जानें कैसे, कोका-कोला ने एक छोटी फ़ार्मेसी पेय से वैश्विक पेय बनने की यात्रा तय की

आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक
25-10-2024 09:29 AM
Post Viewership from Post Date to 25- Nov-2024 (31st) Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2210 96 2306
जानें  कैसे, कोका-कोला ने एक छोटी फ़ार्मेसी  पेय से वैश्विक पेय बनने की  यात्रा तय की
व्यापारिक सूचना प्लेटफ़ॉर्म, टॉफ्लर (Tofler) के अनुसार, वैश्विक कार्बोनेटेड-पेय निर्माता, 'कोका कोला' कंपनी की सहायक कंपनी 'कोका कोला इंडिया' ने भारत में वित्त वर्ष 2023 में 722.44 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज़ किया, जो वित्त वर्ष 2012 में 460.35 करोड़ रुपये के कथित शुद्ध लाभ से 56.9 प्रतिशत अधिक है। कंपनी की 31 मार्च 2023 में पिछले वित्तीय वर्ष के लिए, 4,521 करोड़ रुपये की बिक्री भी हुई, जो पिछले वित्तीय वर्ष में 3,121 करोड़ रुपये की बिक्री से 44.9 प्रतिशत अधिक है। कंपनी के अनुसार, उत्पाद अब 4.5 मिलियन आउटलेट्स में उपलब्ध हैं, जो कि पूर्व-कोविड समय में 2.8 मिलियन आउटलेट्स से अधिक है। कोका कोला द्वारा त्यौहारी सीज़न में मज़बूत मांग सुनिश्चित करने और अधिक उपभोक्ता जुड़ाव सुनिश्चित करने के लिए, विज्ञापन का खर्च भी लगातार बढ़ाया जा रहा है। यह चलन वित्त वर्ष 2014 से लगातार जारी है। क्या आप जानते हैं कि इस पेय पदार्थ के स्वाद को न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में बेहद पसंद किया जाता है| कोका-कोला का जन्म, 8 मई, 1886 को अटलांटा, जॉर्जिया (Atlanta, Georgia) में हुआ था। तो आइए, आज कोका-कोला के इतिहास और विकास के बारे में विस्तार से जानते हैं और देखते हैं कि कैसे कोका कोला ने एक छोटी फ़ार्मेसी पेय से वैश्विक पेय बनने की अपनी विशाल यात्रा तय की। हम उन विज्ञापन रणनीतियों पर भी नज़र डालेंगे, जिनका उपयोग, कोका-कोला ने अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए और उसे एक घरेलू नाम बनाने के लिए किया। अंत में, हम आपके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, कोका-कोला जैसे कार्बोनेटेड पेय के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों पर भी चर्चा करेंगे।
कोका-कोला का इतिहास-
कोका-कोला का इतिहास, 1886 में शुरू हुआ, जब अटलांटा के एक फार्मासिस्ट, डॉ. जॉन एस. पेम्बर्टन (Dr. John S. Pemberton) के मन में एक ऐसा विशिष्ट स्वाद वाला शीतल पेय बनाने का विचार आया, जिसे सोडा फ़ाउंटेन पर बेचा जा सके। उन्होंने एक सुगंधित सिरप बनाया और इसे अपने पड़ोस की फ़ार्मेसी में ले गए, जहां इसे कार्बोनेटेड पानी के साथ मिलाया गया। डॉ. पेम्बर्टन के सहयोगी, फ़्रैंक एम रॉबिन्सन (Frank M Robinson) को इस पेय पदार्थ का नाम "कोका-कोला" रखने के साथ-साथ उपयोग की जाने वाली ट्रेडमार्कयुक्त, विशिष्ट लिपि को डिज़ाइन करने का श्रेय दिया जाता है।
कोका-कोला को पहली बार बेचने के लिए निःशुल्क नमूनों के कूपन वितरित किए गए। 1887 में कूपनिंग को एक अभिनव रणनीति माना जाता था, इसके बाद अखबार में विज्ञापन दिया जाता था और भाग लेने वाली फ़ार्मेसियों में कोका-कोला लिपि वाली प्रचार वस्तुओं का वितरण किया जाता था। 1888 में अपनी मृत्यु से पहले, दुनिया की सबसे ज़्यादा बिकने वाली कार्बोनेटेड पेय बनाने के दो साल बाद, डॉ. पेम्बर्टन ने अपने व्यवसाय के कुछ हिस्सों को बेच दिया, जिसमें से अधिकांश हिस्सा अटलांटा के व्यवसायी, आसा जी कैंडलर (Asa G. Candler) ने ख़रीदा। श्री कैंडलर के नेतृत्व में, कोका-कोला का वितरण अटलांटा से परे सोडा फाउंटेन तक विस्तारित हुआ। 1894 में, कोका-कोला की बढ़ती मांग और पेय को पोर्टेबल बनाने की इच्छा से प्रभावित होकर बिडेनहार्न (Joseph Biedenharn) ने अपने मिसिसिपी सोडा फ़ाउंटेन (Mississippi soda fountain) के पीछे बॉटलिंग मशीनरी लगाकर कोका-कोला को बोतलों में डालना शुरू कर दिया। इसके केवल पांच साल बाद, 1899 में, टेनेसी के चट्टनूगा (Chattanooga, Tennessee) में तीन उद्यमशील व्यवसायियों बेंजामिन थॉमस (Benjamin Thomas), जोसेफ़ वाइटहेड (Joseph Whitehead) और जॉन ल्यूपटन (John Lupton) ने आसा कैंडलर से केवल $1 में कोका-कोला को बोतलबंद करने और बेचने का विशेष अधिकार हासिल कर लिया और इसे बोतलों में बड़े पैमाने पर बेचा जाने लगे । इस प्रकार, इन तीनों उद्यमियों ने कोका-कोला विश्वव्यापी बॉटलिंग प्रणाली विकसित की।
विज्ञापन प्रयास: "आई वुड लाइक टु बाय द वर्ल्ड ए कोक" (I'd Like to Buy the World a Coke):
1969 में, कोका-कोला कंपनी और उसकी विज्ञापन एजेंसी, मैककैन-एरिकसन ने अपने लोकप्रिय "थिंग्स गो बेटर विद कोक" (Things Go Better With Coke) अभियान को समाप्त कर दिया, और इसकी जगह एक ऐसा अभियान शुरू किया जो "इट्स द रियल थिंग" (It's the Real Thing) के नारे पर केंद्रित था। एक लोकप्रिय गीत "आई वुड लाइक टु बाय द वर्ल्ड ए कोक" के साथ शुरुआत करते हुए, नया अभियान अब तक बनाए गए सबसे लोकप्रिय विज्ञापनों में से एक साबित हुआ। यह गीत, कोका-कोला के क्रिएटिव डायरेक्टर बिल बैकर के दिमाग की उपज़ था। 12 फ़रवरी, 1971 को, "आई वुड लाइक टु बाय द वर्ल्ड ए कोक" पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका के रेडियो स्टेशनों पर भेज दिया गया था। लेकिन, शुरुआत में यह असफल हो गया। कोका-कोला के बोतलबंद विक्रेताओं को यह विज्ञापन पसंद नहीं आया और अधिकांश ने इसके लिए एयरटाइम खरीदने से इनकार कर दिया। जितनी बार विज्ञापन चलाया गया, जनता ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया।लेकिन, बैकर ने हार नहीं मानी और मैककैन को कोका-कोला के अधिकारियों को समझाने के लिए राज़ी किया कि विज्ञापन अभी भी व्यवहार्य है लेकिन इसमें एक दृश्य आयाम की आवश्यकता है। कंपनी ने अंततः इस गीत के फ़िल्मांकन के लिए $250,000 से अधिक की मंज़ूरी दी , जो उस समय किसी टेलीविजन विज्ञापन के लिए समर्पित सबसे बड़े बजट में से एक था।
टेलीविजन विज्ञापन "आई वुड लाइक टु बाय द वर्ल्ड ए कोक" जुलाई 1971 में संयुक्त राज्य अमेरिका में जारी किया गया और प्रतिक्रिया तत्काल और नाटकीय थी। उस वर्ष नवंबर तक, कोका-कोला और उसके बोतल निर्माताओं को विज्ञापन के बारे में 100,000 से अधिक पत्र प्राप्त हुए। इस गीत की मांग इतनी अधिक थी कि कई लोगों ने रेडियो स्टेशनों को फ़ोन किया और डीजेज़ से विज्ञापन चलाने के लिए कहा।
वास्तव में, "आई वुड लाइक टु बाय द वर्ल्ड ए कोक" ने दर्शकों के साथ एक स्थायी संबंध बनाया और कोका-कोला का इतिहास बदल दिया। विज्ञापन सर्वेक्षणों में आज भी इसे अब तक के सर्वश्रेष्ठ विज्ञापनों में से एक के रूप में पहचाना जाता है, और गीत लिखे जाने के 30 से अधिक वर्षों के बाद भी इसकी बिक्री होती है।
शरीर पर हानिकारक प्रभाव:
यूनाइटेड किंगडम के पूर्व फ़ार्मासिस्ट, नीरज नाइक ने एक दृश्य निरूपण चार्ट बनाया है जिसमें कोका-कोला के एक कैन के शरीर पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों का विवरण दिया गया है। नाइक ने इस दृश्य निरूपण में कोका-कोला के एक कैन के एक घंटे की समयसीमा में शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों का निरूपण इस प्रकार किया है:
पहले 10 मिनट:
10 चम्मच चीनी आपकि प्रणाली पर असर डालती है, जो आपके अनुशंसित दैनिक सेवन का 100% अधिक है। हालाँकि, आप इस अत्यधिक मिठास को सहन कर लेते हैं क्योंकि फ़ॉस्फ़ोरिक एसिड स्वाद को कम कर देता है।
20 मिनट: आपकी रक्त शर्करा बढ़ जाती है, और इससे भी इंसुलिन फट जाता है। आपका लीवर इस पर प्रतिक्रिया करते हुए चीनी को वसा में बदल देता है।
40 मिनट: कैफ़ीन का अवशोषण पूरा हो जाता है। आपकी पुतलियाँ फैल जाती हैं, आपका रक्तचाप बढ़ जाता है, प्रतिक्रिया स्वरूप आपका यकृत आपके रक्तप्रवाह में अधिक चीनी भेजता है। आपके मस्तिष्क में एडेनोसिन ग्राही कोशिकाएं अब सुस्ती को रोकने में अक्षम हो जाती हैं।
45 मिनट: आपका शरीर, आपके मस्तिष्क के आनंद केंद्रों को उत्तेजित करके डोपामाइन उत्पादन बढ़ाता है। यह शारीरिक रूप से उसी तरह है जैसे हेरोइन काम करती है।
60 मिनट: फ़ॉस्फ़ोरिक एसिड, आपकी निचली आंत में कैल्शियम, मैग्नीशियम और जिंक को बांधता है, जिससे चयापचय को और बढ़ावा मिलता है। यह चीनी और कृत्रिम मिठास की उच्च खुराक से मिश्रित होता है जिससे मूत्र में कैल्शियम का उत्सर्जन भी बढ़ जाता है।
इससे आपको मूत्र विसर्जित करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। नियमित उपयोग से, अपनी हड्डियों में जमा कैल्शियम, मैग्नीशियम और जिंक के साथ-साथ सोडियम, इलेक्ट्रोलाइट और पानी कम होने लगता है। जैसे-जैसे आपके अंदर की उत्तेजना कम होती जाती है, आपको मधुमेह की समस्या होने लगेगी। आप चिड़चिड़े और सुस्त हो सकते हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2s3kftn3
https://tinyurl.com/3a67km9a
https://tinyurl.com/45z7uyda
https://tinyurl.com/94a9xfk4

चित्र संदर्भ
1. कोका-कोला की प्लास्टिक की बोतलों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. कोका-कोला के पुराने विज्ञापन को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. कोका-कोला की कांच की बोतलों को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
4. कोका-कोला के आदान प्रदान को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.