया गया। आज यह आधिकारिक चिह्न अलग-अलग आकार और परिमाण में उपलब्ध है मगर इन सभी में थोड़ा पीछे की तरफ खिचे हुए सुनहरे मेहराब के साथ उनका आधिकारिक शीर्ष वाक्य मौजूद होता है।
1. https://www.creativebloq.com/logo-design/mcdonalds-logo-short-11135325
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Golden_Arches
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.