लोगो डिज़ाइन की ऐतिहासिक दौड़ में, सुंदरता के बजाय, सरलता की जीत क्यों हुई ?

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लोगो डिज़ाइन की ऐतिहासिक दौड़ में, सुंदरता के बजाय, सरलता की जीत क्यों हुई ?
कला और डिज़ाइन के क्षेत्र में लखनऊ का एक समृद्ध इतिहास रहा है। यहाँ की जटिल चिकनकारी कढ़ाई और मुगल-प्रेरित इमारतें, इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दिखाती हैं। इनमें से कई डिज़ाइन आज शहर की पहचान बन चुके हैं। आज के समय में, लोगो किसी भी ब्रांड की पहचान में बड़ी भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए, नाइकी (Nike) का हवा की आवाज़ से प्रेरित "स्वोश" (Swoosh) लोगो इस बात का प्रमाण है कि एक डिज़ाइन साधारण होकर भी लाखों लोगों से कैसे जुड़ सकता है। विजय की ग्रीक देवी "नाइके" के पंखों से प्रेरित, इस लोगो की दो घुमावदार रेखाएं, एक सकारात्मक टिकमार्क के रूप में भी, तुरंत ही गति, प्रेरणा, साहस और सफलता के संवेग से जुड़ी हैं। लखनऊ की शिल्पकला भी इसी विचार को प्रस्तुत करती है।
आज के इस लेख में हम लोगो डिज़ाइन के इतिहास को समझेंगे। इसके तहत हम यह जानेंगे कि समय के साथ लोगो कैसे बदलते गए और उनका महत्व क्यों बढ़ने लगा। इसके साथ, हम लोगो डिज़ाइन के मनोविज्ञान को भी समझेंगे। लोगो क्या है?
लोगो एक सरल डिज़ाइन होता है, जो किसी कंपनी, संगठन या उत्पाद का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें चित्र, आकार, रंग और शब्द शामिल हो सकते हैं। लोगो का उद्देश्य ब्रांड को पहचानने और याद रखने में मदद करना है।
आज के समय में लोगो की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हो गई है। यह तय करता है कि लोग किसी ब्रांड को कैसे देखते हैं। इसके ज़रिए किसी भी ब्रांड का उपभोक्ताओं से जुड़ाव और ब्रांड के प्रति वफ़ादारी बनती है। डिजिटल युग में, लोगो ब्रांड की पहचान करने का मुख्य ज़रिया बन गए हैं। इसे वेबसाइट, सोशल मीडिया, मोबाइल ऐप और डिजिटल विज्ञापनों में देखा जा सकता है।
लोगो का ऐतिहासिक सफर:
➜ 1800 के दशक में, अधिकांश लोगो काले और सफ़ेद ही होते थे। उस समय तकनीक इतनी विकसित नहीं थी, जिसके कारण ऐसा होता था। फिर भी, डिज़ाइनरों ने कई जटिल और खास लोगो बनाए। इन लोगो ने दिखाया कि साधारण रंगों में भी आकर्षक डिज़ाइन बनाए जा सकते हैं।
➜ 1930 का दशक आते-आते लोगो डिज़ाइन के क्षेत्र में बड़ा बदलाव शुरू हुआ। अब रंगीन और सुंदर अक्षरों वाले लोगो पसंद किए जाने लगे। कुछ ब्रांड्स ने अपने लोगो में सुंदर लिखावट का इस्तेमाल किया। वहीं, कुछ ने छायांकित और विस्तृत डिज़ाइनों को जारी रखा। कंपनियों ने अलग दिखने के लिए अपने लोगो के रंग, फ़ॉन्ट और आकार में प्रयोग शुरू किए।
➜ 1940 के दशक में,लोगो डिज़ाइन में रंग मनोविज्ञान का उपयोग बढ़ने लगा। डिज़ाइनरों ने लोगो में रंगों का उपयोग करना शुरू किया। यह बदलाव कंपनी के लोगो को अधिक आकर्षक और प्रभावी बनाने के लिए किया गया।
➜ 1950 के दशक में, लोगो डिज़ाइन और भी बेहतर हुआ। लोगो के तीखे किनारों की जगह चिकने कर्व्स का इस्तेमाल बढ़ने लगा। इससे लोगो आधुनिक और सरल दिखने लगे।
➜ 1960 के दशक में, रंगीन टेलीविज़न के आने से विज्ञापन का तरीका भी बदला। अब ब्रांड्स, चमकीले रंगों और आधुनिक टाइपोग्राफ़ी का इस्तेमाल करने लगे। इस समय तक विज्ञापन अख़बारों से टेलीविज़न पर शिफ्ट हो गए थे, जिस कारण लोगो को और भी आकर्षक बनाना ज़रूरी हो गया।
➜ 1970 के दशक में, लोगो और ज़्यादा बोल्ड हो गए। डिज़ाइनरों ने चमकीले रंगों और मज़ेदार फ़ॉन्ट्स का इस्तेमाल किया। ब्रांड्स ने ऐसे लोगो बनाए जो तुरंत पहचाने जा सकें और दर्शकों को पसंद आएं।
➜ 1980 के दशक में, कंप्यूटर टेक्नोलॉजी ने लोगो डिज़ाइन को और अधिक विकसित किया। इस समय गोल टाइपोग्राफ़ी और आधुनिक डिज़ाइन अधिक लोकप्रिय हुए।
➜ 1990 के दशक में, उन्नत कंप्यूटर तकनीक से ब्रांड्स ने अपनी पहचान और बेहतर की। उन्होंने नए रंगों और बनावटों के साथ चमकीले और मज़ेदार लोगो बनाए।
➜ 2000 के दशक में, सादगी, लोगो डिज़ाइन की खासियत बन गई। ब्रांड्स अब समझ गए थे कि सरल लोगो को याद रखना आसान होता है।
आज, डिज़ाइन सॉफ़्टवेयर और डिजिटल तकनीक ने लोगो डिज़ाइन के क्षेत्र को काफ़ी हद तक बदल दिया है। डिजिटल विज्ञापन के साथ, लोगो की अहमियत भी बढ़ी है। 3D लोगो डिज़ाइन ने नई संभावनाएँ पैदा की हैं। आधुनिक डिज़ाइनर यथार्थवादी बनावट, प्रकाश प्रभाव और एनिमेशन का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे लोगो को आकर्षक और यादगार बनाता है, जिससे ब्रांड लोगों पर गहरा प्रभाव डालने में सफ़ल होते हैं।
आइए, अब लोगो डिज़ाइन के मनोविज्ञान को समझते हैं!
एक अच्छा लोगो डिज़ाइन करना सिर्फ़ रंग या प्रतीक चुनने तक ही सीमित नहीं है। लोगो डिज़ाइन करना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें शोध, गहरी समझ और योजना की ज़रूरत होती है। लोगो डिज़ाइन करते समय आकृतियों और रंगों के अर्थ को जानना ज़रूरी होता है। यह जानकारी आपको ऐसा लोगो बनाने में मदद करती है, जो आपके उद्देश्य को सही ढंग से दर्शा सके।
इसके अलावा लोगो बनांते समय हमें अपने लोगों में प्रतीकवाद का भी समझदारी से उपयोग करना चाहिए! वास्तव में प्रतीक हमारे साझा अनुभव का हिस्सा होते हैं। प्रतीक, कोई आकृति, चित्र या चिह्न हो सकते हैं, जिनका अर्थ अक्सर सब समझ सकते हैं। जब आप अपना लोगो डिज़ाइन करें, तो इन प्रतीकों को ध्यान में रखें। यह आपके ब्रांड का संदेश स्पष्ट रूप से पहुँचाने में मदद करेंगे।
लोगो के ज़रिए, अपना ब्रांड बाकियों से अलग दिखाने की कोशिश करें। जब ग्राहक आपके ब्रांड को खास और भरोसेमंद मानते हैं, तो उनका लोगो के साथ एक भावनात्मक जुड़ाव बनता है। एक अनूठा लोगो डिज़ाइन करने से इस जुड़ाव को मज़बूती मिलती है। यह लोगो आपके ब्रांड को प्रतिस्पर्धियों से अलग करता है और उपभोक्ताओं से गहरा रिश्ता बनाता है।
जब कोई लोगो हमारे दिमाग में किसी विचार को सक्रिय करता है, तो हम बाद में उससे जुड़े अनुभवों पर तेज़ी से प्रतिक्रिया देते हैं। प्रभावी लोगो, लोगों की यादों में बस जाते हैं। यह आपके ग्राहकों को बार-बार आपके ब्रांड को चुनने की प्रेरणा देता है और ग्राहकों की वफ़ादारी बढ़ाता है।
नाइकी का लोगो दुनिया के सबसे मशहूर लोगो में से एक है। इसे देखकर ऐसा लगता है जैसे इसे बनाने में लाखों डॉलर खर्च हुए होंगे। लेकिन नाइकी की कहानी यह साबित करती है कि लोकप्रिय लोगो बनाने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करना जरूरी नहीं है। एक अच्छा लोगो सादगी और एक मज़बूत सोच से भी बन सकता है।
नाइकी के संस्थापक फ़िल नाइट (Phil Knight) एक ऐसा लोगो चाहते थे जो लोगो को प्रेरणा दे और दृढ़ संकल्प को दर्शाए। उन्होंने अपनी छात्रा कैरोलिन डेविडसन से लोगो डिज़ाइन करने को कहा। डेविडसन ने कई डिज़ाइन बनाए। इनमें से नाइट ने वह डिज़ाइन चुना जो ग्रीक देवी नाइकी के पंखों जैसा दिखाई देता था।
यह डिज़ाइन नाइकी का प्रसिद्ध "स्वोश" लोगो बन गया। नाइकी नाम का अर्थ ग्रीक भाषा में "जीत" होता है, जो कंपनी के विचारों और विश्वासों से मेल खाता है। 1971 में, नाइट ने इस लोगो के लिए डेविडसन को सिर्फ़ 35 डॉलर का भुगतान किया। उस समय किसी को नहीं पता था कि यह लोगो कितना प्रसिद्ध और प्रभावशाली बनेगा।
1983 तक, नाइकी एक सफल स्पोर्ट्सवियर ब्रांड (Sportswear Brands) बन चुका था। इसके लोगो को लोगों ने बहुत सराहा। उसी साल, कंपनी ने डेविडसन को सम्मानित करने के लिए एक विशेष रात्रिभोज आयोजित किया। इस कार्यक्रम में उन्हें स्वोश के आकार की हीरे की अंगूठी और कंपनी के शेयर भेंट किए गए। आज, डेविडसन को दिए गए उन शेयरों की कीमत एक मिलियन डॉलर से भी अधिक है। यह कहानी दिखाती है कि एक छोटा-सा प्रोजेक्ट भी बड़े बदलाव ला सकता है। एक नए डिज़ाइनर के तौर पर, हमेशा अपने काम में भरोसा रखें। कौन जानता है, आपका अगला क्लाइंट भी नाइकी जैसा बड़ा ब्रांड बन सकता है!

संदर्भ
https://tinyurl.com/2bznse86
https://tinyurl.com/29u96cmk
https://tinyurl.com/29u96cmk
https://tinyurl.com/29u96cmk

चित्र संदर्भ

1. विभिन्न प्रकार के लोगो और डिज़ाइनों को चित्रित करते एक ग्राफ़िक डिज़ाइनर को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
2. टाटा के लोगो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. लोगो डिज़ाइन और स्केचिंग की प्रक्रिया को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. एप्पल स्टोर के बाहर लगी भीड़ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. नाइकी के जूतों को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)

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