अवध शासन को चित्रित करने वाले योहान ज़ोफानी सहित, उस समय के सभी चित्रकार थे काफ़ी कुशल

द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य
07-08-2024 09:20 AM
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अवध शासन को चित्रित करने वाले योहान ज़ोफानी सहित, उस समय के सभी चित्रकार थे काफ़ी कुशल

योहान ज़ोफानी (Johan Zoffany) एक जर्मन(German) कलाकार थे, जिन्होंने लखनऊ में रहकर, “कर्नल मोरडॉन्टस् कॉक फाइट(Colonel Mordaunt’s Cock Fight)” नामक एक विश्व प्रसिद्ध चित्र बनाया था।इस चित्र में, अवध के शाही परिवार के कुछ सदस्यों को, ईस्ट इंडिया कंपनी के स्वामित्व वाले मुर्गे के खिलाफ लड़ने के लिए, अपने इनामी मुर्गे को तैयार करते हुए दिखाया गया था। इसी समय अवधि में, थॉमस और विलियम डेनियल(Thomas and William Daniell) दो ऐसे ब्रिटिश कलाकार थे, जिन्हें ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में दृश्यों को चित्रित करने के लिएं बुलाया था। उन्होंने पूरे भारत की यात्रा की, और कई सुरम्य चित्रों का निर्माण किया। तब से ही, चित्रों में जल रंग का उपयोग लोकप्रिय हुआ। तो, आज हम 17वीं शताब्दी और 1857 के विद्रोह के दौरान, भारतीय चित्रकला शैली के बारे में बात करेंगे। लेख में ‘ईस्ट इंडिया कंपनी की चित्रकारी’ (Company Paintings) व उनके महत्व पर भी चर्चा की जाएगी। फिर हम, कुछ सबसे प्रसिद्ध विदेशी यात्रा करने वाले अन्य कलाकारों के बारे में जानेंगे। इसके अलावा, हम सेवक राम और गुलाम अली खान जैसे मशहूर भारतीय कलाकारों के बारे में भी बात करेंगे। 1700 के दशक के अंत में, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने दक्षिण एशिया में अपना विस्तार किया। तब, कई ब्रिटिश कर्मचारी, नया जीवन जीने के लिए इंग्लैंड(England) से “सोने की चिड़िया”, भारत चले आए। जब उन्होंने देश भर में यात्रा की और असामान्य वनस्पतियों व जीवों, आश्चर्यजनक प्राचीन स्मारकों व अन्य विदेशी लोगों को यहां देखा, तो वे इन छवियों को इंग्लैंड में भेजने या ले जाने के लिए, संजोए रखना चाहते थे। अठारहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी के उन यात्रियों को, इस कार्य के लिए भारतीय चित्रकारों को नियुक्त करना पड़ता था। इन कलाकारों द्वारा निर्मित यूरोपीय शैली(European style) और पैलेट(Palette) में किए गए कार्यों को, सामूहिक रूप से “कंपनी पेंटिंग(Company painting)” के रूप में जाना जाता है। उन्हें जलरंगों के उपयोग, रैखिक परिप्रेक्ष्य और छायांकन की विशेषता के साथ चित्रित किया गया है।
चित्रकला की यह शैली कई अलग-अलग शहरों में उभरी थी। प्रत्येक क्षेत्र के चित्र, वहां की शैली व स्थानीय परंपराओं के आधार पर भिन्न होते थे। जैसा कि हम सभी जानते हैं, कलकत्ता एक महत्वपूर्ण ब्रिटिश व्यापार केंद्रों में से एक था। इस शहर के सबसे उत्साही संरक्षक लॉर्ड इम्पे(Lord Impey) और मार्की वेलेस्ले(Marquess Wellesley) थे। इन दोनों ने बड़े बड़े चित्रकारी स्टूडियो स्थापित किये, तथा उनमें प्रत्येक पक्षी और जानवर को चित्रित करने के लिए, कलाकारों को काम पर रखा गया था। कलकत्ता में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा स्थापित भारत के सबसे प्राचीन वनस्पति उद्यान ने, तब उनके द्वारा एकत्र किए गए पौधों के नमूनों को चित्रित करने के लिए एक समान परियोजना शुरू की थी। अन्य प्रभावशाली चित्रकला केंद्र हमारे राज्य के वाराणसी शहर एवं दक्षिण में मद्रास थे।
इसके अलावा, चाचा-भतीजा थॉमस और विलियम डेनियल की जोड़ी द्वारा निर्मित एक्वाटिंट कला(Aquatint Art) और स्केचिंग(Sketching) शैली भी प्रशंसनीय है। 1795 से 1808 तक, भारत के बारे में अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए उन्होंने एक्वाटिंट प्रिंट बनाने पर ध्यान केंद्रित किया। इस कार्य संग्रह का शीर्षक, उन्होंने ओरिएंटल सीनरी(Oriental Scenery) रखा था। यह कार्य छह खंडों में प्रकाशित हुआ था, और इसमें कुल 144 रंगीन एक्वाटिंट और छह बिना रंग वाले चित्र शामिल थे। ईस्ट इंडिया कंपनी को इसके तीस सेट बेचे गए थे, और अठारह प्रतियों का एक और ऑर्डर, इन कलाकारों को प्राप्त हुआ था।
इन चित्रों का कार्यान्वयन वास्तव में उत्कृष्ट है। ओरिएंटल अर्थात, पूर्वीय दृश्यों (हमारे देश) का शानदार प्रदर्शन भी अद्भुत है। इन चित्रों को देखने पर, भारतीय आकाश की गर्माहट महसूस हो सकती है, पानी वास्तविक गति में प्रतीत होता है और जानवर व पेड़–पौधे प्रकृतिवादियों के लिए एक सुन्दर अध्ययन बन सकते हैं। साथ ही, कलकत्ता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल(Victoria Memorial Hall) के संग्रह में, डेनियल के भारत की विरासत इमारतों और स्थलों को दर्शाने वाले, चालीस जलीय चित्र प्रदर्शित किए गए हैं। इससे आगंतुकों को, अठारहवीं शताब्दी में इन विरासत इमारतों और स्थलों की उपस्थिति का अंदाज़ा होता हैं।
जबकि, कंपनी पेंटिंग बनाने वाले महत्वपूर्ण भारतीय कलाकार निम्नलिखित थे:
१.सेवक राम: सेवक राम ने पटना में काम किया था। पटना, कंपनी चित्रकला के प्रमुख केंद्रों में से एक था, क्योंकि, यह एक महत्वपूर्ण कारखाने और प्रांतीय समिति का मेज़बान था। इस प्रकार,यह शहर कई ब्रिटिश प्रवासियों का घर था। राम, 1790 के दशक में, काम की तलाश में वहां आए थे। 1820 के दशक तक, त्योहारों और समारोहों के उनके चित्र, लॉर्डमिंटो(Lord Minto) और लॉर्ड एमहर्स्ट(Lord Amherst) द्वारा एकत्र किए जा रहे थे।
२.गुलाम अली खान: जब विलियम और जेम्स फ्रेज़र(William and James Fraser) को 1815-16 में, कंपनी द्वारा देश के उत्तर में, नई जोती गई भूमि का दौरा करने के लिए भेजा गया, तब वे दिल्ली से कलाकारों को अपने साथ ले गए। संभवतः इसी समय गुलाम अली खान ने उनसे संपर्क किया था। लेकिन, उनके ज्ञात कार्य 1820 के दशक में, फ्रेज़र भाईयों के दिल्ली लौटने के बाद के हैं। खान को विशेष रूप से ग्रामीण जीवन के दृश्यों के लिए जाना जाता है। उनके परिवार के अन्य सदस्य भी चित्रांकन में विशेष रूप से कुशल थे।
एक तरफ़, भारत में यात्रा करने वाले प्रसिद्ध विदेशी कलाकार निम्नलिखित हैं:
1.) वासिली वेरेशागन (Vasily Vereshchagin): वासिली वेरेशागन मूल रूप से एक रूसी युद्ध चित्रकार थे। उन्होंने भारत में एक अनूठे विषय पर काम किया। पहले 1873 में और फिर 1884 में, उनकी भारत यात्रा की पेंटिंग्स, सबसे अद्भुत वास्तुशिल्प विशेषताओं को दर्शाती हैं। चाहे वह लद्दाख के किसी छोटे मठ का चित्र हो, या ताज महल जैसे भव्य स्मारक का चित्र, वे सभी अति सुंदर ही थे। वेरेशागन भी विशाल हिमालय से मंत्रमुग्ध थे। लेकिन, जो चीज़ उन्हें उनके समय के अन्य चित्रकारों से अलग करती थी, वह विस्तार पर उनका ध्यान, थी। इन विशेषताओं व उनके चमकीले रंगों के उपयोग के साथ, 19वीं सदी के उत्तरार्ध के भारत का यथार्थवादी पुनरुत्पादन तैयार किया गया।
2.) मैरिएन नॉर्थ(Marianne North): मैरिएन नॉर्थ नामक महिला कलाकर ने अकेले ही, पूरे भारत की यात्रा की थी। उन्होंने जयपुर, आगरा, दिल्ली और शिमला जैसे पर्यटक स्थानों की यात्रा की। लेकिन, उत्तराखंड में कुमाऊं हिमालय के अलग-अलग गांवों को व पहाड़ियों की प्राकृतिक सुंदरता को उन्होंने अपने चित्रों में कैद किया। चूंकि, वह एक वनस्पतिशास्त्री भी थीं, उनके सभी चित्रों में पौधे और फूल प्रमुख तत्व हैं। यहां तक कि, ताज महल जैसे प्रसिद्ध स्मारकों की उनकी पेंटिंग भी, प्रकृति के प्रति उनकी पसंद को दर्शाती हैं।
3.) योहान ज़ोफानी: योहान 1783 में, अमीर और शक्तिशाली लोगों के चित्रों से पैसा कमाने के इरादे से, लंदन से भारत आए थे। जल्द ही उनकी मुलाकात बंगाल के गवर्नर-जनरल और ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी वॉरेन हेस्टिंग्स(Warren Hastings) से हुई।उन्होंने, अठारहवीं शताब्दी के अंत में,ब्रिटेन(Britain) और भारत के बीच के जटिल संबंधों को उजागर करने वाले चित्र भी बनाए हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/mud9a2ad
https://tinyurl.com/298wmfzn
https://tinyurl.com/3w8myk5c
https://tinyurl.com/46mwzpf9

चित्र संदर्भ
1. 1783 में कलकत्ता में मुख्य न्यायाधीश एलिजा इम्पे और मैरी इम्पे के परिवार का योहान ज़ोफ़नी द्वारा बनाए गए चित्र को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. थॉमस जोन्स बार्कर द्वारा निर्मित लखनऊ के एक चित्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. इम्पे एल्बम से लिए गए नवाब ज़फ़र खान के चित्र को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. थॉमस और विलियम डैनियल द्वारा यमुना नदी के तट के सुंदर दृश्य को दर्शाता एक चित्र (wikimedia)
5. 1809 पटना शैली में दुर्गा पूजा को दर्शाती जल रंग पेंटिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (PICRYL)
6. गुलाम अली खान की पेंटिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. वासिली वेरेशागन की एक पेंटिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. मैरिएन नॉर्थ द्वारा भारत के एक दृश्य को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
9. योहान ज़ोफ़नी द्वारा बनाए इस चित्र में, महारानी शार्लोट (1744-1818) को अपने दो सबसे बड़े बेटों के साथ दर्शाया गया है (wikimedia)

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