राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर जानिए, लखनऊ के ग्रीन होम्स, कैसे कर रहे हैं, ऊर्जा की बचत

नगरीकरण- शहर व शक्ति
14-12-2024 09:32 AM
Post Viewership from Post Date to 14- Jan-2025 (31st) Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2427 69 2496
राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर जानिए, लखनऊ के ग्रीन होम्स, कैसे कर रहे हैं, ऊर्जा की बचत
2011 की जनगणना के घरेलू संपत्ति सर्वेक्षण (Household Assets Survey) से पता चला कि लखनऊ के 1,721 घरों में प्रकाश के मुख्य स्रोत के रूप में, सौर ऊर्जा का उपयोग हो रहा था । इसके विपरीत, शहर के 609,378 घर, पारंपरिक बिजली पर निर्भर थे । हालांकि, समय के साथ ऊर्जा संरक्षण का महत्व बढ़ रहा है, इसलिए हमें बिजली के पारंपरिक श्रोतों से उर्जा कुशल श्रोतों की ओर बढ़ना होगा। ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (Energy Conservation Building Code) या ई सी बी सी (ECBC) कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इस कार्यक्रम की शुरुआत, विद्युत मंत्रालय (Ministry of Power) द्वारा की गई थी। आज, राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर, हम ई सी बी सी और इसके उद्देश्यों के बारे में जानेंगे। इसके अलावा हम भारत के उन राज्यों का भी अध्ययन करेंगे, जिन्होंने भवन निर्माण में ई सी बी सी को अपनाया है। साथ ही हम एस ई ई आई (SEEI) यानी राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक (State Energy Efficiency Index) की विशेषताओं को भी समझेंगे। इसके बाद, हम ग्रीन होम और इसके फ़ायदों पर ध्यान देंगे। आगे बढ़ते हुए हम लखनऊ में ऊर्जा-कुशल आवास की मौजूदा स्थिति पर भी नज़र डालेंगे। अंत में, हम अपने शहर के आयकर मुख्यालय की वास्तुकला पर चर्चा करेंगे। यह इमारत एक प्रमाणित हरित भवन है, और ऊर्जा दक्षता का एक शानदार उदाहरण है।
ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता का परिचय: ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता, के तहत नए व्यावसायिक भवनों के लिए न्यूनतम ऊर्जा मानक तय किए जाते हैं। इसमें ऐसे भवन शामिल हैं, जहाँ पर 100 kW का कनेक्टेड लोड या 120 kVA या उससे अधिक की मांग हो। अगर इस कोड को सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह भवनों को अधिक उर्जा कुशल बनाता है। यह निष्क्रिय डिज़ाइन, प्राकृतिक रोशनी के उपयोग बढ़ावा देता है। साथ ही यह नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित भी करता है। इसका मुख्य उद्देश्य भवन के पूरे जीवन चक्र की लागत को ध्यान में रखना है।
2017 में कोड का एक नया और उन्नत संस्करण लॉन्च किया गया। इसमें नई प्राथमिकताएँ जोड़ी गईं, जिनमें नवीकरणीय ऊर्जा का एकीकरण, अनुपालन प्रक्रिया को सरल बनाना, निष्क्रिय भवन डिज़ाइन को शामिल करना, और डिज़ाइनरों के लिए अधिक लचीलापन प्रदान करना शामिल था।
ई सी बी सी में ऊर्जा प्रदर्शन के तीन स्तर शामिल हैं:
- ई सी बी सी (ECBC): इस स्तर पर भवन लगभग 25% ऊर्जा बचाते हैं।
- ई सी बी सी प्लस (ECBC Plus): ये भवन लगभग 35% ऊर्जा की बचत करते हैं।
- सूपर ई सी बी सी (Super ECBC): इस स्तर पर भवन पारंपरिक भवनों की तुलना में 50% या उससे अधिक ऊर्जा बचा सकते हैं।
ई सी बी सी का उद्देश्य किसी भी इमारत में रहने वाले निवासियों के आराम, स्वास्थ्य या उत्पादकता पर कोई असर डाले बिना, उनकी ऊर्जा की खपत को कम करना है। भारत में वाणिज्यिक भवन क्षेत्र बड़ी ही तेजी के साथ बढ़ रहा है। इसलिए हमें बड़े पैमाने पर ऊर्जा के उपयोग को नियंत्रित करने की ज़रूरत है। इसे ध्यान में रखते हुए, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency) ने 2007 में ई सी बी सी की शुरुआत की थी। इस पहल का उद्देश्य पर्यावरण पर इमारतों के नकारात्मक प्रभावों को कम करना है।
भारत के 28 राज्यों में से 23 ने, ई सी बी सी नियमों को अधिसूचित किया है। लेकिन, केवल 15 राज्यों ने 2017 का नया संस्करण अपनाया है। इनमें उत्तर प्रदेश, पंजाब, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल शामिल हैं। गुजरात, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और मणिपुर जैसे पाँच राज्यों ने अभी तक इसे अधिसूचित नहीं किया है।
राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक एस ई ई आई (SEEI) क्या है?
2022 में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक जारी किया। यह सूचकांक राज्यों का मूल्यांकन उनकी ऊर्जा दक्षता के आधार पर करता है। इस रिपोर्ट के अनुसार, इमारतों की ऊर्जा दक्षता में शीर्ष स्थान पर कर्नाटक है। अन्य शीर्ष पाँच राज्य तेलंगाना, हरियाणा, आंध्र प्रदेश और पंजाब हैं। वहीं, बिहार को सबसे कम 0.5 अंक मिले।
आइए, अब आधुनिक समय में उर्जा संरक्षण के सबसे कारगर तरीकों में से एक ग्रीन होम (Green Home) के बारे में जानते हैं!
ग्रीन होम को इको-फ्रेंडली घर भी कहा जाता है। इन घरों को इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि ये प्राकृतिक संसाधनों का कम से कम उपयोग करें। ये घर, पर्यावरण की रक्षा करते हुए जीवन की गुणवत्ता को अच्छी बनाए रखते हैं। ऐसे घर, न केवल स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं, बल्कि बिजली और पानी के बिलों पर भी बचत करते हैं। ग्रीन होम, पारंपरिक घरों के मुकाबले, ऊर्जा और पानी का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करते हैं। इन घरों में कचरा कम पैदा होता है! साथ ही, ये पर्यावरण के लिए भी बेहतर होते हैं। हालाँकि, इन्हें बनाने में शुरुआत में अधिक लागत आती है, लेकिन कम परिचालन खर्च के कारण, समय के साथ, ये किफ़ायती साबित होते हैं।
आइए, विस्तार से जानते हैं कि ग्रीन होम के क्या फायदे होते हैं?
1. परिचालन लागत में कमी: ग्रीन होम में ऊर्जा-बचत की सुविधाएँ होती हैं। इनमें उन्नत उपकरण, बेहतर इन्सुलेशन और ऊर्जा-कुशल खिड़कियाँ (Energy-efficient windows) लगाईं जाती हैं। ये घर सौर पैनलों और ऊर्जा-कुशल लाइटिंग जैसी तकनीकों का उपयोग करते हैं। इन सुविधाओं से हीटिंग और कूलिंग की ज़रूरत कम पड़ती हैं, जिससे खर्च में बचत होती है।
2. कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन: ग्रीन होम, ऊर्जा का कम उपयोग करते हैं, जिससे कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन भी कम होता है। इससे जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद मिलती है।
3. कम उपयोगिता बिल: ग्रीन होम बिजली पैदा करने के लिए टिकाऊ तकनीकों का उपयोग करते हैं, जिससे बिजली और पानी की लागत काफी कम हो जाती है।
4. बेहतर स्वास्थ्य और उत्पादकता: ग्रीन होम, इसमें रहने वाले सदस्यों को बेहतर और स्वस्थ वातावरण प्रदान करते हैं। इन्हें बनाने में ऐसी निर्माण सामग्री का उपयोग होता है, जिसमें हानिकारक रसायनों की मात्रा कम होती है। साथ ही, बेहतर वेंटिलेशन सिस्टम (Better ventilation system) और प्राकृतिक रोशनी से स्वास्थ्य और उत्पादकता में सुधार होता है।
आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि हमारे लखनऊ में भी प्रधानमंत्री आवास योजना (पी एम ए वाई) के तहत ग्रीन होम यानी ऊर्जा-कुशल आवास बनाए जा रहे हैं! पी एम ए वाई (PMAY) परियोजना का उद्देश्य ऊर्जा-कुशल और पर्यावरण-अनुकूल घर बनाना है। इसके तहत लखनऊ में कम आय वाले परिवारों के लिए 11.2 मिलियन किफायती घर बनाए जा रहे हैं। लखनऊ विकास प्राधिकरण (Lucknow Development Authority) ने यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फ़ॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) के साथ मिलकर इन घरों के लिए ऊर्जा-कुशल डिज़ाइन तैयार किए हैं।
लखनऊ के ग्रीन होम में ध्वनिरोधी सामग्री, एल ई डी लाइटिंग (LED Lighting), पानी बचाने वाले उपकरण और प्राकृतिक रोशनी का उपयोग किया गया है। पी एम ए वाई परियोजना में भूमि का 15% हिस्सा प्राकृतिक वनस्पति के लिए सुरक्षित रखा गया है। यहाँ वर्षा जल संचयन, सौर पैनल और सार्वजनिक पार्किंग की भी व्यवस्था है। लखनऊ का आयकर मुख्यालय ग्रीन बिल्डिंग का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह इमारत गृह (GRIHA) 4-स्टार प्रमाणित है। इसका बेहतरीन डिज़ाइन, पर्यावरण पर कम प्रभाव डालते हुए स्थिरता को बढ़ावा देता है। इस इमारत के निर्माण के दौरान, मौजूदा पेड़ों की रक्षा की गई और धूल कम करने के प्रयास किए गए।

संदर्भ
https://tinyurl.com/28m99wsx
https://tinyurl.com/2d8k6ae5
https://tinyurl.com/26jts9rm
https://tinyurl.com/25afa2cm
https://tinyurl.com/2375qafa

चित्र संदर्भ
1. हाथ में जले हुए बल्ब को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. हाथ में एक बल्ब को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
3. ऊर्जा-कुशल गृह डिज़ाइन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. एक हरे रंग के घर पर उगती झाड़ियों को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.