क्या हमारी पृथ्वी से दूर, बर्फ़ीले ग्रहों पर जीवन संभव है?

पर्वत, चोटी व पठार
16-09-2024 09:36 AM
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क्या हमारी पृथ्वी से दूर, बर्फ़ीले ग्रहों पर जीवन संभव है?
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ग्रहों की श्रेणी से बाहर होने के बावजूद, प्लूटो (Pluto) को अभी भी एक बर्फ़ीला ग्रह माना जाता है। वास्तव में, बर्फ़ीले ग्रहों की सतह पर पानी, अमोनिया (Ammonia) और मीथेन (Methane) जैसे वाष्पशील पदार्थ पाए जाते हैं। आज के इस लेख में, हम विशाल बर्फ़ीले ग्रहों, उनकी विशेषताओं और निर्माण प्रक्रिया के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही, हम अपने सौर मंडल के कुछ महत्वपूर्ण बर्फ़ीले ग्रहों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे। इसके अतिरिक्त, हम यूरेनस (Uranus) और नेपच्यून (Neptune) के भूभाग की भी जानकारी हासिल करेंगे।
बर्फ़ीला ग्रह, एक विशेष प्रकार का ग्रह होता है, जिसकी सतह बर्फ़ से ढकी होती है। इन ग्रहों में एक वैश्विक क्रायोस्फ़ेयर (Cryosphere) होता है, जो उन्हें अन्य ग्रहों से अलग बनाता है। बर्फ़ीले ग्रहों के उदाहरणों में, चंद्रमा, यूरोपा (Europa), एनसेलाडस (Enceladus) और ट्राइटन (Triton) सहित प्लूटो (Pluto), ऑर्कस (Haumea) और एरिस (Eris) जैसे छोटे बर्फ़ीले पिंड या बौने ग्रह भी शामिल हैं। कई अन्य बर्फ़ीले सौर मंडल के निकाय, धूमकेतुओं के बड़े संस्करण के रूप में होते हैं।।
चलिए अब बर्फ़ीले ग्रहों की कुछ प्रमुख विशेषताओं को समझते हैं:
ज्यामितीय अल्बेडो (Geometric Albedo): एक बर्फ़ीला ग्रह, आमतौर पर, 0.9 से अधिक के ज्यामितीय अल्बेडो के कारण लगभग सफ़ेद दिखाई देते हैं। ज्यामितीय अल्बेडो एक खगोलीय वस्तु की सतह की परावर्तन क्षमता को मापने का एक तरीका है, जो दर्शाता है कि वह कितनी रोशनी को वापस परावर्तित करती है, और इसे 0 से 1 के बीच मापा जाता है। इन ग्रहों की सतह, पानी, मीथेन, अमोनिया, कार्बन डाइऑक्साइड (जिसे "सूखी बर्फ़" कहा जाता है) और कार्बन मोनोऑक्साइड सहित अन्य वाष्पशील पदार्थों से बनी हो सकती है।
सतह का तापमान: यदि कोई बर्फ़ीला ग्रह मुख्य रूप से पानी से बना है, तो इसकी सतह का तापमान 260 K (Kelvin) से कम होगा। यदि यह मुख्य रूप से CO2 और अमोनिया से बना है, तो इसका तापमान, 180 K से कम हो सकता है। मीथेन से बने ग्रहों का तापमान 80 K से कम हो सकता है।।
जीवन के लिए प्रतिकूल परिस्थितियां: बर्फ़ीले ग्रहों पर आमतौर पर जीवन नहीं पनप सकता, क्योंकि उनकी सतह का तापमान बहुत कम होता है।
सतह के नीचे महासागर: कई बर्फ़ीले ग्रहों में सतह के नीचे विशालकाय महासागर भी मौजूद हो सकते हैं। ये भूमिगत महासागर उनके कोर या किसी अन्य नज़्दीकी पिंड, विशेष रूप से बृहस्पति (Jupiter), शनि (Saturn), यूरेनस (Uranus) और नेपच्यून (Neptune) से आने वाली ज्वारीय शक्तियों के कारण गर्म होते हैं।
जीवों के लिए उपयुक्तता: संभव है कि इनकी सतह के नीचे का तरल पानी मछलियों, प्लवक और सूक्ष्मजीवों सहित जीवन के लिए उपयुक्त परिस्थितियाँ प्रदान कर सकता है।
पौधों और सूक्ष्मजीवों की प्रक्रिया: इनकी सतह के नीचे के पौधे और सूक्ष्मजीव प्रकाश संश्लेषण नहीं कर पाएंगे। ऊपर की बर्फ़, सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध कर सकती है। लेकिन वे कीमोसिंथेसिस (Chemosynthesis) नामक विशिष्ट रसायनों का उपयोग करके पोषक तत्व उत्पन्न कर सकते हैं।।
इस प्रकार, बर्फ़ीले ग्रहों की संरचना और विशेषताएँ, उन्हें एक अद्वितीय और रोचक अध्ययन का विषय बनाती हैं।
चलिए अब कुछ प्रमुख बर्फ़ीलेग्रहों की यात्रा पर चलते हैं:
प्लूटो (Pluto): प्लूटो, हमारे सौर मंडल में सबसे अधिक दूरी पर मौजूद बौना ग्रह (Dwarf Planet) है। इसे अपनी अनोखी संरचना के लिए जाना जाता है। इसकी सतह, मुख्य रूप से जमी हुई ऑक्सीजन और नाइट्रोजन से बनी है। 2016 में, नासा द्वारा शुरू किए गए न्यू होराइज़ंस मिशन (New Horizons Mission) के दौरान प्लूटो पर मीथेन, बर्फ़ और बर्फ़ से ढकी पर्वत श्रृंखलाओं की खोज की गई। यह खोज इसकी भूगर्भीय विविधता को दर्शाती है।
यूरोपा (Europa): यूरोपा, बृहस्पति (Jupiter) के कई चंद्रमाओं में से एक है। इस बर्फ़ीले ग्रह में वैज्ञानिकों को विशेष रुचि है। माना जाता है कि इसकी सतह पर बर्फ़ की एक परत है। यह सतह एक खारे पानी के महासागर पर तैरती है। नासा, यूरोपा भेजने के लिए एक अंतरिक्ष यान विकसित कर रहा है। इसे यूरोपा क्लिपर (Europa Clipper) नाम दिया गया है। इस यान को इसलिए बनाया जा रहा ताकि यह जांचा जा सके कि इस बर्फ़ीले चंद्रमा पर जीवन के आसार हैं या नहीं।
गैनिमीड (Ganymede): गैनिमीड भी बृहस्पति का एक और बर्फ़ीला चंद्रमा है। इसे अपने आकार के लिए जाना जाता है। यह भी मुख्य रूप से बर्फ़ से निर्मित है। लेकिन इसमें एक चट्टानी कोर भी है, जो इसे अन्य चंद्रमाओं से अलग बनाता है।
एन्सेलेडस (Enceladus): एन्सेलेडस, शनि (Saturn) के 60 से अधिक चंद्रमाओं में से एक है। यह भी बर्फ़ से बना है। इसकी सतह पर खारे पानी का महासागर है। एन्सेलेडस पर समुद्र का पानी, इसकी बर्फ़ीली परत में, दरारों के माध्यम से अंतरिक्ष में चला जाता है। यह प्रक्रिया, एन्सेलेडस को हमारे सौर मंडल की सबसे चमकदार वस्तुओं में से एक बनाती है।।
ट्राइटन (Triton): ट्राइटन, नेपच्यून (Neptune) का सबसे बड़ा चंद्रमा है। यह हमारे सौर मंडल की सबसे ठंडी सतहों में से एक है। यह बर्फ़ और चट्टान से बना है। इसका वायुमंडल, मुख्य रूप से नाइट्रोजन से युक्त है। ट्राइटन की सतह पर नाइट्रोजन जम है। इसके अलावा, ट्राइटन में गीज़र (Geyser) भी हैं, जो ठंडे तरल नाइट्रोजन के फव्वारे छोड़ते हैं।
बर्फ़ के विशालकाय ग्रह: बर्फ़ के विशालकाय ग्रह, मुख्य रूप से हीलियम और हाइड्रोजन से अधिक भारी तत्वों से बने विशाल ग्रह होते हैं। हमारे सौर मंडल के दो बर्फ़ के विशालकाय ग्रह, (यूरेनस (Uranus) और नेपच्यून (Neptune)), मुख्य रूप से ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन और सल्फ़र जैसे तत्वों से बने हैं। ये तत्व, हाइड्रोजन और हीलियम के बाद सूर्य में सबसे ज़्यादा पाए जाते हैं।
हमारे सौर मंडल में दो बर्फ़ के विशालकाय ग्रह हैं:
यूरेनस (Uranus): यूरेनस बाहरी सौर मंडल में स्थित दो बर्फ़ के विशालकाय ग्रहों में से एक है। इसमें एक छोटा चट्टानी कोर है। लेकिन इसका अधिकांश (लगभग 80 प्रतिशत या उससे ज़्यादा द्रव्यमान) पानी, मीथेन और अमोनिया जैसे "बर्फ़ीले" घटकों से बना एक गर्म, घना तरल पदार्थ है। इसके कोर का तापमान आश्चर्यजनक रूप से 9,000 डिग्री फ़ारेनहाइट तक पहुँच सकता है।
नेपच्यून (Neptune): नेपच्यून, बाहरी सौर मंडल का दूसरा बर्फ़ का विशालकाय ग्रह है। यूरेनस (Uranus) की तरह ही, इसमें भी एक छोटा चट्टानी कोर है। यह कोर, पानी, मीथेन और अमोनिया सहित "बर्फ़ीले" पदार्थों के घने तरल पदार्थ से घिरा हुआ है। यह इसके द्रव्यमान का 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा बनाता है। दिलचस्प बात यह है कि नेपच्यून हमारे सौर मंडल के बड़े ग्रहों में सबसे घना है।
बर्फ़ के विशालकाय ग्रह कैसे बनते हैं?
यूरेनस (Uranus) और नेपच्यून (Neptune) के निर्माण की कहानी अन्य ग्रहों की तुलना में काफ़ी पेचीदा है। इनका निर्माण कोर अभिवृद्धि (Core Accretion) नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से हुआ था। संभवतः इनकी शुरुआत, सूर्य से लगभग 20 खगोलीय इकाइयों (Astronomical Units (एयू)) की दूरी पर स्थित छोटे प्रोटोप्लैनेट (छोटे खगोलीय पिंड) के रूप में हुई थी। पृथ्वी से सूर्य की दूरी एक एयू है, इसलिए 20 एयू की दूरी का आंकलन आप कर सकते हैं। इन प्रोटोप्लैनेट की पलायन गति, उनकी सापेक्ष गति के समान थी। यदि वे शनि (Saturn) या बृहस्पति (Jupiter) जैसे बड़े ग्रहों के बहुत करीब आ जाते, तो वे पूरी तरह से सौर मंडल से बाहर निकल सकते थे। या वे उन विशाल ग्रहों की ओर खिंच सकते थे। ऐसा माना जाता है कि बर्फ़ के विशालकाय ग्रह, बृहस्पति (Jupiter) और शनि (Saturn) की कक्षाओं (Orbits) के बीच बने थे। फिर वे अपनी वर्तमान, अधिक दूर की कक्षाओं में बाहर की ओर बिखर गए।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2225msru
https://tinyurl.com/2c4le8m3
https://tinyurl.com/26tntbyh
https://tinyurl.com/2dalc32n

चित्र संदर्भ
1. बर्फ़ीले ग्रह को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. प्लूटो-चारोन प्रणाली को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. ग्रह की ओर बढ़ते यान को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
4. एक गृह की सतह पर जमी हुई बर्फ़ को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
5. ट्राइटन की सतह को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. पृथ्वी एवं नेपच्यून के आकार की तुलना को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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