परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में बिजली कैसे बनती है ?

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 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में बिजली कैसे बनती है ?
परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Nuclear power plants), समय की कसौटी पर खरे उतरते हुए स्वच्छ और प्रभावी ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत साबित हुए हैं। ये संयंत्र, दुनिया की बढ़ती ऊर्जा ज़रूरर्तों को पूरा करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, ये जीवाश्म ईंधन का एक भरोसेमंद विकल्प हैं और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करते हैं, जो पर्यावरण के लिए बेहद फायदेमंद है।
परमाणु ऊर्जा के कई फ़ायदे होते हैं। यह कम नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव डालते हुए बड़ी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करती है। लेकिन, इसकी सुरक्षा और परमाणु कचरे के प्रबंधन को लेकर चिंताएँ भी हैं।
आज के इस लेख में हम समझेंगे कि परमाणु ऊर्जा क्या है और यह एक मज़बूत ऊर्जा स्रोत के रूप में कैसे काम करती है। साथ ही हम यह भी जानेंगे कि परमाणु विखंडन की प्रक्रिया से रिएक्टर में बिजली कैसे बनाई जाती है। इसके अलावा, हम दुनिया भर में मौजूद अलग-अलग परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के बारे में भी जानकारी लेंगे।
आइए, सबसे पहले यह जानते हैं कि परमाणु ऊर्जा क्या है?
परमाणु ऊर्जा एक ऐसा तरीका है, जिससे दुनिया भर में कुशल और भरोसेमंद बिजली बनाई जाती है। आज 31 से अधिक देशों में 413 से ज़्यादा वाणिज्यिक परमाणु रिएक्टर काम कर रहे हैं। परमाणु ऊर्जा उस ऊर्जा को कहते हैं जो श्रृंखला प्रतिक्रिया के ज़रिए निकलती है।
यह ऊर्जा दो प्रक्रियाओं से प्राप्त हो सकती है:
- विखंडन ( फ़िज़न)
- संलयन ( फ़्यूज़न)
सरल भाषा में, परमाणु ऊर्जा में यूरेनियम जैसे खनिजों से बने ईंधन का उपयोग किया जाता है। इस ईंधन से भाप बनाई जाती है, जो बाद में बिजली उत्पन्न करती है। परमाणु ऊर्जा की सबसे खास बात यह है कि यह लगातार और स्थिर रूप से बिजली पैदा करती है। इसे बेस लोड पावर कहा जाता है। यह बिजली विश्वसनीय होती है और पर्यावरण में ग्रीन हाउस गैसें नहीं छोड़ती।
दूसरे ऊर्जा स्रोतों की तुलना में परमाणु ऊर्जा का पर्यावरण पर सबसे कम प्रभाव पड़ता है। यह कम भूमि और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करती है, जिससे पर्यावरण को नुकसान कम होता है। इसलिए, परमाणु ऊर्जा को बिजली उत्पादन का एक स्वच्छ और स्थिर विकल्प माना जाता है।
परमाणु ऊर्जा संयंत्र एक बड़े पानी के बॉयलर की तरह काम करता है। इसमें यूरेनियम ईंधन के रूप में इस्तेमाल होता है, जो पानी को गर्म करता है। इस गर्मी से पानी भाप में बदल जाता है। भाप तेज़ दबाव के साथ टर्बाइन तक पहुंचती है। टरबाइन घूमकर एक शाफ़्ट को चलाती है। यह शाफ्ट जनरेटर को घुमाता है, जिससे बिजली बनती है।
परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का एक बड़ा फ़ायदा यह है कि ये बिजली बनाते समय कार्बन गैसें नहीं छोड़ते। इसलिए, इनका पर्यावरण और जलवायु पर बहुत कम असर पड़ता है।
परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से बिजली उत्पादन की प्रक्रिया
- विखंडन प्रतिक्रिया: रिएक्टर के अंदर यूरेनियम के विखंडन से गर्मी पैदा होती है। यह गर्मी पानी को उबालने के लिए इस्तेमाल होती है। रिएक्टर हर सेकंड में लगभग 1,000 लीटर पानी उबाल सकता है।
- टरबाइन में भाप: पानी की भाप उच्च दबाव के साथ टर्बाइन में प्रवेश करती है। भाप टरबाइन के ब्लेड से टकराकर उसे घुमाती है। टरबाइन हर मिनट 3,000 चक्कर लगाता है।
- बिजली उत्पादन: घूमता हुआ टर्बाइन, एक जनरेटर से जुड़ा होता है। यह जनरेटर बिजली बनाता है। जनरेटर से बनी बिजली तारों के ज़रिए उपभोक्ताओं तक पहुंचती है।
- भाप को ठंडा करना: टरबाइन से निकलने के बाद भाप कंडेनसर में जाती है। यहां इसे समुद्र के ठंडे पानी से ठंडा किया जाता है। भाप ठंडी होकर फिर से पानी बन जाती है। गर्म समुद्री पानी को वापस समुद्र में भेज दिया जाता है।
- जल चक्र: ठंडा किया हुआ पानी रिएक्टर में वापस लौटता है। यह प्रक्रिया एक बंद लूप में चलती रहती है। ठंडा करने के लिए इस्तेमाल हुआ समुद्री पानी कभी रिएक्टर के पानी से नहीं मिलता।
परमाणु ऊर्जा एक भरोसेमंद और स्थिर बिजली का स्रोत है। यह बिजली बनाते समय प्रदूषण नहीं फैलाती और बाहरी ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम करती है। परमाणु ऊर्जा की खास बात यह है कि यह लगातार बिजली प्रदान करती है।
आज, कई देश परमाणु ऊर्जा के इन लाभों को समझ रहे हैं। उदाहरण के लिए, अमेरिका जैसे देश अपने परमाणु संयंत्रों को 60 से 80 साल तक चालू रखने की अनुमति देते हैं। इसके साथ ही, कई नए परमाणु संयंत्र भी बनाए जा रहे हैं। वर्तमान में, 33 देशों में कुल 422 परमाणु रिएक्टर चल रहे हैं। ये रिएक्टर, दुनिया की लगभग 10.5% बिजली का उत्पादन करते हैं। दिसंबर 2022 तक, संयुक्त राष्ट्र की अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के अनुसार, 18 देशों में 58 नए रिएक्टर बनाए जा रहे हैं। इनमें चीन, भारत, दक्षिण कोरिया, रूस और तुर्की जैसे देश शामिल हैं। ये देश, जानते हैं कि परमाणु ऊर्जा उनके ऊर्जा संकट और पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने में मदद कर सकती है।
चीन इस समय सबसे ज़्यादा परमाणु रिएक्टर बना रहा है। वहां 55 रिएक्टर चालू हैं और 19 और निर्माणाधीन हैं। भारत में 8 रिएक्टर बन रहे हैं। रूस और तुर्की में 4-4 रिएक्टर निर्माणाधीन हैं, जबकि दक्षिण कोरिया में 3 रिएक्टर बनाए जा रहे हैं। 2022 में, मिस्र ने अपना पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाना शुरू किया। यह मिस्र को परमाणु ऊर्जा वाला दूसरा अरब देश बनाता है, संयुक्त अरब अमीरात के बाद, जिसने 2021 में अपना परमाणु कार्यक्रम शुरू किया था। परमाणु ऊर्जा दुनिया की वर्तमान और भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण समाधान है। यह न केवल ऊर्जा उत्पादन में स्थिरता लाती है, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा में भी मदद करती है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/23n6g5tq
https://tinyurl.com/24hvgp96
https://tinyurl.com/u49ywnj

चित्र संदर्भ

1. रूस में स्थित कलिनिन परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Kalinin Nuclear Power Plant) के भीतर के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. अगली पीढ़ी के परमाणु संयंत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. गुजरात में स्थित काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. गुजरात के काकरापार परमाणु ऊर्जा स्टेशन में दो निर्माणाधीन आई पी एच डब्ल्यू आर-700 रिएक्टरों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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