जानें कैसे यूपीआई लखनऊ के रेल डिवीजन और भारत में लेन देन की प्रणाली को विकसित कर रहा है

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21-08-2024 09:23 AM
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जानें कैसे यूपीआई लखनऊ के रेल डिवीजन और भारत में लेन देन की प्रणाली को विकसित कर रहा है
उत्तर रेलवे लखनऊ डिवीजन ने कैशलेस (Cashless) लेनदेन को बढ़ावा देने और यात्रा को परेशानी मुक्‍त बनाने के लिए, पायलट प्रोजेक्ट (Pilot Project) के रूप में, चार प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर अनारक्षित टिकटों के लिए टिकट काउंटरों पर यूनिफ़ाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (Unified Payments Interface (UPI)) विकल्प शुरू किया है। यूपीआई (UPI) का पूरा नाम, " यूनिफ़ाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस" (Unified Payments Interface) है। यह भारत में डिजिटल भुगतान के लिए तैयार की गयी एक प्रणाली है, जिसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया (National Payments Corporation of India (NPCI)) द्वारा 2016 में विकसित किया गया। यूपीआई के माध्यम से, आप अपने स्मार्टफ़ोन से किसी भी बैंक खाते में तुरंत पैसे भेज या प्राप्त कर सकते हैं। तो, आज के लेख में, चलिए यूपीआई के बारे में विस्तार से बात करते हैं और समझते हैं कि यह इतना अनूठा क्यों है। इसके अलावा, हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि पश्चिमी देशों ने यूपीआई जैसी भुगतान प्रणाली को क्यों नहीं अपनाया।
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) का परिचय:
यूपीआई, एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें एक ही मोबाइल एप्लिकेशन(Mobile Application) (किसी भी सहभागी बैंक का) से कई बैंक खातों को जोड़ा जा सकता है| इसमें कई बैंकिंग सुविधाएँ, जैसे आसानी से पैसों का लेन-देन हो सकता है। यह "पीयर टु पीयर" (peer2peer) संग्रह अनुरोध को भी पूरा करता है जिसे आवश्यकता और सुविधा के अनुसार शेड्यूल और भुगतान किया जा सकता है।
निर्धारित उद्देश्‍यों को पूरा करने के लिए, एनपीसीआई (NPCI) ने, 21 सदस्य बैंकों के साथ एक पायलट लॉन्च (Pilot Launch) किया। जिसका अनावरण, 11 अप्रैल, 2016, को मुंबई में आरबीआई (RBI) के गवर्नर डॉ. रघुराम राजन द्वारा किया गया था। बैंकों ने 25 अगस्त, 2016, से गूगल प्‍ले (Google Play) स्टोर पर अपने यूपीआई ऐप अपलोड करना शुरू किया।
यूपीआई को इतना अनोखा और लोकप्रिय क्या बनाता है?
यूपीआई को सबसे अलग इसकी आसान उपयोग प्रणाली बनाती है। यह पारंपरिक नकद भुगतान के तरीके से कई बेहतर है। यूपीआई, भुगतान प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके और पहुँच का विस्तार करके अंतर्राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों के लिए नए मानक स्थापित कर रहा है। यह परिवर्तनकारी तकनीक, एक डिजिटल भुगतान प्लेटफ़ॉर्म (Platform) से कहीं ज़्यादा अधिक है|यह वैश्विक स्तर पर नवाचार और प्रगति का एक प्रतीक है। यूपीआई के उपयोग में आसानी और पहुँच ने, इसे पूरे देश में बेहद लोकप्रिय बना दिया है, जो शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच की खाई को पाट रहा है। यूपीआई, 300 से ज़्यादा बैंकों को जोड़ता है और बैंकिंग प्रदाताओं के साथ साझेदारी में गूगल पे (Google Pay), अमेज़न पे (Amazon Pay), फोनपे (PhonePe) और पेटीएम (Paytm) जैसे थर्ड-पार्टी एप्लिकेशन प्रदाता (टीपीएपी) (Third-party Application Providers (TPAP)) के ज़रिए, सहज वित्तीय लेन-देन को सक्षम बनाता है। ऐसे दौर में जब व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा सबसे अहम बन गयी है, यूपीआई इस महत्वपूर्ण चुनौती का जवाब बनकर उभरा है। संवेदनशील बैंक खातों की जानकारी का खुलासा किए बिना, यह साइबर हमलों के खिलाफ़ एक अभेद्य किला प्रदान करता है।
पश्चिम ने अभी तक UPI जैसी भुगतान प्रणाली क्यों नहीं अपनाई है?
भुगतान में अंतर:
पश्चिमी देशों में, लेन-देन, व्यापारी भुगतान के माध्‍यम से होते हैं। कई प्रतिष्ठान ग्राहकों से क्रेडिट कार्ड (credit cards), डेबिट कार्ड (debit cards) और अन्य प्रकार के भुगतान स्वीकार करने के लिए व्यापारी भुगतान प्रदाताओं की सेवाएँ लेते हैं| भुगतान प्रोसेसर (Payment Processor), लेन-देन की राशि से अपनी फीस काट लेता है और बाकी की राशि प्रतिष्ठान के व्यावसायिक बैंक खाते में स्थानांतरित कर देता है। चूँकि पश्चिम में भुगतान की आवश्यक प्रकृति बहुत अलग है, इसलिए यूपीआई-आधारित भुगतान उस संदर्भ में काम नहीं करता है।
क्रेडिट बनाम डेबिट:
पश्चिमी देशों में, आमतौर पर, बहुत अधिक डिजिटल लेन-देन होते हैं। अमेरिका (America) में, डिजिटल भुगतान (Digital Payments) के कुल लेन-देन मूल्य में, 2024-2028 में, 10.73% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर (CAGR)) होने की उम्मीद है। यूरोप (Europe) में, 2024-2028 में इसके 8.81% सीएजीआर पर बढ़ने का अनुमान है। इसके विपरीत, भारतीय डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र अभी शुरुआती चरण में है। 2024-2028 में कुल लेनदेन मूल्य के 11.56% की सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है।
जब लोग यूपीआई के ज़रिए भुगतान करते हैं, तो भुगतान, देनदार के खाते से तुरंत कटकर लेनदार के खाते में जमा हो जाता है। क्रेडिट कार्ड, (Credit cards ) फ्रंट प्रोटेक्शन (front protection) का समर्थन करते हैं, जो कि डिज़ाइन के अनुसार यूपीआई से बहुत अलग है । क्रेडिट कार्ड में, व्यापारियों के बजाय, उपभोक्ताओं की ओर झुकाव होता है, लेकिन यूपीआई ​​में यह व्यापारियों के पक्ष में होता है। तकनीकी रूप से, आपको यूपीआई में धोखाधड़ी से सुरक्षा नहीं मिलती है जिस तरह आपको क्रेडिट कार्ड में मिल जाती है।
जब पश्चिमी देशों को क्रेडिट कार्ड से अधिक लाभ मिल रहा है, जिसका उपयोग वहां 30-40 वर्षों से अधिक समय से किया जा रहा है, तो ऐसे देशों को यूपीआई अपनाने की अधिक आवश्यकता नहीं है।
भीम यूपीआई (BHIM UPI) क्या है?
भारत इंटरफ़ेस फ़ॉर मनी (Bharat Interface for Money (BHIM)), अपने मोबाइल ऐप और यूएसएसडी (USSD) (अनस्ट्रक्चर्ड सप्लीमेंट्री सर्विस डेटा (Unstructured Supplementary Service Data)) के माध्यम से, यूपीआई प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करके, आपके मोबाइल फ़ोन के ज़रिए डिजिटल भुगतान करने की प्रक्रिया को एक तेज़, सुरक्षित, और विश्वसनीय माध्यम प्रदान करता है। भीम, अन्य यूनिफाइड पेमेंट इंटरफ़ेस (UPI) एप्लिकेशन और बैंक खातों के साथ इंटरऑपरेबल (interoperable) है। भीम को भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा विकसित किया गया है, जो भारतीय रिज़र्व बैंक के मार्गदर्शन में देश में खुदरा भुगतान प्रणाली प्रदान करने वाली एक गैर-लाभकारी कंपनी है।
यह कैसे काम करता है?
यूपीआई ऐप्स का उपयोग करना काफ़ी सरल और सुविधाजनक है। ये ऐप्स, आपके बैंक खाते को आपके मोबाइल नंबर और यूपीआई आईडी के साथ लिंक करते हैं, जिससे आप तुरंत पैसे भेज सकते हैं, प्राप्त कर सकते हैं, और अन्य बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।
यहाँ यूपीआई ऐप के काम करने का तरीका बताया गया है:
1. भीम यूपीआई ऐप डाउनलोड करें:
सबसे पहले, अपने स्मार्टफ़ोन पर गूगल प्ले स्टोर (एंड्रॉइड) (Google Play Store (Android)) या ऐप्पल ऐप स्टोर (आईओएस) (Apple App Store (iOS)) से भीम ऐप डाउनलोड करें।
2. रेजिस्ट्रेशन (Registration):
ऐप को खोलें और अपना मोबाइल नंबर दर्ज करें। सुनिश्चित करें कि यह वही नंबर है जो आपके बैंक खाते से जुड़ा हुआ है। ऐप, आपके मोबाइल नंबर को सत्यापित करने के लिए एक ओटीपी (OTP) भेजेगा। ओटीपी दर्ज करें और प्रक्रिया पूरी करें।
3. बैंक खाता लिंक करें:
भीम ऐप, आपको, अपने बैंक खाते को यूपीआई से लिंक करने का विकल्प देगा। आप बैंक का नाम चुन सकते हैं, और ऐप आपके बैंक खाते को अपने आप पहचान लेगा। आपको, अपना डेबिट कार्ड नंबर और उसके साथ जुड़े हुए बैंकिंग विवरण भी दर्ज करने पड़ सकते हैं।
4. यूपीआई पिन सेट करें:
लेन-देन को सुरक्षित रखने के लिए आपको एक यूपीआई पिन (4 या 6 अंकों का) सेट करना होगा। यह पिन हर बार पैसे भेजते समय दर्ज करना होता है।
5. यूपीआई आईडी बनाएं:
भीम ऐप, अपने आप, आपको एक यूपीआई आईडी देगा। यह आईडी आपके मोबाइल नंबर या किसी विशेष पहचानकर्ता पर आधारित हो सकती है।
6. पैसे भेजना या प्राप्त करना:

पैसे भेजने के लिए: आपको प्राप्तकर्ता की यूपीआई आईडी, मोबाइल नंबर, या बैंक खाता विवरण दर्ज करना होगा। राशि और संदेश लिखें, फिर यूपीआई पिन दर्ज करें। पैसे तुरंत ट्रांसफर हो जाएंगे।
पैसे प्राप्त करने के लिए: आप अपनी यूपीआई आईडी किसी को दे सकते हैं, और वह व्यक्ति आपको पैसे भेज सकता है। आप क्यूआर कोड (QR code) के माध्यम से भी पैसे प्राप्त कर सकते हैं।
7. अन्य सेवाएँ:
यूपीआई ऐप्स में बिल भुगतान, मोबाइल रिचार्ज, शॉपिंग भुगतान, बैंक बैलेंस चेक करना आदि जैसी कई अन्य सुविधाएँ भी होती हैं।
8. सुरक्षा:
यूपीआई ऐप्स में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई स्तर होते हैं, जैसे कि पिन, एन्क्रिप्शन, और बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण।
यूपीआई ने, भारत में डिजिटल भुगतान प्रणाली को बदल दिया है, जिससे लेनदेन अधिक सरल, तेज़ और सुरक्षित हो गया है । इसने न केवल वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया है बल्कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच की खाई को भी कम किया है। हालांकि, पश्चिमी देशों में इसके व्यापक रूप से न अपनाए जाने के पीछे उनकी मौजूदा भुगतान प्रणालियों और क्रेडिट-आधारित अर्थव्यवस्था की प्राथमिकताएँ हैं। यूपीआई जैसी प्रणाली, जो नवाचार और सरलता का प्रतीक है, भारत में कैशलेस अर्थव्यवस्था की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भविष्य में, यह देखना दिलचस्प होगा कि दुनिया के अन्य हिस्से, इस प्रणाली से प्रेरणा लेकर अपने डिजिटल भुगतान मॉडल में बदलाव करते हैं या नहीं।

संदर्भ :
https://rb.gy/cfu7q5
https://rb.gy/u785xa
https://t.ly/a_OCg

चित्र संदर्भ
1. एक भारतीय ट्रेन और यूपीआई ऐप को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. यूपीआई लेनदेन के माध्यमों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. एनपीसीआई के लोगो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. एसबीआई पे के क्यूआर कोड को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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